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भारत के राज्य राजस्थान को वीरों की भूमि कहा जाता है। यहां के किले, संस्कृति, कला और राजवाड़े न सिर्फ देश बल्कि दुनिया में अलग पहचान रखते हैं। महाराणा प्रताप सिंह, महाराजा सूरज मल, राणा कुम्भा, पृथ्वीराज चौहान और सवाईभोज जैसे अनेकों वीरों ने राजस्थान की धरती पर जन्म लिया।
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राजस्थान देश का एक ऐसा राज्य है जहां टूरिस्टों की भरमार रहती है। यहां देश के साथ ही दुनिया के कोने-कोने से लोग घूमने आते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि राजस्थान का पुराना नाम क्या था। नहीं तो आइए जानते हैं:
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आजादी से पहले राजस्थान का ये नाम नहीं हुआ करता था। राजस्थान भारत का साल 1949 में हिस्सा बना उससे पहले यहां 22 स्वतंत्र रियासतें हुए करती थीं।
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उस समय में जोधपुर रियासत राजस्थान की सबसे बड़ी रियासत हुआ करती थी। राजस्थान नाम वहां की संस्कृति से लिया गया है। दरअसल, राजस्थान का अर्थ होता है राजाओं का स्थान।
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आजादी से पहले राजस्थान को ‘राजपूताना’ नाम से जाना जाता है। इतिहासकारों के मुताबिक, जॉर्ज थॉमस ने साल 1800 में राजस्थान को ‘राजपूताना’ नाम दिया था। जब ये नाम दिया गया तब राजस्थान में राजपूत राजाओं का राज था जिसके चलते जॉर्ज थॉमस ने ये राजपूताना नाम दिया था।
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आजादी के बाद राजस्थान की सभी रियासतों को भारत में मिलाया गया। रियासतों के विलय के बाद जब एकीकृत राज्यों के नाम दिए गए तब राजस्थान नाम को स्वीकृति दी गई।
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वहीं, 16 जनवरी 1949 को उदयपुर में एक सार्वजनिक सभा के दौरान सरदार वल्लभ भाई पटेल ने जयपुर, बीकानेर, जोधपुर, जैसलमेर रियासतों के सैद्धांतिक रूप से विलय की घोषणा की थी। इसके बाद उन्होंने जयपुर में 30 मार्च 1949 को एक समारोह में वृहद् राजस्थान का उद्घाटन किया जिसके बाद से हर साल इस दिन को राजस्थान दिवस के रूप में मनाया जाता है।
