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देश की राजधानी दिल्ली में इस वक्त भयंकर बाढ़ के चलते दिल्ली के कई इलाकों में जनजीवन अस्त-व्यस्त है। भारी बारिश और हथिनीकुंड बैराज से पानी छोड़े जाने के बाद यमुना के पानी का स्तर खतरे के निशान से एक मीटर ऊपर बह रहा है। आसपास की बस्तियां पानी में डूब गई हैं। यहां रह रहे लोग रैन बसेरा या अन्य इलाकों में पलायन कर गए हैं। (Photo Source: britishpathe)
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सचिवालय की मुख्य सड़कों से लेकर लाल किला तक के आसपास पानी लबालब भरा हुआ है। बाढ़ का पानी यमुना बाजार, तिब्बत मोनेस्ट्री, मयूर विहार और अक्षरधाम मंदिर के पीछे तक पहुंच गया है। दिल्ली में बाढ़ का यह मंजर लोगों को 1978 की याद एक बार फिर से दिला दी है। आज से 47 वर्ष पहले आई इस बाढ़ के चलते दिल्ली का हाल बदतर हो गया था। (Photo Source: britishpathe)
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दिल्ली में इससे पहले भी 47 वर्ष पहले साल 1978 में भयानक बाढ़ आई थी। हाल यह था कि घरों की एक मंजिल तक पानी भर गया था। साल 1978 में यमुना में साल लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया था और पुराने रेलवे ब्रिज पर पानी खतरे के निशान से 2.66 मीटर ऊपर 207.71 मीटर पहुंच गया था। (Photo Source: britishpathe)
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यह सारी तस्वीरें साल 1978 के बाढ़ की हैं जिसमें देख सकते हैं उस दौरान स्थिति क्या था। उत्तर और पूर्वी दिल्ली में करीब ढाई लाख लोग बेघर हो गए थे। यहां तक कि बचाव अभियान के लिए सेना को आना पड़ा था। (Photo Source: britishpathe)
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दिल्ली में कब-कब आई भयानक बाढ़
दिल्ली में इससे पहले कई बार बाढ़ के चलते आम जनजीवन अस्त-व्यस्त हो चुका है। इससे पहले दिल्ली वासी 1924, 1947, 1955, 1956, 1967, 1971, 1975, 1976 और 1978 में भयानक बाढ़ देख चुके हैं। (Photo Source: britishpathe) -
दिल्ली सरकार के सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग के अनुसार, यमुना नदी के इतिहास में अब तक की सबसे भयानक बाढ़ 1978 में आई थी। उस दौरान दिल्ली के पल्ला गांव और बनाना एस्केप आउट-फॉल के बीच बना बांध टूट गया था। (Photo Source: britishpathe)
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इस हादसे से अलीपुर ब्लॉक का एक काफी बड़े क्षेत्र और आदर्श नगर, मुखर्जी नगर और मॉडल टाउन जैसी शहरी बस्तियों पानी में डूब गई थीं। इस बाढ़ के चलते हजारों लोग बेघर हो गए थे। (Photo Source: britishpathe)
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टेलीफोन लाइनें पूरी तरह से ठप हो गई थीं। यमुना के पुलों को बंद करने के साथ ही सेना ने मोर्चा संभाल था। यमुना पर बने सभी चार पुल 48 घंटे लिए वाहनों के आवागमन के लिए बंद कर दिए गए थे। सरकार नाव के जरिए लोगों तक राहत सामग्री पहुंचा रही थी। (Photo Source: britishpathe)
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पुरानी दिल्ली, कश्मीरी गेट, मोरी गेट, मठ बाजार, जामा मस्जिद किनारी बाजार, चांदनी चौक, फतेहपुरी, नया बाजार और खरी बावली तक में बाढ़ का पानी थी। हालात ऐसे थे दुकानें, अस्पताल और श्मशान घाट तक बंद कर दिए गए थे। (Photo Source: britishpathe)
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पानी भरा होने के चलते बस और ट्रेन का संचालन भी रोक दिया गया था। यमुना के पास वाले इलाकों में जिनके घर थे वो पानी में पूरी तरह से डूब चुके थे। सरकार की तरफ से लोगों को वहां से नाव के जरिए निकाला था। (Photo Source: britishpathe)
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ब्रिटिश काल से लेकर 1956 तक लगभग हर साल यमुनापार के निचले इलाकों में बाढ़ का कहर देखने को मिलता था। वहीं, 1956 के बाद शाहदरा तटबंध और बांधों का निर्माण कार्य शुरू हुआ। उसके बाद यमुना नदी के दोनों ओर 20 से ज्यादा कंक्रीट के ऊंचे ढांचे बनाए गए, ताकि बाढ़ के वक्त पानी को रोका जा सके। (Photo Source: britishpathe)
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1978 के बाद यमुना का जलस्तर दो बार खतरे के निशान (207 मीटर) से ऊपर पहुंचे। साल 2010 में 207.11 मीटर और 2013 में 207.32 मीटर। लेकिन उतना नुकसान नहीं हुआ था। 2023 में भी यमुना का जलस्तर 208.66 मीटर पहुंच गया था लेकिन उतना ज्यादा नुकसान नहीं हुआ था जितना अब हुआ है। (Photo Source: britishpathe)
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उस समय दिल्ली में मजबूत जल निकासी व्यवस्था की कमी थी लेकिन पिछले कुछ सालों में काफी बदलाव हो चुका है। नदी के दोनों किनारों पर करीब 20 शैंक बनाए गए हैं जहां नदी अपना रास्ता बदलती है। (Photo Source: britishpathe)
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हरियाणा के हथिनीकुंड बैराज से पानी छोड़े जाने पर दिल्ली में बाढ़ आने से रोकने के लिए दस बांध बन चुके हैं। तटबंधों की ऊंचाई बढ़ गई है। इसके अलावा अधिक पानी होने पर उसे सीवरों में मोड़ दिया जाता है और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में भेज दिया जाता है। लेकिन इस बाद भी दिल्ली बाढ़ से परेशान है। (Photo Source: britishpathe) दिल्ली में बारिश और बाढ़ का तांडव, घरों में घुसने लगा है यमुना का पानी, तस्वीरों से जानिए कैसे हैं हालात
