'साउथ चाइना सी' को लेकर अमेरिका के साथ टकराव और भारत के साथ चल रहे सीमा विवाद के बीच चीन ने अपनी सैन्य तैयारियों को रफ्तार दे दी है। चीन के सरकारी मीडिया ने रिपोर्ट दी है कि गुरुवार को चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने सेना के तीन नए अंगों की आधिकारिक तौर पर घोषणा कर दी। रिपोर्ट के मुताबिक, राष्ट्रपति जिनपिंग ने तीन नए अंगों-जनरल कमांड यूनिट, मिसाइल फोर्स (रॉकेट फोर्स) और स्ट्रैटिजिक सपोर्ट फोर्स को ऑपरेश्नल कर दिया। आगे पढ़ें, अब मिसाइल फोर्स संभालेगी चीन के परमाणु हथियारों का जिम्मा सरकारी टेलीफोन पर शी जिनपिंग को चीन के नए थल सेना प्रमुख ली झाओचेंग को 'रेड फ्लैग' देते हुए दिखाया। ली इससे पहले बेहद महत्वपूर्ण चेंगदू मिलिट्री रीजन के चीफ थे, जिसके तहत तिब्बत का इलाका भी आता है। आगे पढ़ें, चीनी राष्ट्रपति मिसाइल फोर्स से परमाणु क्षमता बढ़ाने को कहा अब चीन के परमाणु हथियारों का जिम्मा मिसाइल फोर्स संभालेगी। इससे पहले सेकेंड आर्टिलरी कॉर्प्स के हाथों में यह जिम्मेदारी थी। हालांकि, सेकेंड आर्टिलरी के कमांडर वेई फेंग्हे ही मिसाइल फोर्स की कमान संभाल रहे हैं। समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, शी जिनपिंग ने मिसाइल फोर्स से परमाणु क्षमता और काउंटर स्ट्राइक कैपेसिटी बढ़ाने को कहा है। आगे पढ़ें, क्या है सेना को आधुनिक बनाने के लिए चीन का प्लान राष्ट्रपति शी जिनपिंग के नेतृत्व में चीन सेना के आधुनिकीकरण की दिशा में युद्ध स्तर पर काम कर रहा है। ड्रैगन 2020 तक अपनी सेना पीपुल्स रिपब्लिक आर्मी (PLA) का पुनर्गठन करेगा, जिससे उसकी पूरी फौज ज्वाइंट ऑपरेशनल मिलिट्री कमांड के तहत आ जाएगी। संख्या में भारत से दोगुनी-23 लाख सैनिकों वाली चीनी सेना अभी सात मिलिट्री रीजन में बंटी हुई है, लेकिन पुनर्गठन के बाद यह चार स्ट्रैटिजिक जोन में बदल दी जाएगी। आगे पढ़ें, सोवियत संघ के स्टाइल में सेना को संगठित करना चाहता है चीन चीन का शीर्ष नेतृत्व अपनी सेना को सोवियत संघ के स्टाइल में संगठित करना चाहता है, लेकिन सैन्य ताकत का प्रभाव वह अमेरिका की तरह पूरी दुनिया में फैलाना चाहता है। पाकिस्तान, श्रीलंका, नेपाल, म्यांमार और बांग्लादेश को बड़े पैमाने पर मदद देकर चीन इन सभी देशों में अपने सैन्य ठिकाने बनाना चाहता है, जिससे भारत को चारों ओर घेर सके। इनमें से कई देशों में उसे कामयाबी मिल चुकी है, जबकि कई देशों पर वह नजर गड़ाए बैठा है। आगे पढ़ें, हिंद महासागर में भी बेस बनाने की तैयारी कर रहा है चीन एशिया के अलावा अफ्रीकी देशों में चीन तेजी से पैर पसार रहा है। चीन इस समय अदन की खाड़ी में एंटी पायरेसी पेट्रोलिंग कर रहा है और सैन्य साजो-सामान के लिए अफ्रीकी देश जिबूती के साथ बात कर रहा है। ऐसा माना जा रहा है कि चीनी सेना अदन की खाड़ी में पहला मिलिट्री बेस बनाने की गुपचुप तैयारी कर रही है। यदि ऐसा संभव हो पाया तो हिंद महासागर चीन का यह पहला मिलिट्री बेस होगा। आगे पढ़ें, भारत को LAC पर कड़ी टक्कर देने की तैयारी कर रहा चीन चीन सेना के पुनर्गठन से बॉर्डर पर भारत को मिलेगी कड़ी चुनौती वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारत-चीन के बीच करीब 4057 किलोमीटर विवादित क्षेत्र है। इस क्षेत्र में अभी तक भारत की पूर्वी सीमा के करीब चीनी सेना का चेंगदू मिलिट्री रीजन और उत्तर में लानझाओ मिलिट्री रीजन पड़ता है। पुनर्गठन के बाद इन दोनों मिलिट्री रीजन की जगह वेस्ट कमांड ले लेगा। इस क्षेत्र की पूरी निगरानी इसी एक कमांड के जिम्मे रहेगी। इससे चीनी सेना की ताकत और बढ़ जाएगी। आगे पढ़ें, तीनों सेनाओं के बीच तालमेल में भारत रहा है नाकाम -
जहां तक भारत की बात है तो वह सेना के तीनों अंगों के बीच बेहतर तालमेल स्थापित करने में नाकाम रहा है। 1999 के कारगिल युद्ध में भी यही कमी उभरकर सामने आई थी। 2001 में लालकृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में नेशनल सिक्योरिटी सिस्टम में बदलाव की बात कही गई थी।
