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भारत की संस्कृति और परंपराओं में पेड़ों को हमेशा पूजनीय स्थान मिला है। खासकर पीपल का पेड़, जिसे सनातन धर्म में दिव्यता का प्रतीक माना गया है। पीपल की पूजा करना और उसकी परिक्रमा लगाना सिर्फ धार्मिक आस्था तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके पीछे छिपा है एक गहरा वैज्ञानिक और स्वास्थ्य संबंधी कारण। (Express Photo)
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धार्मिक दृष्टिकोण से पीपल की परिक्रमा का महत्व
हिंदू धर्म में यह मान्यता है कि पीपल के वृक्ष में सभी देवी-देवताओं का वास होता है, खासकर शिव, विष्णु, ब्रह्मा, और शनिदेव। स्कंद पुराण में इसका विस्तार से उल्लेख किया गया है। (Photo Source: Pexels) -
पीपल की परिक्रमा करना ‘प्रदक्षिणा’ कहलाता है, जो षोडशोपचार पूजा का हिस्सा है। मान्यता है कि जो भक्त श्रद्धा से पीपल की परिक्रमा करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। (Express Photo)
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मानसिक शांति के लिए चमत्कारी उपाय
प्राचीन ऋषियों का मानना था कि यदि प्रतिदिन या सप्ताह में नियमित रूप से पीपल की परिक्रमा की जाए, तो मानसिक तनाव कम होता है, नकारात्मक विचार दूर होते हैं और मन को शांति मिलती है। (Express Photo)
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वैदिक आचार्य महर्षि शौनक ने भी पीपल की पूजा और परिक्रमा को आत्मिक शुद्धि और मानसिक संतुलन के लिए जरूरी बताया है। विशेषकर सुबह के ब्रह्ममुहूर्त में तीन या सात बार परिक्रमा करने से विशेष लाभ होता है। (Photo Source: Pexels)
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वैज्ञानिक कारण – ऑक्सीजन का स्रोत
पीपल का पेड़ दिन ही नहीं, बल्कि रात में भी ऑक्सीजन छोड़ता है, जो इसे अन्य वृक्षों से अलग बनाता है। इस वैज्ञानिक गुण के कारण पीपल के पेड़ के पास घूमने या परिक्रमा करने से फेफड़ों को स्वच्छ हवा मिलती है और शरीर में ऑक्सीजन का स्तर बेहतर होता है। (Express Photo) -
आयुर्वेद के प्रसिद्ध ग्रन्थ चरक संहिता के अनुसार, अगर शरीर में वात, पित्त और कफ का संतुलन बना रहे तो व्यक्ति स्वस्थ रहता है। ‘ओम नमः शिवाय’ मंत्र के जाप के साथ परिक्रमा करने से यह संतुलन प्राप्त होता है। (Photo Source: Pexels)
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शनि दोष को शांत करने का उपाय
ज्योतिष के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि दोष है, तो उसे हर शनिवार और अमावस्या के दिन पीपल की सात बार परिक्रमा करनी चाहिए। (Photo Source: Pexels)
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साथ ही, पीपल के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाना अत्यंत फलदायी माना गया है। इससे शनिदेव प्रसन्न होते हैं और जीवन में आ रही बाधाएं धीरे-धीरे समाप्त होने लगती हैं। (Express Photo)
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आर्थिक समस्याओं से मुक्ति
मान्यता है कि नियमित रूप से पीपल के पेड़ की परिक्रमा करने से आर्थिक संकट दूर होते हैं और जीवन में स्थिरता आती है। माता लक्ष्मी का वास भी पीपल वृक्ष में माना गया है, इसलिए शनिवार के दिन पीपल पर जल चढ़ाने और दीपक जलाने से धन-लाभ और समृद्धि प्राप्त होती है। (Photo Source: Pexels) -
जन्म नक्षत्र के अनुसार परिक्रमा का लाभ
ज्योतिष में बताया गया है कि अलग-अलग नक्षत्रों के अनुसार पीपल की परिक्रमा का दिन और संख्या तय की गई है: रविवार (सूर्य नक्षत्र): 5 परिक्रमा, सोमवार (चंद्र नक्षत्र): 4 परिक्रमा, मंगलवार (मंगल नक्षत्र): 8 परिक्रमा। इस परंपरा के पीछे मान्यता है कि इससे ग्रहदोषों से मुक्ति मिलती है और भाग्य बेहतर होता है। (Express Photo) -
भूत-प्रेत बाधा से रक्षा
कुछ मान्यताओं के अनुसार, पीपल के पेड़ के पास भूत-प्रेत का वास माना जाता है, लेकिन यह विचार अधिकतर डर फैलाने के लिए कहे जाते थे ताकि लोग इस वृक्ष का संरक्षण करें। वास्तविकता यह है कि यह वृक्ष पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी है, इसलिए हमारे पूर्वजों ने इसे ‘पवित्र’ घोषित कर उसकी पूजा और परिक्रमा को धार्मिक कर्मकांड से जोड़ दिया। (Photo Source: Pexels)
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