माथे पर तिलक लगाने की परंपरा हिंदू धर्म में प्राचीन समय से चली आ रही है। यह न केवल धार्मिक विश्वासों से जुड़ा हुआ है, बल्कि इसका वैज्ञानिक महत्व भी है।
तिलक लगाने का प्रचलन पूजा-पाठ, विवाह, शुभ अवसरों और धार्मिक अनुष्ठानों में किया जाता है। आइए जानते हैं इसके धार्मिक और वैज्ञानिक पहलुओं के बारे में।
माना जाता है कि हमारे मस्तक के बीचों-बीच भगवान विष्णु का निवास होता है, और इस स्थान को त्रिवेणी या संगम कहा जाता है। यहीं पर तीन नाड़ियां—इड़ा, पिंगला और सुषुम्ना—आपस में मिलती हैं, जो हमारे शरीर के ऊर्जा के प्रवाह को नियंत्रित करती हैं।
इसलिए इस स्थान पर तिलक लगाने से मानसिक शांति और ध्यान की स्थिति प्राप्त होती है। महिलाओं द्वारा माथे पर कुमकुम का तिलक लगाने की परंपरा भी जुड़ी हुई है, जो उनके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और देवी के आशीर्वाद का प्रतीक माना जाता है।
माथे के बीच स्थित यह स्थान आज्ञाचक्र (Third Eye Chakra) कहलाता है, जो हमारे मस्तिष्क के केंद्र से संबंधित होता है। आज्ञाचक्र का स्थान पीनियल ग्रंथि के निकट होता है, जो हमारे शरीर का प्रमुख ऊर्जा केंद्र है।
जब इस स्थान पर तिलक किया जाता है, तो पीनियल ग्रंथि को उद्दीप्त किया जाता है, जिससे मानसिक शांति, एकाग्रता और मानसिक शक्ति में वृद्धि होती है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से, तिलक लगाने से मस्तिष्क में सेराटोनिन और बीटाएंडोरफिन जैसे रसायन उत्पन्न होते हैं, जो मानसिक तनाव को कम करने में मदद करते हैं।
यह शांति और संतुलन की स्थिति पैदा करता है, जिससे व्यक्ति में सकारात्मक सोच और मानसिक तरावट बनी रहती है।
चंदन को शीतलता और शांति देने वाला माना जाता है। यह मस्तिष्क को ठंडा और शांत रखता है, साथ ही व्यक्ति की मानसिक थकावट को कम करता है।
महिलाएं विशेष रूप से विवाह के बाद कुमकुम का तिलक लगाती हैं, जो ऊर्जा और स्फूर्ति का प्रतीक है। यह सौंदर्य में भी वृद्धि करता है।
यह शिव भक्तों द्वारा लगाया जाता है, जो मोहमाया से दूर रहने का प्रतीक है।
हल्दी का तिलक सौभाग्य और शुद्धता का प्रतीक होता है।
माथे पर तिलक लगाने से न केवल शरीर में ऊर्जा का संतुलन स्थापित होता है, बल्कि यह व्यक्ति की मानसिक स्थिति को भी नियंत्रित करता है। यह तंत्रिका तंत्र को शांत करता है, गुस्से को नियंत्रित करता है, और ध्यान केंद्रित करने की क्षमता बढ़ाता है।
इस प्रकार, तिलक न केवल धार्मिक रीति-रिवाजों का हिस्सा है, बल्कि यह मानसिक और शारीरिक शांति के लिए भी अत्यंत लाभकारी है। इस प्रकार, माथे पर तिलक लगाने की प्रथा का धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों ही दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण स्थान है।