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भारत का पड़ोसी देश बांग्लादेश इस वक्त आरक्षण की आग में जल रहा है। इस वक्त हाल यह है कि आरक्षण को लेकर पूरे बांग्लादेश में लोग सड़कों पर हैं। प्रदर्शनकारी छात्र सरकारी नौकरी में आरक्षण की मांग को लेकर सड़कों पर हैं। इस विरोध प्रदर्शन में करीब 133 लोगों की मौत हो गई है और कई लोग घायल हुए हैं। इस बीच प्रधानमंत्री शेख हसीना ने पूरे देश में कर्फ्यू का ऐलान कर दिया है। (REUTERS)
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बांग्लादेश में जारी इस प्रदर्शन के बीच एक शब्द ने हिंसा को और भी ज्यादा भड़का दिया है। ये शब्द ‘रजाकार’ है। ऐसे में आइए जानते हैं क्या है रजाकार शब्द और इसका इतिहास? (REUTERS)
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आगे बढ़ने से पहले बता दें कि, बांग्लादेश में प्रदर्शन और हिंसा की मुख्य वजह सरकारी नौकरी में आरक्षण को लेकर है। यहां दो गुट विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। एक गुट वो है जो सरकारी नौकरी में 1971 में हुई आज़ादी की लड़ाई में शामिल लोगों के वंशजों को मिल रहे आरक्षण को जारी रखने के लिए प्रदर्शन कर रहा है। (REUTERS)
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वहीं, दूसरा गुट सरकारी नौकरी में इस तरह के आरक्षण को जारी रखने के खिलाफ है। ये प्रदर्शनकारी आरक्षण को पूरी तरह से खत्म करने के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं। (REUTERS)
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बांग्लादेश में सरकारी नौकरी में स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा ले चुके लोगों के वंशजों को 30 फीसदी आरक्षण दिए जाने का प्रावधान है और 10 फीसदी महिलाओं के लिए आरक्षण रखा गया है। (REUTERS)
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वहीं, जिला कोटा के तहत पिछड़े जिलों में रहने वालों के लिए 10 फीसदी का रिजर्वेशन मिलता है। धर्म के आधार पर अल्पसंख्यकों को 5 फीसदी और विकलांगों को एक फीसदी रिजर्वेशन मिलने का प्रावधान है। (REUTERS)
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साल 2018 में बांग्लादेश में हिंसक विरोध प्रदर्शन हुआ था जिसके बाद शेख हसीना सरकार ने उच्च श्रेणी की नौकरियों में आरक्षण व्यवस्था को खत्म कर दिया था। इसके बाद से देश में लगातार आरक्षण को लेकर विरोध प्रदर्शन होते रहे हैं। (REUTERS)
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इसी साल 5 जून को बांग्लादेश हाईकोर्ट ने आरक्षण को लेकर एक याचिका पर फैसला सुनाते हुए इसे रद्द कर दिया। जिसके बाद अब फिर से सरकारी नौकरियों में आरक्षण लागू हो जाएगा। इसी के बाद से बांग्लादेश में प्रदर्शन और तेज शुरू हो गया। (REUTERS)
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बांग्लादेश में हाल यह है कि एक धड़ा चाहता है कि रिजर्वेशन खत्म हो तो दूसरा धड़ा चाहता है कि आरक्षण जस का तस चलता रहे। लेकिन इसी के बीच ‘रजाकार’ शब्द की एंट्री हुई है जिसने इस प्रदर्शन में आग लगाने की काम किया है। (REUTERS)
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दरअसल, 14 जुलाई को बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने एक बयान में कहा कि, यदि स्वतंत्रता सेनानियों के पोते-पोतियों को कोटा का लाभ नहीं मिलेगा तो किसे मिलेगा। राजकारों के पोते-पोतियों को। उनके इस बयान के बाद प्रदर्शनकारी छात्रों ने ‘तुई के, अमी के रजाकार, रजाकार’ के नारे लगाने शुरू कर दिए। (REUTERS)
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इसके बाद देश में भारी विवाद खड़ा हो गया। प्रदर्शनकारियों ने सरकारी टीवी स्टेशन में आग लगा दी। इसके बाद सरकार ने रेल सेवाओं को बंद कर दिया। कई हिस्सों में मोबाइल इंटरनेट बंद कर दिया और स्कूल कॉलेज भी अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं। (REUTERS)
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रजाकार बांग्लादेश मुक्ति युद्ध के दौरान पाकिस्तानी सेना द्वारा गठित एक क्रूर अर्धसैनिक बल था। 1971 में पाकिस्तान ने तीन मुख्य मिलिशिया बनाए थे ‘रजाकार, अल-बद्र और अल-शम्स’। इन तीनों मिलिशिया समूहों ने बांग्लादेश में नरसंहार किए और बलात्कार, प्रताड़ना, हत्या जैसी जघन्य अपराध किए। (REUTERS)
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रजाकारों ने मुक्ति संग्रामियों और बांग्लादेश के लोगों के खिलाफ अत्याचार किया था। आज भी ये शब्द बांग्लादेश में एक अपमानजनक शब्द है और इसका इस्तेमाल देशद्रोहियों और अत्याचारियों के लिए किया जाता है। ‘रजाकार’ का अर्थ होता है स्वयंसेवक या सहायक। पाकिस्तानी सेना के लिए राजकारों ने जासूसी का काम किया था। (REUTERS)