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सनातन धर्म में पूजा-पाठ के बाद आरती का विशेष महत्व है। बिना आरती के पूजा संपन्न नहीं मानी जाती है। किसी भी शुभ काम से पहले पूजा-पाठ के बाद आरती की जाती है। इसके साथ ही काफी लोग अपने घर में भी आरती करते हैं। (Photo: Unsplash) मंदिर या फिर वृक्षों के चारों ओर परिक्रमा क्यों करते हैं? क्या कहते हैं इसे
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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जिस घर में नियमित आरती होती है वहां पर सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है। साथ ही घर में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है। (Photo: Pexles)
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पूजा में देवी-देवताओं की आरती करना आवश्यक माना गया है। आरती को लेकर कुछ नियम भी हैं। अगर नियमानुसार नहीं किया गया तो पूजा का फल नहीं मिलता है। (Photo: Unsplash)
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कितने प्रकार की आरती होती है
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार मुख्य रूप से आरती सात प्रकार की होती है। पहली मंगला आरती होती है जो सुबह जल्दी की जाती है। पूजा आरती जो पूजा के दौरान की जाती है। इसके बाद तीसरी श्रृंगार आरती होती है जो भगवान के श्रृंगार के बाद की जाती है। चौथी भोग आरती होती है जिसे भगवान को भोग अर्पित के दौरान की जाती है। पांचवी धूप आरती जो धूप दिखाने के बाद की जाती है। छठी संध्या आरती होती है जो शाम के समय की जाती है। (Photo: Unsplash) शाम के वक्त घर में क्यों जलाया जाता है कपूर का तेल और लौंग -
आरती के नियम
मुख्य रूप से आरती के चार नियम बताए गए हैं। मान्यताओं के अनुसार आरती हमेशा श्रद्धा, भक्ति भाव और नियम से करनी चाहिए तभी उसका फल मिलता है। (Photo: Pexles) -
1- नियम
आरती की शुरुआत भगवान के चरणों से करनी चाहिए। इस दौरान भगवान के चरणों में आरती की थाल को चार बार घुमाना चाहिए। यह भगवान के चरणों में खुद को समर्पित करने की ओर इशारा माना जाता है। (Photo: Pexles) -
2- नियम
इसके बाद आरती की थाली को भगवान की नाभि के पास दो बार घुमाना चाहिए। मान्यताओं के अनुसार भगवान ब्रह्मा का जन्म भगवान विष्णु की नाभि से हुआ था। ऐसे में भगवान के चरणों को नमन करने के बाद नाभि की पूजा की जाती है। (Photo: Unsplash) स्वाहा क्यों बोला जाता है? क्या इसके बिना अधूरी होती है पूजा, जानें क्या है महत्व -
3- नियम
नाभि पर दो बार आरती की थाल घुमाने के बाद भगवान के मुखमंडल के सामने एक बार थाल को घुमाना चाहिए। (Photo: Pexles) -
4- नियम
अंत में आरती की थाली को भगवान के पूरे शरीर पर सात बार घुमाना चाहिए। इसके बाद ही आरती संपूर्ण मानी जाती है। (Photo: Unsplash) -
क्यों किया जाता है ऐसे
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस तरह कुल 14 बार आरती घुमाने से चौदह भुवनों तक उपासक की भक्ति पहुंचती है। (Photo: Unsplash) -
यह भी रखें ध्यान
आरती हमेशा खड़े होकर और थोड़ा झुककर करना चाहिए। इसके साथ ही आरती की थाली सही धातु (तांबा, पीतल या चांदी) की होनी चाहिए। (Photo: Pexles) रुद्राक्ष धारण करने के बाद किन-किन नियमों का करना होता है पालन