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हिंदू धर्म में पूजा में पत्तों का विशेष महत्व है। देवी-देवताओं की पूजा सहित विभिन्न मांगलिक कार्यों में विभिन्न प्रकार के पत्तों का उपयोग किया जाता है। कहा जाता है कि इन पत्तों के न केवल धार्मिक बल्कि ज्योतिषीय लाभ भी हैं। मान्यताओं के अनुसार, पूजा में इन पत्तों को भगवान को अर्पित करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं, शुभ फल प्राप्त होते हैं और घर से नेगेटिविटी दूर होती है। चलिए जानते हैं इन 7 पत्तों के बारे में और इनका देवी-देवताओं से क्या संबंध है।
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तुलसी का पत्ता
भगवान विष्णु को तुलसी का पत्ता बहुत प्रिय है। तुलसी के पत्ते भगवान विष्णु और उनके अवतारों जैसे श्रीकृष्ण को अर्पित किए जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि जिस घर में तुलसी का पौधा होता है वहां किसी भी प्रकार का दुख या दुर्भाग्य नहीं आता है। हिंदू धर्म में जल को पवित्र करने के लिए उसमें तुलसी दल डाला जाता है और इस पत्ते का धार्मिक एवं औषधीय महत्व भी है। -
केले का पत्ता
केले के पत्तों का उपयोग न केवल पूजा-पाठ और अन्य मांगलिक कार्यक्रमों में किया जाता है, बल्कि इसके पौधे की पूजा भी की जाती है। ऐसा माना जाता है कि केले के पत्ते में भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी का वास होता है और इसलिए हर शुभ अवसर पर केले के पौधे और पत्तों की पूजा की जाती है। -
आम का पत्ता
आम के पत्ते का इस्तेमाल लगभग हर मांगलिक कार्य के दौरान किया जाता है। इसे पूजा में कलश के ऊपर रखा जाता है और इसे दरवाजों पर तोरण बनाकर भी लटकाया जाता है। ऐसा करने से घर की नेगेटिविटी दूर होती है और बाधाएं खत्म होती है। -
शमी का पत्ता
हर रोज भगवान शिव को शमी का पत्ता अर्पित करना भी शुभ माना जाता है। वहीं, शनिवार के दिन इस पत्ते को भगवान शनि को भी अर्पित किया जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस पौधे की पूजा करने से शनि दोष से छुटकारा मिलता है। -
पान का पत्ता
पान के पत्ते को भी पवित्रता का प्रतीक माना जाता है। इस पत्ते का संबंध बुध ग्रह से होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पूजा-पाठ के दौरान देवी-देवताओं को पान का पत्ता अर्पित करने से पूजा का पूर्ण फल प्राप्त होता है। -
बेल का पत्ता
भगवान शिव को बेलपत्र अर्पित करना शुभ माना जाता है। बेल को बिल्व भी कहते हैं। माना जाता है कि इसे अर्पित करने से शिव जी प्रसन्न होते हैं और भक्त की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। -
दूर्वा (दूब) घास
हिंदू धर्म में दूर्वा यानि दूब को बहुत पवित्र घास की तरह पूजा जाता है। इस पवित्र घास का इस्तेमाल मुख्य रूप से गणपति की पूजा में किया जाता है। गणेश चतुर्थी और अन्य पूजा अनुष्ठानों में दूर्वा का प्रयोग विशेष रूप से किया जाता है।
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