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दिल्ली की पूर्व सीएम शीला दीक्षित का शनिवार (20 जुलाई, 2019) को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। 81 वर्षीय कांग्रेसी नेता लंबे वक्त से बीमार थीं। उनका अचानक यूं अनंत सफर पर चले जाना न केवल राजधानी वालों के लिए झटका है, बल्कि समूची कांग्रेस और गांधी परिवार के लिए भी बड़ी क्षति माना जा रहा है। ऐसा इसलिए, क्योंकि राजधानी में लोगों के बीच प्यारी दादी के नाम से मशहूर शीला ने 15 सालों में मुख्यमंत्री रहते हुए दिल्ली की तस्वीर बदलकर रख दी। सड़क, फ्लाईओवर से लेकर परिवहन व्यवस्था को दुरुस्त किया। शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में भी उनकी सरकार ने सराहनीय काम किया। काम के चलते खूब नाम भी कमाया, वह भी ऐसा कि विरोधी भी कायल हुए। इतना ही नहीं, कांग्रेस जब-जब कमजोर पड़ी, तब-तब उन्होंने मोर्चा संभाला और पार्टी में नई जान फूंकने के लिए प्रयास किए। जानिए उन्हीं से जुड़ी कुछ रोचक बातें:
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पंजाब के कपूरथला में 31 मार्च 1938 को पैदा हुईं 81 साल की शीला यूपी में दिवंगत कांग्रेसी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री शंकर दीक्षित की बहू थीं।
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दिवंगत कांग्रेसी नेत्री दिल्ली यूनिवर्सिटी के नॉर्थ कैंपस स्थित मिरांडा हाऊस कॉलेस से पढ़ी थीं। उन्होंने वहां से इतिहास में पीजी किया था, जबकि डीयू से ही आगे फिलॉसफी में डॉक्टरेट की डिग्री हासिल की थी।
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कहा जाता है कि पूर्व पीएम इंदिरा गांधी भी उनकी प्रशासनिक कार्यशैली और क्षमता की कायल थीं, लिहाजा उन्होंने यूनाइटेड नेशंस कमिशन के एक कार्यक्रम में शीला को भारत का प्रतिनिधि बनाकर भेजा था, जहां उन्होंने 1984 से 1989 के बीच देश का प्रतिनिधित्व किया।
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शीला के पति विनोद दीक्षित आईएएस अफसर थे, जो कि तत्कालीन पीएम राजीव गांधी के करीबी माने जाते थे। हालांकि, 1984 में राजीव गांधी की सरकार में शीला के मंत्री बनने के पहले ही दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया था।
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तत्कालीन राजीव गांधी सरकार में शीला को संसदीय मामलों का राज्य मंत्री बनाया गया था और उसके बाद उन्हें पीएमओ में राज्य मंत्री की जिम्मेदारी सौंपी गई। यह काम उन्होंने 1989 तक संभाला था।
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35 सालों के राजनीतिक सफर में शीला को जेल भी जाना पड़ा था। बात 1990 की है, तब वह यूपी सरकार के 82 सहयोगियों के साथ 23 दिन जेल में रही थीं। दरअसल, सूबे में तब किसी महिला के साथ हिंसा हुई थी, उसी को लेकर शीला और उनके साथियों ने आंदोलन चलाया था, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था।
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मौजूदा यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी की वह करीबी मानी जाती थीं। मार्च 2014 में उन्हें केरल का राज्यपाल नियुक्त किया गया था। हालांकि, पांच महीने बाद उनसे इस्तीफा (मोदी सरकार में) मांग लिया गया था।
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राजनीति के अलावा उन्हें कला से भी खासा लगाव था। निजी जिंदगी में वह बेहद आत्मनिर्भर और आत्मविश्वास से लबरेज महिला थीं। (सभी तस्वीरेंः एक्सप्रेस आर्काइव)
