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केंद्रीय रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने रेल बजट पेश करने की तैयारियां तेज कर दी हैं। पिछले बजट में उन्होंने किराया नहीं बढ़ाया था। लेकिन उसके बाद से नियम बदल कर आधा दर्जन से भी अधिक बार सफर महंगा कर चुके हैं। रेलवे के पास पैसे की किल्लत देखते हुए लगता है, इस बार भी उनकी नीति ऐसी ही रहने वाली है। बजट के बाद अलग-अलग तरीके से किराया बढ़ाने का तरीका इसलिए भी सरकार को मुफीद लगता है, क्योंकि इससे बजट के तत्काल बाद उसकी आलोचना नहीं होती। बाद में नियम बदल देने से लोगों का ध्यान उस ओर नहीं जाता और उस पर तीखी प्रतिक्रिया नहीं होती। फिलहाल, आगे की स्लाइड्स पर देखिए कब-कब और कैसे सरकार ने रेल यात्रियों की जेब हल्की की है।
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25 दिसंबर 2015 को रेलवे ने तत्काल किराए में इजाफा किया। सरकार ने तत्काल चार्ज में 33 फीसदी तक का इजाफा कर दिया। एसी थ्री टियर के लिए न्यूनतम तत्काल चार्ज 250 से बढ़ाकर 300 जबकि अधिकतम चार्ज 350 से बढ़ाकर 400 रुपए कर दिया गया। एसी टू टियर के लिए न्यूनतम तत्काल चार्ज 300 से बढ़ाकर 400 जबकि अधिकतम 400 से बढाकर 500 रुपए कर दिया। इसी तरह स्लीपर क्लास के तत्काल किराए में बढ़ोत्तरी करते हुए न्यूनतम 90 से बढ़ाकर जबकि अधिकतम 175 से बढ़ाकर 200 कर दिया गया।
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20 नवंबर को रेलवे ने न्यूनतम ट्रेन किराया पांच रुपए से बढ़ाकर दस रुपए कर दिया गया। सरकार गैर उप महानगरीय ट्रेन सेवाओं को प्लेटफॉर्म टिकट के बराबर करना चाहती थी।
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15 नवंबर 2015 को कर योग्य सेवाओं पर 0.5 फीसदी का स्वच्छ भारत सेस (उपकर) लागू हो गया। इस उपकर के लगने से रेस्तरां में खाना, फोन और यात्रा करना महंगा हो गया। रेलवे के वातानुकूलित यान (एसी) के किराये भी 14 फीसदी सेवाकर और स्वच्छ उपकर लगने से बढ़ गए। 14 फीसद सेवाकर और 0.5 फीसद स्वच्छ उपकर लगने से रेलवे के पहले और सभी एसी दर्जे के किराए 4.35 फीसदी बढ़ गए। हालांकि, 15 नवंबर से पहले जारी टिकटों पर सेवाकर नहीं लागू हुआ। न ही यह साधारण और स्लीपर क्लास के किराए पर। इस वृद्धि के साथ नई दिल्ली से मुंबई तक मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों पर एसी-1 का किराया 206 रुपए बढ़ गया, जबकि नई दिल्ली से हावड़ा तक एसी-3 किराये के लिए यह वृद्धि 102 रुपए की हो गई।
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25 जून 2015 को नरेंद्र मोदी सरकार ने रेलवे के किरायों में बड़ी बढ़ोत्तरी का एलान किया। इसके बाद सभी श्रेणियों के किरायों में 14.2 पर्सेंट की बढ़ोत्तरी हो गई। वहीं, माल ढुलाई भी साढ़े 6 पर्सेंट महंगी हो गई। इस 14.2 पर्सेंट में 4.2 प्रतिशत तो वैरिएबल फ्यूल एडजस्टमेंट कंपोनेंट के नाम पर इजाफा हुआ। वहीं, बाकी का दस प्रतिशत सभी श्रेणी के किराए में बढ़ोत्तरी हुई।
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एक जून 2015 से सर्विस टैक्स की नई दर लागू होने से रेलगाड़ियों में प्रथम श्रेणी और एसी श्रेणी का यात्री किराया और मालभाड़ा 0.5 फीसद बढ़ गया। इससे पहले तक एसी श्रेणी, प्रथम श्रेणी और मालभाड़े पर 3.7 फीसदी सर्विस टैक्स लगाया जाता है। एक जून से 0.5 फीसदी वृद्धि के साथ यह 4.2 फीसदी हो गया। सवारी किराया खंड में सर्विस टैक्स में बढ़ोतरी सिर्फ एसी और प्रथम श्रेणी पर लागू हुई। मालभाड़ा खंड में सभी तरह के सामान पर बढ़ी सर्विस टैक्स की दरें लागू हुईं। यानी अगर एसी का फेयर 1 हजार रुपए था तो किराया 10 रुपए महंगा हो गया।
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अप्रैल 2015 से सरकार ने रेल बजट में प्लेटफॉर्म टिकट का किराया पांच रुपए से बढ़ाकर दस रुपए करने का फैसला किया।
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10 अप्रैल 2016 से बच्चों का रेल किराया भी बढ़ जाएगा। अब तक ट्रेन में बच्चों के आधा किराया देने पर बच्चों को सीट मिल जाती थी, दिसंबर में रेल मंत्रालय की ओऱ से 5 से 11 साल तक के बच्चों के किराए के नियम में बदलाव किया गया। नए नियम के मुताबिक ट्रेन में यात्रा कर रहे 5 से 11 साल के बच्चों का उनके पेरेंट्स को आधा किराया तो भरना पड़ेगा लेकिन उन्हें कमफर्म सीट नहीं मिलेगी। नई पॉलिसी के मुताबिक अब अगर किसी बच्चे के पेरेंट्स को उसके लिए सीट चाहिए तो उन्हें पूरा किराया भरना पड़ेगा। रेलवे मंत्रालय की ओऱ से जारी नया नियम 10 अप्रैल 2016 से लागू होगा।
