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पूर्व केन्द्रीय वित्त मंत्री का पूरा नाम पालानियप्पन चिदम्बरम है। (EXPRESS ARCHIVE)
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पेशे से वकील, कपलि सिब्बल कांग्रेस के संकटमोचक कहे जाते हैं। उन्होंने यूपीए सरकार में कई महत्वपूर्ण मंत्रालय संभाले हैं। विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय, फिर मानव संसाधन विकास मंत्रालय, संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी, फिर उसके बाद कानून एवं न्याय मंत्रालय का जिम्मा संभालने का अनुभव सिब्बल के पास है। जुलाई 1998 में पहली बार सिब्बल बिहार से राज्यसभा के लिए चुने गए। 2004 के लोकसभा चुनावों में सिब्बल दिल्ली की चांदनी चौक सीट से जीतकर लोकसभा पहुंचे थे। मगर 2014 के चुनावों में वह तीसरी पायदान पर खिसक गए। (EXPRESS ARCHIVE)
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एक अर्थशास्त्री के तौर पर जयराम रमेश की अलग पहचान हैं। वह जून 2004 से राज्यसभा में आंध्र प्रदेश का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। जुलाई 2011 में जयराम रमेश को कैबिनेट मंत्री बनाया गया ग्रामीण विकास मंत्रालय का जिम्मा सौंपा गया। इससे पहले मई 2009 से जुलाई 2011 तक वह पर्यावरण एवं वन मंत्रालय का जिम्मा संभाल रहे थे। इस दौरान उनके कई फैसलों ने सुर्खियां बटोरी। (AGENCY)
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अम्बिका सोनी वर्तमान में पंजाब से राज्यसभा सांसद हैं। 1969 में कांग्रेस के बिखराव के वक्त इंदिरा गांधी उन्हें पार्टी में लेकर आई थीं। अम्बिका की इंदिरा गांधी से पुरानी दोस्ती थी और वह पंडित जवाहर लाल नेहरू के साथ भी काम कर चुकी हैं। 1975 में वह यूथ कांग्रेस की अध्यक्ष चुनी गईं जहां उन्होंने संजय गांधी के साथ काम किया। मार्च, 1976 में अम्बिका को राज्यसभा के लिए चुना गया। उसके बाद वह पार्टी में विभिन्न पदों पर रहीं। 2000 में, अम्बिका को फिर राज्यसभा भेजा गया, मगर उन्होंने 10 जून, 2004 को सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। जुलाई 2004 में उन्हेंं फिर से राज्यसभा के लिए चुना गया। जनवरी 2006 से 22 मई 2009 तक अम्बिका यूपीए सरकार में पर्यटन मंत्री रहीं। यूपीए टूू में उन्हें सूचना और प्रसारण मंत्रालय का जिम्मा सौंपा गया। जुलाई 2010 में उन्हें कांग्रेस ने फिर राज्यसभा सांसद बनने के लिए नामित किया। (AGENCY)
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वरिष्ठ कांग्रेस नेता ऑस्कर फर्नांडीज पूर्व केन्द्रीय मंत्री रह चुके हैं। वह सोनिया गांधी के काफी करीबी और भरोसेमंद नेता माने जाते हैं। कांग्रेस पार्टी के सभी बड़े फैसलों में फर्नांडीज की अहम भूमिका रहती है क्योंकि वह ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी की केन्द्रीय चुनावी संगठन के मुखिया हैं। वह 1980 में कर्नाटक के उड़ुपी से जीतकर लोकसभा पहुंचे थे। 1984, 1989, 1991 और 1996 में इसी सीट से लगातार चुने जाते रहे। 1998 में उन्हें राज्यसभा के लिए चुना गया। 2004 में फिर वह राज्यसभा सांसद बनाए गए। 2004-09 तक वह केन्द्रीय मंत्री रहे। (AGENCY)
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प्रदीप तमता उत्तराखंड कांग्रेस के नेता हैं। वह 15वीं लोकसभा में अलमोड़ा सीट से लोकसभा सांसद चुने गए थे। लेकिन 2012 के चुनावों में वह अजय तमटा से हार गए। वह 2002-2007 के बीच उत्तराखंड विधानसभा के सदस्य भी रह चुके हैं। प्रदीप का जन्म उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में हुआ है। उन्होंने नैनीताल की कुमाऊं यूनिवर्सिटी से एमए, एलएलबी और बीएड किया है। (FACEBOOK)
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विवेक सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवाेकेट हैं। वह कई सामाजिक संगठनों और रोटरी क्लब से भी जुड़े हुए हैं। विजयलक्ष्मी साधौ की खाली हाे रही सीट की जगह उन्हें मौका दिया जा रहा है। कानून के बड़े जानकार विवेक एडिशनल सालिसिटर जनरल भी रह चुके हैं। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के कार्यकाल में वे महाधिवक्ता भी रह चुके हैं। वर्ष 2014 में उन्हें कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में अपना उम्मीदवार बनाया था पर वे जबलपुर सीट पर राकेश सिंह से हार गए थे। गांधी परिवार और अजय नारायण मुश्रान के परिवार से करीबी संबंध के साथ ही उन्हें कानून के गहन जानकारों में गिना जाता है। (Google +)
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छत्तीसगढ़ की कांग्रेस नेत्री छाया वर्मा जमीन से जुड़ी हुई नेता मानी जाती हैं। धमतरी जिला प्रभारी छाया वर्मा उस वक्त सुर्खियों में आईं जब 2014 लोकसभा चुनाव में उन्हें रायपुर से टिकट दिया गया था, लेकिन पार्टी ने एेन मौके पर उनके बदले सत्यनारायण शर्मा को उम्मीदवार घोषित कर दिया। (FACEBOOK)