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सावन का महीना, जो कि इस वर्ष 11 जुलाई 2025 से शुरू हो गया है, धार्मिक रूप से भगवान शिव की भक्ति का प्रतीक माना जाता है। इस माह में भक्त उपवास रखते हैं, सात्विक आहार अपनाते हैं और नॉन-वेज से परहेज करते हैं। (Photo Source: Pexels)
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लेकिन क्या आपने कभी गौर किया है कि इस महीने में कढ़ी और हरी पत्तेदार सब्जियों (साग) को भी न खाने की सलाह दी जाती है? यह केवल धार्मिक परंपरा नहीं है, बल्कि इसके पीछे गहरे आयुर्वेदिक और वैज्ञानिक कारण छिपे हुए हैं। (Photo Source: Pexels)
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सावन का मौसम और शरीर पर इसका प्रभाव
सावन में वातावरण में अत्यधिक नमी होती है, जिससे शरीर की पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है। सूर्य की किरणें कम तीव्र होती हैं, जिससे पाचन अग्नि मंद पड़ जाती है। ऐसे समय में भारी, ठंडे और एसिडिक फूड का सेवन पाचन संबंधी समस्याएं जैसे गैस, अपच, एसिडिटी और डायरिया को बढ़ावा दे सकता है। (Photo Source: Pexels)
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कढ़ी क्यों नहीं खानी चाहिए?
कढ़ी आमतौर पर बेसन और छाछ से बनती है, जो दोनों ही स्वाभाव से ठंडे होते हैं। सावन में गायें गीली घास खाती हैं जिससे दूध और उससे बनी छाछ की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है। छाछ और बेसन का मिश्रण इस मौसम में एसिडिक और भारी माना जाता है, जिसे पचाना कठिन हो सकता है। आयुर्वेद के अनुसार, इस मौसम में खट्टे और भारी भोजनों से बचना चाहिए। (Photo Source: Pexels) -
साग खाने से क्यों करना चाहिए परहेज?
हरी पत्तेदार सब्जियों में फाइबर की मात्रा अधिक होती है, जो मानसून में कमजोर पाचन तंत्र के लिए मुश्किल पैदा कर सकती है। इसके अलावा, बारिश के मौसम में नमी के कारण बैक्टीरिया, कीटाणु और वायरस तेजी से फैलते हैं, और ये हरी सब्जियों पर आसानी से पनपते हैं। ऐसे में इन्हें अच्छी तरह धोने के बावजूद संक्रमण का खतरा बना रहता है। (Photo Source: Pexels) -
आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से परहेज का कारण
आयुर्वेद के अनुसार, मानसून के समय वात और पित्त दोष असंतुलित होते हैं। खट्टी चीजें (जैसे कढ़ी) पित्त को और अधिक उत्तेजित करती हैं, वहीं भारी व ठंडी चीजें (जैसे साग) पाचन में अवरोध उत्पन्न करती हैं। इससे शरीर में अपच, एसिडिटी, आलस और त्वचा संबंधी समस्याएं बढ़ सकती हैं। (Photo Source: Pexels)
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सावन में क्या खाना चाहिए?
सावन के दौरान हल्का, डाइजेस्टिबल और पोषक आहार सबसे उचित होता है। जैसे: मौसमी फल (सेब, अनार, पपीता), उबली या स्टीम की गई सब्जियां, साबुत अनाज (जौ, बाजरा), दूध और देसी घी, मेवे और बीज (बादाम, अखरोट, अलसी), और हर्बल चाय या गर्म पानी। (Photo Source: Pexels) -
अगर आप हल्का भोजन करना चाहते हैं, तो दाल का पानी, मूंग की दाल, हरी सब्जियों का सूप, सादी खिचड़ी और लौकी जैसी सब्जियों एकदम परफेक्ट ऑप्शन है। यह फूड्स न केवल पाचन को मजबूत बनाते हैं, बल्कि सावन में उपवास रखने वालों के लिए ऊर्जा का अच्छा स्रोत भी साबित होते हैं। (Photo Source: Pexels)
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परंपरा में छिपा विज्ञान
सावन में साग और कढ़ी न खाने की परंपरा सिर्फ धार्मिक आस्था नहीं है, बल्कि इसके पीछे शरीर विज्ञान, आयुर्वेद और मौसम के अनुरूप आहार की समझ भी छिपी है। यदि हम अपने खानपान में इन बातों को ध्यान में रखें, तो यह न सिर्फ हमारी पाचन क्रिया को बेहतर बनाएगा, बल्कि बीमारियों से बचाव में भी मददगार होगा। (Photo Source: Pexels)
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