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मायावती (Mayawati) ने राजा भैया (Raja Bhiya) के संपत्ति और हीरे-जवाहरात भी सरकारी कब्जे में ले लिया था। लेकिन मुलायम ने भदरी रियासत के जेवरात वापस करा दिए थे। राजा भैया भी मुलायम (Mulayam singh Yadav) का अहसान हमेशा मानते रहे हैं, लेकिन बसपा से सपा के गठबंधन के कारण वह सपा से दूर हो गए और अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) से दूरी बना ली। मायावती ने जब सपा से गठबंधन किया तो अखिलेश पर तंज कसने से भी नहीं चूकी थीं।
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बसपा सुप्रीमों मायावती ने पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान कैसरगंज में कहा था कि भाजपा उम्मीदवार बृजभूषण शरण सिंह और कुंडा के राजा भैया जैसे माफिया और गुंडो से कैसे निपटना है, वह अच्छी तरह जानती हैं।
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मायातवी ने अखिलेश यादव को कुंडा के राजा भईया के खिलाफ की गई कार्रवाई को याद दिलाते हुए कहा कि सपा को ही नहीं, भाजपा प्रत्याशी को इससे सबक लेना चाहिये।
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मायावती ने कहा कि यदि अखिलेश यादव उनसे सीख लेते तो राजा भैया की वादा खिलाफी का सामना उन्हें नहीं करना पड़ता।
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मायावती का कहना था कि प्रत्याशियों को डरा-धमका कर चुनाव में ये गुंडे खड़े नहीं होने देते, लेकिन उन्होंने अपनी सरकार में ऐसे गुंडों पर नकेल कस दी थी।
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मायावती ने कहा कि उनकी सरकार में कुंडा का गुंडा लाइन पर खड़ा हो गया था और ये सबक अखिलेश को लेना चाहिए था।
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मुलायम के बाद अखिलेश यादव ने सपा की कमान संभालते ही बसपा से गठबंधन कर लिया था।
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इस गठबंधन से सबसे ज्यादा तकलीफ राजा भैया को हुई थी, क्योंकि बसपा उनकी धुर विरोधी पार्टी हैं।
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मायावती के कारण ही राजा भैया ने अखिलेश यादव से दूरी बना ली और अपना दल बना कर चुनाव लड़े।
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राजा भैया हालांकि यह हमेशा कहते रहे हैं कि उनकी सपा से कोई राजनैतिक मतभेद नहीं है। बस वह बसपा के साथ खड़े नहीं हो सकते।
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राजा भैया का कहना था कि जिस पार्टी के साथ बसपा होगी वह उस जगह नहीं खड़े हो सकते क्योंकि यह उनके नैतिक सिद्धांत के खिलाफ है।
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Photos: Social Media
