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आजकल फिटनेस और हेल्दी लाइफस्टाइल को लेकर जागरूकता बढ़ने के साथ ही ‘शुगर-फ्री डाइट’ का ट्रेंड भी तेजी से बढ़ रहा है। वजन घटाने से लेकर डायबिटीज कंट्रोल और दिल की सेहत तक, इसे एक रामबाण इलाज की तरह प्रस्तुत किया जाता है। लेकिन क्या यह डाइट वाकई इतनी असरदार है, या फिर ये केवल एक अट्रैक्टिव इल्यूजन है? आइए, जानते हैं इसकी सच्चाई। (Photo Source: Freepik)
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क्या है शुगर-फ्री डाइट?
शुगर-फ्री डाइट में आमतौर पर प्रोसेस्ड फूड्स, सॉफ्ट ड्रिंक्स और मिठाइयों में पाए जाने वाले एडेड शुगर को पूरी तरह से हटाया जाता है। इसमें नेचुरल शुगर (जैसे फल या दूध में पाई जाने वाली शर्करा) को कभी-कभी शामिल किया जा सकता है। इसके अलावा स्वाद बनाए रखने के लिए शुगर सब्स्टिट्यूट्स, जैसे कि आर्टिफिशियल या नैचुरल स्वीटनर्स का इस्तेमाल किया जाता है। (Photo Source: Pexels) -
शुगर-फ्री डाइट के फायदे
वजन घटाने में सहायक
एडेड शुगर कम करने से आपकी कैलोरी इनटेक घटती है, जिससे वजन घटाने में मदद मिल सकती है। यह डाइट खासकर उन लोगों के लिए फायदेमंद हो सकती है जो वजन कम करना चाहते हैं और शुगर से बचना चाहते हैं। (Photo Source: Pexels) -
ब्लड शुगर कंट्रोल
शुगर-फ्री डाइट इंसुलिन रेजिस्टेंस या टाइप 2 डायबिटीज वाले लोगों के लिए उपयोगी साबित हो सकती है। यह ब्लड शुगर लेवल को स्थिर करने में मदद करती है और शुगरयुक्त खाद्य पदार्थों से होने वाली स्पाइक और डिप्स को नियंत्रित करती है। (Photo Source: Pexels) -
दिल, लिवर और दांतों के लिए अच्छा
शुगर का सेवन कम करने से हृदय रोग, फैटी लिवर और कुछ प्रकार के कैंसर का खतरा कम हो सकता है। इसके अलावा, यह दांतों के लिए भी फायदेमंद होता है क्योंकि शुगर का सेवन कम करने से दांतों में सड़न का खतरा कम होता है। (Photo Source: Pexels)
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शुगर-फ्री डाइट के नुकसान
आर्टिफिशियल स्वीटनर्स के साइड इफेक्ट्स
शुगर-फ्री डाइट में आर्टिफिशियल स्वीटनर्स का इस्तेमाल किया जाता है जैसे कि एस्पार्टेम या सुक्रालोज। कुछ अध्ययन बताते हैं कि ये स्वीटनर्स गट बैक्टीरिया को प्रभावित कर सकते हैं, क्रेविंग्स को बढ़ा सकते हैं और इंसुलिन सेंसिटिविटी को भी प्रभावित कर सकते हैं। (Photo Source: Pexels) -
पोषण की कमी का खतरा
अगर शुगर से भरे खाद्य पदार्थों को हटा दिया जाए, तो सही विकल्पों का सेवन न करने पर पोषण की कमी हो सकती है। खासकर अगर बिना सोच-समझ के फलों या साबुत अनाज जैसे हेल्दी कार्ब्स भी डाइट से हटा दिए जाएं, तो इससे शरीर को जरूरी फाइबर, विटामिन और मिनरल्स की कमी हो सकती है। (Photo Source: Pexels) -
मेंटल हेल्थ पर असर
शुगर को पूरी तरह त्यागने से व्यक्ति मेंटली तनाव में आ सकता है। यह खाने के विकार (Eating Disorders) या सोशल आइसोलेशन का कारण भी बन सकता है, खासकर जब मिठाई या पार्टी जैसे मौकों पर खुद को रोकना पड़े। कभी-कभी शुगर का सेवन करने पर अपराधबोध (Guilty Feeling) और चिंता महसूस हो सकती है, जो मानसिक स्थिति को बिगाड़ सकती है। (Photo Source: Pexels) -
तो क्या शुगर-फ्री डाइट फायदेमंद है?
शॉर्ट-टर्म में इस डाइट से वजन घटाना और ब्लड शुगर कंट्रोल करना संभव है। लेकिन लंबे समय तक शुगर-फ्री डाइट को अपनाना, खासकर जब उसमें आर्टिफिशियल स्वीटनर्स का अधिक उपयोग हो, तो यह सेहत के लिए हानिकारक भी हो सकता है। रिसर्च में इसके लंबे समय तक असर को लेकर अलग-अलग राय देखने को मिलती है। (Photo Source: Pexels) -
बैलेंस है असली कुंजी
पूरी तरह से शुगर को हटाना जरूरी नहीं है। अगर आप नेचुरल शुगर (जैसे फल) का संतुलित रूप से सेवन करें, फाइबर से भरपूर डाइट लें और प्रोसेस्ड फूड्स से बचें — तो यह एक ज्यादा स्थायी और मानसिक रूप से संतुलित डाइट हो सकती है। (Photo Source: Pexels)
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