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‘ॐ’ यानी ‘ओम्’ न केवल एक धार्मिक मंत्र है, बल्कि यह ऊर्जा, आवृत्ति और कंपन का ऐसा स्रोत है जो हमारे शरीर और मस्तिष्क को गहराई से प्रभावित करता है। आज विज्ञान भी इस बात को मानता है कि ‘ॐ’ के नियमित जाप से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इस लेख में हम जानेंगे कि ‘ॐ’ ध्वनि का कंपन कैसे कार्य करता है और इससे जुड़े वैज्ञानिक लाभ क्या हैं। (Photo Source: Unsplash)
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‘ॐ’ क्या है?
‘ॐ’ संस्कृत का एक बीज मंत्र है, जिसे तीन अक्षरों – “अ”, “उ” और “म” – के मेल से बनाया गया है। इन तीनों ध्वनियों का उच्चारण अलग-अलग अंगों पर कंपन उत्पन्न करता है। “अ” ध्वनि पेट और छाती में कंपन उत्पन्न करती है। “उ” ध्वनि गले और कंठ में महसूस होती है। “म” ध्वनि नाक और मस्तिष्क क्षेत्र में कंपन करती है। (Photo Source: Unsplash) -
जब इन तीनों ध्वनियों को मिलाकर “ॐ” का उच्चारण किया जाता है, तो यह शरीर के निचले हिस्से से मस्तिष्क तक एक ऊर्जा तरंग (energy wave) उत्पन्न करता है, जो शरीर और मस्तिष्क को संतुलित करती है। (Photo Source: Freepik)
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‘ॐ’ का कंपन और विज्ञान
महान वैज्ञानिक निकोला टेस्ला ने कहा था कि “अगर आप ब्रह्मांड के रहस्यों को समझना चाहते हैं, तो ऊर्जा (Energy), आवृत्ति (Frequency) और कंपन (Vibration) के संदर्भ में सोचिए।” इसी सिद्धांत को आधार मानते हुए वैज्ञानिकों ने ‘ॐ’ के कंपन को भी जांचा और समझा। (Photo Source: Unsplash) -
वाइब्रेशन वेव पैटर्न: वैज्ञानिकों ने पाया कि ‘ॐ’ के उच्चारण से उत्पन्न तरंगें शरीर में एक नियमित और ऊपर की ओर जाती ऊर्जा लहर बनाती हैं। यह शरीर के ऊर्जा केंद्रों (चक्रों) को सक्रिय करता है। (Photo Source: Unsplash)
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fMRI (फंक्शनल मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग) स्कैन स्टडी: एक स्टडी में, मस्तिष्क की गतिविधियों का fMRI स्कैन किया गया। जब पार्टिसिपेंट्स ने ‘ॐ’ का जाप किया, तो उनके मस्तिष्क में स्ट्रेस और डिप्रेशन से जुड़ी गतिविधियां घट गईं और मस्तिष्क में संतुलन और शांति आई। (Photo Source: Pexels)
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वैज्ञानिक रूप से सिद्ध लाभ
तनाव में कमी: नियमित ‘ॐ’ जाप करने से मस्तिष्क की तरंगें संतुलित होती हैं, जिससे मानसिक शांति मिलती है और तनाव कम होता है। (Photo Source: Pexels) -
एकाग्रता में सुधार: अध्ययनों से पता चला है कि ‘ॐ’ के नियमित उच्चारण से ध्यान केंद्रित करने की शक्ति बढ़ती है, जिससे कार्यक्षमता और मानसिक स्पष्टता में सुधार होता है। (Photo Source: Unsplash)
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डिप्रेशन और एपीलेप्सी में राहत: वैज्ञानिकों के अनुसार, यह मंत्र न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर जैसे डिप्रेशन और मिर्गी में भी लाभकारी सिद्ध हुआ है। (Photo Source: Pexels)
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ब्लड प्रेशर में नियंत्रण: ‘ॐ’ जाप करने से नाड़ी की गति सामान्य होती है और ब्लड वेसल्स पर दबाव कम होता है, जिससे ब्लड प्रेशर संतुलित रहता है। (Photo Source: Pexels)
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नर्वस सिस्टम पर सकारात्मक प्रभाव: मापी गई वाइब्रेशनल एनर्जी से यह सिद्ध हुआ कि यह मंत्र हमारे तंत्रिका तंत्र (Nervous System) को शांत और संतुलित करता है। (Photo Source: Unsplash)
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एपिजेनेटिक्स और ‘ॐ’
एपिजेनेटिक्स विज्ञान के अनुसार, हमारे व्यवहार और आदतें हमारी जीन एक्सप्रेशन को प्रभावित कर सकती हैं। वैज्ञानिकों ने यह भी पाया कि ‘ॐ’ जैसे मंत्रों का नियमित जाप शरीर में सकारात्मक मॉलिक्यूलर परिवर्तन ला सकता है और संपूर्ण स्वास्थ्य को बेहतर बना सकता है। (Photo Source: Unsplash)
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