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Akhilesh Yadav Vs Raja Bhaiya: Mayawati Became The Cause Of Political Contradiction: अखिलेश यादव और बसपा सुप्रीमो के बीच हुए गठबंधन से केवल मुलायम ही नहीं राजा भैया को भी नाराजगी थी। राजा भैया ने सपा और बसपा के गठबंधन को देखते हुए अपनी अपनी पार्टी जनसत्ता दल का निर्माण कर लिया था। मायावती और राजा भैया के बीच राजनैतिक ही नहीं व्यक्तिगत अदावत भी रही है और यही कारण था कि राजा भैया ने सपा से दूरी बना ली। सपा से राजा भैया की ये दूरी अखिलेश यादव को वादा खिलाफी लगी और चुनावी जनसभाओं में उन्होंने राजा भैया के क्षत्रिय होने पर भी कटाक्षक किया था।
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राजा भैया अखिलेश के कार्यकाल में यूपी के खाद्य एंव रसद मंत्री के साथ जेल मंत्री भी बने थे, लेकिन कुंडा में डीएसपी की हत्या के बाद वह नैतिकता के आधार पर मंत्री पद से इस्तीफा दे दिए थे।
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बता दें कि राजा भैया पर जब मायावती ने पोटा लगा कर जेल में उन्हें ठूंस दिया था तब अखिलेश यादव के पिता और सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने ही राजा भैया का साथ दिया था।
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मुलायम ने राजा भैया पर से पोटा हटाते हुए उनके सारे मुकदमें वापस ले लिए थे और राजा भैया ने कई इंटरव्यू में ये कहा कि वह मुलायम सिंह यादव के अहसानमंद हैं, लेकिन अखिलेश संग पंगा क्यों हुआ इस पर भी वह साफ बोल दिए थे।
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राजा भैया का कहना था कि वह सपा और बसपा के गठबंधन में केवल सपा के साथ हैं, लेकिन बसपा के साथ उनके वैचारिक मतभेद रहे है और वह अपने सिद्धांतों से अलग नहीं हो सकते। इसलिए वह सपा के साथ शामिल नहीं हैं।
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अखिलेश यादव को राजा भैया का ये कदम नागवार गुजारा और उन्होंने राजा भैया को क्षत्रिय होकर वादा तोड़ने वाला और झूठा करार दिया था।
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अखिलेश यादव ने एक जनसभा में राजा भैया को धमकीदार बता दिया और कि उनकी पार्टी का चुनावी चिन्ह फुटबाॅल है। हिम्मत है तो उनके साथ खेलकर देखेंगें। उन्हें वह नाच नचा देंगे।
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अखिलेश यादव ने कहा था कि क्षत्रिय तो प्राण जाए पर वचन न जाए के सिद्धांत पर काम करते हैं, लेकिन राजा भैया इससे इतर विचार रखते हैं।
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Photos: PTI
