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1- जब व्यक्ति जीवन के दुख से झुलसता है तो उसे केवल पुत्र, पुत्री, पत्नी और भगवान के भक्त ही सहारा देते हैं। (Photo: Unsplash)
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2- कैसा या कौन सा काल है, मेरे कौन मित्र हैं, कैसा या कौन सा देश है, मेरी आमदनी और खर्च क्या है, मैं कौन हूं और मेरी कौन सी शक्ति है, यह मनुष्य को बार-बार विचरना चाहिए। (Photo: Unsplash)
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3- सोने की परख उसे घिस कर, काट कर, गरम करके और पीट कर की जाती है। उसी प्रकार ही दान, शील, गुण और आचार, इन चारों से पुरुष की परीक्षा होती है। (Photo: Unsplash)
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4- अनेक व्यक्ति जो एक ही गर्भ से पैदा हुआ है या एक ही नक्षत्र में पैदा हुआ है वे एक जैसे नहीं होते हैं। ठीक उसी प्रकार जैसे बेर के पेड़ के सभी बेर एक से नहीं होते हैं। (Photo: Unsplash)
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5- आलस्य से विद्या नष्ट हो जाती है। दूसरों को धन का रक्षक बना देने से धन नष्ट होता है और सेनापति के बिना सेना नष्ट हो जाती है। (Photo: Unsplash)
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6- अभ्यास से विद्या, सुशीलता से कुल, गुण से सज्जन व्यक्ति और नेत्रों से क्रोध ज्ञात होता है। (Photo: Unsplash)
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7- दान गरीबी का नाश करता है। अच्छा आचरण दुख का नाश करता है। विवेक अज्ञान को नष्ट करता है और भक्ति भय को समाप्त करती है। (Photo: Unsplash)
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8- काम से समान दूसरी व्याधि नहीं, अज्ञान से सामान वैरी नहीं, क्रोध के समान दूसरी आग नहीं एवं ज्ञान से बढ़कर सुख नहीं। (Photo: Unsplash)
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9- व्यक्ति अकेले ही पैदा होता है, अकेले ही मरता है। अपने कर्मों के शुभ-अशुभ परिणाम अकेले ही भोगता है। अकेले ही नरक में जाता है या सदगति प्राप्त करता है। (Photo: Unsplash)
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10- विदेश में विद्या मित्र है, घर में पत्नी मित्र है। रोगी की मित्र दवा है और मृत व्यक्ति का मित्र धर्म है। (Photo: Unsplash) जब सारे रिश्ते तोड़ लें नाता और दिखने लगे हार तो याद कर लें चाणक्य नीति की ये 10 बातें, खुद बदल देंगे बुरा वक्त