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AAP Crisis: आम आदमी पार्टी (आप) में अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाले धड़े तथा असंतुष्ट नेताओं प्रशांत भूषण एवं योगेंद्र यादव के बीच का विवाद और गहरा गया जब इन दोनों ने पार्टी नेतृत्व को खुलकर चुनौती दी। ऐसा लगता है कि आज पार्टी की राष्ट्रीय परिषद की बैठक में यादव और भूषण को आप से बाहर करने का फैसला हो सकता है। पार्टी के दोनों धड़ों के बीच चल रहे तीखे वाक युद्ध के बीच एक नया ऑडियो टेप सामने आया जिसमें केजरीवाल पार्टी के एक स्वयंसेवी से बातचीत करते हुए भूषण और यादव के खिलाफ कथित तौर पर अभद्र भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं। इस टेप में केजरीवाल नयी पार्टी बनाने की धमकी देते नजर आ रहे हैं। आप ने इसे केजरीवाल को बदनाम करने की एक और साजिश करार दिया। (स्रोत-भाषा)
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AAP Crisis: उधर, सुलह समझौते की वार्ता विफल होने के एक दिन बाद भूषण और यादव ने केजरीवाल पर पार्टी को चंदे के सिद्धांत एवं आंतरिक लोकतंत्र को लेकर समझौता करने का आरोप लगाया। दोनों ने दावा किया कि केजरीवाल ने हमें धमकी दी कि वह अपने सभी विधायकों के साथ मिलकर एक क्षेत्रीय पार्टी गठित कर लेंगे क्योंकि वह ‘‘हमारे साथ काम नहीं कर सकते।’’ केजरीवाल गुट ने दोनों असंतुष्ट नेताओं के आरोपों का कड़ाई से खंडन किया और दोनों संस्थापक सदस्यों पर दिल्ली चुनाव में पार्टी की हार सुनिश्चित करने के लिए काम करने का आरोप लगाया। केजरीवाल गुट ने कहा कि दोनों नेताओं का आप से अलग हुए धड़े अवाम के साथ संबंध थे जिसने आरोप लगाया था कि पार्टी को पिछले वर्ष दो करोड़ रुपये का ‘‘बेनामी चंदा’’ मिला था। (स्रोत-भाषा)
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AAP Crisis: पार्टी से बाहर करने के केजरीवाल गुट के प्रयासों के बारे में पूछे जाने पर भूषण और यादव ने कहा कि उन्हें पार्टी से बाहर करना आसान नहीं रहेगा। भूषण ने कहा, ‘‘वे हमें राष्ट्रीय कार्यकारिणी से हटा सकते हैं लेकिन पार्टी से नहीं। अगर हमें पार्टी से हटाया जाना है तो मामले को लोकपाल अथवा अनुशासन समिति के पास भेजना होगा।’’ भूषण और यादव की ओर से वह संवाददाता सम्मेलन करने के कुछ घंटे बाद केजरीवाल समर्थकों संजय सिंह, आशुतोष और आशीष खेतान ने भी मीडिया को संबोधित किया और तीखा जवाबी हमला बोला। केजरीवाल समर्थक नेताओं ने दावा किया कि सुलह समझौता वार्ता गुरुवार शाम तक सही रास्ते पर चल रही थी। (स्रोत-भाषा)
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AAP Crisis: खेतान ने कहा, ‘‘वार्ता पटरी पर थी लेकिन अचानक कुछ हुआ और उन्होंने कहा कि वे अब बातचीत जारी रखना नहीं चाहते। उन्हें देश को बताना चाहिए कि क्या हुआ था।’’ केजरीवाल गुट के तीन नेताओं ने हाथ से लिखा हुआ नोट भी पेश किया जिसके बारे में उन्होंने दावा किया कि वह यादव द्वारा लिखा गया था जिसमें उन्होंने केजरीवाल की आलोचना करने के लिए खेद जताया था। भूषण और यादव ने कहा कि यदि उनकी पांच मांगें मान ली जाती हैं तो वे पार्टी के सभी ‘‘कार्यकारी पदों’’ से इस्तीफा दे देंगे। इन पांच मांगों में पार्टी को आरटीआई कानून के दायरे में लाना, गलत कार्यो की आप के आंतरिक लोकपाल से जांच का आदेश देना और प्रदेश इकाइयों को अधिक स्वायत्तता देना शामिल है। (स्रोत-भाषा)
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AAP Crisis: यादव ने कहा, ‘‘हमने अपनी मांगों के संबंध में पार्टी को एक नोट भेजा था जिसे अब हमारे इस्तीफे के पत्र के रूप में दिखाया जा रहा है जबकि यह इस्तीफा देने का सशर्त पत्र था। हमने कहा था कि यदि हमारी पांच मांगें मान ली जाती हैं, तब हम पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे देंगे।’’ दोनों नेताओं ने कहा कि सुलह समझौता वार्ता के दौरान उन पर इस्तीफा देने के लिए लगातार दबाव बनाया जा रहा था। दोनों नेताओं ने स्पष्ट किया कि वार्ता के दौरान उन्होंने पार्टी के संयोजक पद का मुद्दा कभी नहीं उठाया। उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा क्यों है कि जब हम कोई सवाल उठाते हैं, तब हमारे इरादे पर सवाल उठाया जाता है?’’ उन्होंने कहा कि उनकी लड़ाई निजी लाभ के लिए नहीं है बल्कि आप की स्थापना के सिद्धांतों को बहाल करने के लिए है। (स्रोत-भाषा)
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AAP Crisis: योगेन्द्र ने आरोप लगाया कि आप की आधिकारिक वेबसाइट से पार्टी के संविधान को हटा दिया गया है। भूषण ने केजरीवाल की इस बात के लिए आलोचना की कि उन्होंने पिछले वर्ष दिल्ली में सरकार बनाने के लिए कथित तौर पर कांग्रेस विधायकों को अपने पक्ष में करने के प्रयास किये। भूषण ने केजरीवाल की दो ‘‘कमियां’’ गिनाईं और कहा कि यह लंबे समय में पार्टी को संभावित रूप से नुकसान पहुंचाएगी। उन्होंने कहा, ‘‘वह चाहते हैं कि उनका निर्णय अंतिम हो। वह उन लोगों के साथ काम नहीं कर सकते जिनका भिन्न मत हो और जो उनका विरोध करें। वह सोचते हैं कि उनके इरादे सही हैं लेकिन माध्यम भी सही होना चाहिए। वह पर्याप्य नहीं, यह बहुत मायने रखता है।’’ (स्रोत-भाषा)
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मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और तीन अन्य आप नेता यहां पिछले साल एक आंदोलन के दौरान निषेधाज्ञा का उल्लंघन करने और जनसेवकों को उनकी जिम्मेदारी निभाने से रोकने के आरोपी हैं। (स्रोत-भाषा)