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चिंता और उत्सुकता में नाखून चबा रहे लोग भारतीय मंगल यान के लाल ग्रह की कक्षा में प्रवेश करते ही खुशी और गर्व से सराबोर हो गए।
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सुबह 7 बजकर 17 मिनट पर मंगल अभियान का यह निर्णायक अभियान शुरू हुआ, जिसके इंतजार में पूरे कमान केंद्र की फिजाओं में उम्मीदों के साथ-साथ थोड़ी चिंताएं भी तैर रही थीं।
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अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत द्वारा इतिहास रचे जाने की इस घटना के गवाह बनने के लिए मौजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इन रोमांचकारी लम्हों का आनंद लिया।
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भारत के मार्स ऑर्बिटर मिशन की सफलता का पहला संकेत उस समय मिल गया था, जब अंतरिक्षयान का प्रमुख ईंजन (लिक्विड एपोजी मोटर) और प्रक्षेपक 300 दिन तक सुप्तावस्था में रहने के बाद सक्रिय हो गए थे।
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ये अंतरिक्षयान की यात्रा की शुरूआत से ही सुप्तावस्था में थे। जब अंतरिक्षयान लाल ग्रह के पीछे चला गया और मंगल की छाया में रहा तो उससे पृथ्वी पर कोई संकेत नहीं आ रहे थे।
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कुछ ही मिनट बाद, उत्साह से भरे इसरो के अध्यक्ष के. राधाकृष्णन संयमित कदमों से प्रधानमंत्री की ओर बढ़े और उन्हें अभियान की सफलता की सूचना दी।