जीवन कल्पनाओं, विचारों और कर्मों की एक सतत शृंंखला का दूसरा नाम है। निस्संदेह जीवन सीमित और अनिश्चित है, लेकिन इस सीमित यात्रा में ही हमें विभिन्न प्रकार की परिस्थितियों, दशाओं, अवसरों और समस्याओं से भी परिचित होना पड़ता है। रचनात्मकता एक ऐसा गुण है जो हमारे जीवन को एक सुंदर आकार में ढालते हुए प्रगति की ओर अग्रसर करता है। रचनात्मकता का अर्थ है- कर्म या विचार को लेकर नवीनता उत्पन्न करने की क्षमता। किसी ऐसे विचार का सृजन करना, जो मौलिक हो और पूर्व में मौजूद न हो या फिर उस विचार की परिणति किसी ऐसे कर्म में कर देना, जो पहले घटित न हुआ हो, यह सब कुछ रचनात्मकता की परिधि के अंतर्गत आता है। रचनात्मकता कोई साधारण गुण नहीं है, बल्कि इसमें सामान्य को विशेष में रूपांतरित करने की असीम शक्ति होती है। रचनात्मकता हमें समस्याओं का सटीक समाधान खोजने में सहायता करती है और साथ ही जीवन को एक बेहतर नजरिए से देखने में सक्षम और समर्थ बनाती है।
वर्तमान समय कौशल और दक्षता का समय है और ये दोनों गुण बिना रचनात्मकता के विकसित नहीं हो सकते। रचनात्मकता एक ऐसी शक्ति है, जो विचारों को नया आकार देते हुए कला, साहित्य, विज्ञान या किसी बड़े सामाजिक परिवर्तन में रूपांतरित कर सकती है। हम जरा किसी दिन अपनी दिनचर्या पर गौर करें और रात्रि विश्राम के समय अपनी पूरे दिन की गतिविधियों का आकलन करते हुए यह विचार करें कि हमने आज क्या नया सोचा है, क्या नया सीखा है या क्या नया किया है।
क्या आप भी डर के कारण पीछे रह जाते हैं? जोनाथन सीगल से सीखिए कामयाब होने का सही तरीका
अगर इन सभी प्रश्नों का उत्तर हमारे अंत:करण के द्वारा ‘नहीं’ के रूप में दिया जाता है, तो कहीं न कहीं हमारा जीवन सार्थकता से दूर जा रहा है। रचनात्मकता से विहीन जीवन पूर्णतया निरुद्देश्य और निरर्थक होता है। रचनात्मकता जीवन को नीरसता और नीरवता से बाहर निकाल कर अर्थपूर्ण तथा नादपूर्ण बनाती है। मनोविज्ञान के अनुसार, रचनात्मकता मानवीय बुद्धि का सर्वोच्च रूप है। यह विश्लेषणात्मक सोच, कल्पना, संवेदना और अनुभव का संगम है। अगर हम गंभीरता के साथ विचार करें तो निष्कर्ष यह निकलेगा कि हमारा जीवन भी प्रकृति की रचनात्मकता का ही परिणाम है। निश्चित रूप से ऐसे जीवन में, जो स्वयं रचनात्मकता से ही उत्पन्न हुआ है, रचनात्मकता का महत्त्व क्या और कितना होगा, इसे शब्दों में कदापि वर्णित नहीं किया जा सकता।
हमारे अंतर्मन में रचनात्मकता की भावना तभी उत्पन्न हो सकती है, जबकि हम पूर्णरूपेण स्वतंत्रता, तर्कशीलता और जिज्ञासा के भावों से ओतप्रोत हों। रचनात्मक व्यक्ति केवल बाहरी सफलता ही नहीं अर्जित करता, बल्कि आंतरिक संतोष भी प्राप्त कर लेता है। अपने भीतर कुछ विशिष्ट होने का भाव उसे आत्मविश्वास की अनुभूति प्रदान करता है, तनाव से मुक्ति देता है और उसके अंतस में जीवन के प्रति एक सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करता है।
रचनात्मक लोग जीवन की प्रत्येक परिस्थिति को अपने अनुकूल ढालने में सक्षम और समर्थ होते हैं, क्योंकि उनके अंदर समस्या को अवसर और समाधान में रूपांतरित करने की असीम तथा अद्भुत क्षमता होती है। साहित्य, कला, विज्ञान और सामाजिक परिदृश्य- इन सबकी प्रगति की आधारशिला रचनात्मकता में ही निहित होती है। रचनात्मकता नैतिकता और आध्यात्मिकता के साथ भी गहराई से संबद्ध होती है। ऐसे व्यक्ति के अंदर मानवीय मूल्य और सद्गुण उच्च स्तर तक विकसित हो जाते हैं। उसके व्यक्तित्व में अवगुणों के लिए कोई स्थान शेष नहीं रहता। संवेदनशीलता, सहिष्णुता और सकारात्मक दृष्टिकोण बिना रचनात्मकता के विकसित नहीं हो सकते। अपने अंदर रचनात्मकता का गुण विकसित करने के लिए हमें प्रत्येक वस्तु, स्थिति और परिस्थिति के संबंध में प्रश्न और जिज्ञासा से परिपूर्ण दृष्टिकोण निर्मित करना होगा। तर्कपूर्ण और पक्षपातरहित आकलन तथा मूल्यांकन हमें रचनात्मकता की ओर अग्रसर करते हैं।
जानने की जिद और उत्सुकता, कैसे एक उल्टी दिशा की पगडंडी ने बदल दी मंजिल और यादें?
अपने अंतर्मन को शांत अवस्था में रखते हुए हमें गहन चिंतन और अवलोकन के भाव के साथ जीवन को नवीन दिशा देने का प्रयास करना चाहिए। रचनात्मकता एक आत्मिक साधना है, क्योंकि इसके द्वारा अंत:करण में छिपे हुए भाव और कौशल निखर कर बाहर आ जाते हैं। दूसरे शब्दों में अगर यह कहा जाए कि रचनात्मकता के माध्यम से हम आत्मसाधना करते हुए स्वयं से जुड़ने का एक सुअवसर प्राप्त करते हैं, तो इसमें कुछ गलत न होगा। रचनात्मकता जीवन में न केवल सौंदर्य का संचार करती है, बल्कि इसे नवीन दिशा और ऊर्जा भी देती है। यह व्यक्ति को जीवंत रखती है, समाज को प्रगतिशील बनाती है और मानवता को उन्नति के पथ पर आगे बढ़ाती है। अगर जीवन में रचनात्मकता न हो, तो वह महज एक छोटी सी दिनचर्या बनकर रह जाएगा। उस जीवन में न तो कोई उत्साह होगा और न ही उसका कोई अर्थ सिद्ध होगा। रचनात्मकता ही वह तत्त्व है, जो वास्तव में हमें जीवित होने का भाव अनुभव कराती है।
रचनात्मकता जीवन का शाश्वत भाव है। यह जीवन में विद्यमान ऐसी सृजनशील धारा है, जो निरंतर बहती रहती है। यह मनुष्य को यांत्रिक अस्तित्व से ऊपर उठा कर चेतन अस्तित्व की ओर ले जाती है। जिस क्षण हम शब्द, विचार या कर्म से किसी भी रूप में सृजन या रचना करते हैं, उसी क्षण हम जीवन के वास्तविक अर्थ को जीते हैं। रचनात्मकता का उद्देश्य है- अपने विचारों, कार्यों और संबंधों में जीवंतता का नवीन प्रकाश उत्पन्न करना। रचनात्मक व्यक्ति का जीवन केवल एक घटना मात्र नहीं होता, बल्कि एक सफल, सार्थक और सकारात्मक उत्सव की भांति होता है। संक्षेप में यह कहा जा सकता है कि रचनात्मकता ही जीवन की आत्मा है और बिना इसके जीवन नितांत अर्थहीन है।