इच्छा को अमरबेल कहा जाता है। इसका पार पाना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन भी है। इच्छा के दरबार में कभी इस चीज की अहमियत है, तो कभी उस वस्तु की। यह लालसा किसी भी वस्तु की कल्पना को मन के अंधेरे कोने से झाड़ पोंछकर ले आती है और इच्छा की जीभ लपलपाने लग जाती है। इसीलिए अरस्तू कहते हैं कि संसार में जितने मनुष्य हैं, उतनी ही मन:स्थिति और मानसिकता भी विद्यमान है।

जगत की तमाम इच्छाओं में रुपए-पैसे की कामना सबसे अलहदा और बलवती मानी जाती रही है, लेकिन कभी-कभार इससे इतर भी कुछ देखने को मिल जाता है। एक कार्यशाला में सहभागियों से दौलतमंद होने का असली मतलब पूछा गया। हैरानी की बात यह है कि सौ फीसद लोगों ने कहा सादा जीवन और खुशी ही अमीरी का संकेत है।

आभासी मंचों पर भी लगभग हर आयु वर्ग का अंतिम जवाब यही था कि शांति और सुकून ही दौलतमंद होना है। यानी अब लोगों की सोच कुछ तो बदल रही है। इसका मतलब यह हुआ कि हमेशा महंगे लिबास में रहना और मूल्यवान चीजें हासिल करना अमीरी नहीं है।

चार साल पहले की महामारी, उतने समय से युद्ध के भयानक घटाटोप तथा कुदरती कहर और मौसमी असंतुलन के हालात आदि से लोगों की कामना ने करवट ली और लोगों ने सरल जीवन को ही संपन्न जीवन कहना-मानना आरंभ किया।

अब शायद सिक्कों की खनक और शाही ठसक काफी लोगों के लिए सही मायने में अमीरी नहीं है। पैसे देकर अपने लिए सुविधा जुटा लेने को भी पूरी तरह से अमीरी नहीं कह सकते हैं। अमीरी है प्रसन्नता के सबसे उम्दा पलों में चेहरे पर खिला संतुष्टि का भाव।

इस परिभाषा पर तंत्रिका वैज्ञानिकों से लेकर मनोचिकित्सकों, व्यवहार अर्थशास्त्रियों, सकारात्मक मनोवैज्ञानिकों और बौद्ध भिक्षुओं की भी आम सहमति थी। दरअसल, संपन्नता पर्याय है अर्थपूर्ण जीवन का, जो सिखाता है वक्त की अहमियत, मंजिल का महत्त्व। यह भी कि यह जीवन सोच और उम्मीदों से भरा हुआ है।

यकीनन कुछ लोग ऐसे होते हैं, जो इसी तरह की वास्तविक विचारधारा से ही फलते-फूलते हैं। आज कुछ पुराने फलसफे बदल भी रहे हैं। उदाहरण के लिए, एक साधारण जीवन में धनवान होने का क्या अर्थ है और वहां तक पहुंचने के लिए लोग क्या कर रहे हैं?

क्या दौलतमंद होने की कोई एक परिभाषा हो सकती है? इनका तात्पर्य ताबड़तोड़ धन हासिल करना नहीं है। अब इसको भी जीवन मंत्र माना जाने लगा है कि कम भी हमेशा ज्यादा होता है।

सामान्य तौर पर जिंदगी में अमीर होने के लिए कुछ बुनियादी चीजों पर भी गौर किया जाता है। मसलन, छोटे मकान की जगह एक बंगला, दो या तीन वाहन तथा नौकर आदि की सुविधा होगी, तभी अमीर कहलाने का गौरव हासिल होगा। यह भाव पिछले एक दशक से शायद कम होने लगा है।

मगर गौर से सोचें तो आज ऐसा लगता है कि यह परिपक्व परिभाषा बहुत उजली है और सकारात्मक भी। अच्छी मानसिकता, अच्छी सेहत, आकांक्षाओं और असलियत के बीच एक शानदार तालमेल, परिवार, दोस्ती और समुदाय के साथ समरस और सुदृढ़ रिश्ते, एक शांत मन और अच्छे उद्देश्य से अपना जीवनयापन और सार्थक काम, इसके साथ करुणा का भाव और दूसरों को मदद करना—शायद यही आज अमीरी की असली परिभाषा कही जाएगी।

आज अगर कोई सोने-चांदी के बर्तन में भोजन करने के बाद भी बेचैन है, तो उसकी दौलत माटी के ढेर के बराबर है। और अगर कोई कम जरूरत में आनंद से जी रहा है, तो उसकी सादी रोटी और दाल भी शाही कही जा सकती है।

रेलयात्रा के दौरान एक सज्जन किसी मित्र से बतिया रहे थे। वह सज्जन अपने साथी से कह रहे थे कि मेरी अमीरी तुम ले लो और अपनी सेहत मुझे दे दो। यह सुनकर वह दोस्त कहने लगा कि मैंने तो तुमको सौ बार कहा था कि हर रोज एक घंटा अपने शरीर को दो। तुमने बस बैंक खाता ही समृद्ध किया मेरे मित्र। सचमुच, दौलत का पैरोकार बनने में उतना मजा नहीं है। आज अगर कोई व्यक्ति संतोष से सराबोर है तो उसका मन और भी ज्यादा खुश होगा।

इसी क्रम में अगर उसका अपना कुटुंब भी इसी तरह खुश है, तो उसके इर्द-गिर्द और वातावरण में यों भी हंसी-खुशी तो मौजूद होंगी और इस प्रकार वह व्यक्ति अपने समाज की खुशी का कारण बनेगा।

गहरी तथा मीठी नींद, खुशगवार और हवादार मौसम में टहलना और उन लोगों के साथ होना, जिन्हें हम प्यार करते है – यह सब भी वास्तविक अमीरी के लिए बेहद जरूरी है। कुदरत को उसके दिए रूप में देखना और ज्यादा अमीरी से भर देता है। जिंदगी के सच्चे अहसास में ही संपन्नता का रस लबालब भरा हुआ है। उसका तत्त्व जो है, वही जीवन को अमीर महसूस करने का हिस्सा हैं। जिसने यह बात समझ ली वह हर हाल में अमीर है।

उच्च वर्ग के बीच उठना-बैठना, महंगी जीवन शैली का अनुगमन या आरामतलब होने से कोई व्यक्ति न तो अमीरी पा सकता है और न ही आत्मसंतोष। इन सबसे महत्त्वपूर्ण है परिष्कृत व्यक्तित्व। प्रतिभाशील और उन्नतिशील बनने का अवसर इसी आधार पर मिलता है कि हम कुदरत का सामीप्य खोजते है। रुपए से नहीं, जीवन से लगाव रखते हैं।

शायद सरल जीवन जीते हुए इंसानियत ऊंच-नीच के सांचे, गोलबंदी, छोटे-बड़े की जंजीर की सीवन उधड़ेगी और असंतोष, घुटन, कुढ़न की कड़वी गोली से निजात पा लेगी। चौतरफा संतोष से हर तरह की कामयाबी हासिल होगी।