विश्वास हमारे सामाजिक पारिवारिक जीवन का आधार है। या यों कहें कि जीवन का आधार स्तंभ और एक अमूल्य पूंजी है। इसका रुपए-पैसे से मोल नहीं लगाया जा सकता है और न ही किसी का विश्वास मूल्य चुकाकर प्राप्त किया जा सकता है। इसे तो बस प्रेम, करुणा, संवेदना, निश्छल हृदय द्वारा ही प्राप्त किया जा सकता है। इसे हम भले ही देख नहीं सकते हैं, लेकिन जीवन के हर क्षण में महसूस बहुत अच्छे तरीके से कर सकते हैं। हम सब कहीं न कहीं किसी न किसी पर विश्वास करते हैं। हमारे सभी संबंध विश्वास पर ही टिके होते हैं। विश्वास नहीं होने पर रिश्ते कांच की तरह टूट कर बिखर जाते हैं।

चाहे वह दांपत्य, मित्रता या रक्त संबंध हो, ये सभी रिश्ते विश्वास की भूमि पर ही उपजते, सींचे जाते, संवरते, हंसते-मुस्कुराते हैं। बिना विश्वास के किसी भी रिश्ते की आयु लंबी नहीं होती है। रिश्ते में अगर विश्वास न हो, तो उनमें कोई रस नहीं रहेगा। फिर रिश्ता खाली ठूंठ के समान रह जाएगा और सिर्फ मन के दुख का कारण बनेगा। ईश्वर को हम कभी देखते नहीं हैं, लेकिन यह विश्वास होता है कि वह हर जगह उपस्थित है और विपत्ति में हमारी सहायता करता है। यह विश्वास ही हमें बड़े से बड़ा कार्य करने का साहस और बल प्रदान करता है।

उदाहरण के लिए, सामान्य दिनों में हम एक दिन भोजन नहीं करते हैं, तो हमें कमजोरी, चक्कर आदि से दिक्कत महसूस होने लगती है, लेकिन किसी पूजा-आराधना के दौरान उपवास भक्ति, विश्वास और श्रद्धा से सहजता पूर्वक रख लेते हैं। यह मात्र विश्वास की ही शक्ति है कि हम अपनी भूख जैसी प्राकृतिक इच्छा को भी नियंत्रित कर लेते हैं। ऐसे में यह सोचा जा सकता है कि विश्वास के बल पर क्या कुछ नियंत्रित करना संभव नहीं होगा। एक पिता जब अपने बच्चे को खेलने के लिए हवा में उछालता है तो बच्चा हंसता रहता है, क्योंकि उसे विश्वास होता है कि उसके पिता उसे गिरने नहीं देंगे। उसका विश्वास उसके चेहरे पर मुस्कान बनकर झलकता है। विश्वास ही वह शक्ति है, जिससे बच्चा बिना भयभीत हुए हंसता रहता है। अगर बच्चे को उसके पिता के स्थान पर कोई और हवा में उछाल दे तो वह भयभीत होकर सहम जाएगा। मगर पिता के ऊपर उसका विश्वास उसके डर के ऊपर भी विजय प्राप्त कर लेता है।

विश्वास के बिना व्यक्ति हो जाता है कमजोर

विश्वास इतना शक्तिशाली होता है कि इंसान उसके भरोसे ऊंचे पहाड़ की चढ़ाई भी पूरी कर लेता है। विश्वास न रहे तो कमजोर इतना हो जाता है कि थोड़ी-सी चूक में बिखर कर रह जाता है। विश्वास हमारे मन का रचा खेल और उसकी बनाई दुनिया होती है, लेकिन इसकी शक्तियां अद्भुत हैं। कई बार लोग यह मानते हैं कि विश्वास का संबंध बुद्धि से है, मगर विश्वास का संबंध बुद्धि, विवेक और भरोसा सबसे है। इसका सीधा संबंध हृदय से भी होता है। बड़े लोगों के बारे में तो यह कहा या सकता है कि वे बुद्धि से काम लेते हैं, लेकिन जब अबोध बालकों की बात आती है तो यह बात तर्कहीन हो जाती है कि विश्वास सिर्फ बुद्धि से संबंधित है। विश्वास गहरे भरोसे से भी संबंधित है।

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दरअसल, विश्वास मन की एक स्थिति है, जिसमें मन यह मान लेता है कि ‘ये ऐसा है’। यह मात्र हमारा मानना होता है, न कि जानना होता है। और यह मानना एकतरफा होता है। जरूरी नहीं है कि दूसरी तरफ भी मनोनुकूल स्थिति हो। और जब स्थिति हमारे अनुकूल नहीं होती है तो हमें बुरा लगता है। यह मात्र हमारी रची गई दुनिया होती है, जिसमें दूसरा व्यक्ति हमारी इच्छा के अनुसार किरदार नहीं निभाता है और तब हमारे विश्वास को ठेस लगती है। हमारी अपेक्षाएं कुछ और होती हैं।

जीवन की दिशा और दृष्टि को भी विश्वास करता है प्रभावित

विश्वास टूटने पर भावनात्मक आघात, धोखे का एहसास, संबंध में दरार और हृदय को बेहद पीड़ा होती है, क्योंकि हमें भावनात्मक और मानसिक आघात पहुंचता है। इसलिए हम धोखा महसूस करते हैं। कभी-कभी तो आत्मविश्वास भी डगमगा जाता है। अब चूंकि विश्वास की दुनिया हमने खुद रची होती है तो जब यह टूटता है तो यह मन को ही नहीं, जीवन की दिशा और दृष्टि को भी प्रभावित करता है। विश्वास और भरोसे की प्रवृत्ति भी ऐसी होती है कि एक बार टूटने के बाद इसे फिर से पहले जैसा मूल स्वरूप में बनाना संभव नहीं होता है। फिर भी प्रतिदिन लाखों लोगों के विश्वास टूटते और बनते-बिखरते रहते हैं।

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सबसे पहले तो हमें हमेशा यह प्रयास करना चाहिए किसी का विश्वास नहीं टूटने पाए। यह बहुत अनमोल खजाना है तो इसकी सुरक्षा बहुत ही ध्यानपूर्वक करनी चाहिए। कोई हमारे ऊपर अपना विश्वास समर्पित कर रहा है, तो हम अपने आपको सौभाग्यशाली मानें कि हमें कोई व्यक्ति इसका पात्र समझ रहा है। तब हमारा भी कर्तव्य बन जाता है कि हम उस लायक बन कर उसके भरोसे को सही साबित करें, लेकिन अगर कोई विश्वास तोड़ ही दे तो हमें अधिक दुखी नहीं होना चाहिए। बल्कि इसे एक अनुभव और सीख के तौर पर लेना चाहिए, ताकि आगे से जीवन में अगर हम किसी के ऊपर निश्छल विश्वास करते हैं, तो ऐसे व्यक्ति के ऊपर करें जो सचमुच में विश्वास करने का पात्र हो।