राहुल भाई जर्मनी में कह दिए कि भारत में संस्थान खत्म किए जा रहे हैं… वोट की चोरी हो रही है। प्रत्यारोप आया कि वे विदेश में भारत को बदनाम करने जाते हैं! ऐसे ही खबर आई कि तमिलनाडु में एक ‘दीपम भक्त’ ने खुद को आग लगा ली। कई चर्चक कहते रहे कि हिंदुओं को अपने ही देश में अपने भगवान की पूजा करने का अधिकार नहीं।

एक चैनल ने ताना मारा कि ‘इको सिस्टम’ खामोश… गाजा के लिए आंसू, बांग्लादेश में दो-दो हत्या पर चुप्पी! ये दोहरा पैमाना क्यों? इसी बीच एक चैनल ने प्रदूषण पर एक बेहतरीन ‘पैरोडी’ के जरिए दिल्ली सरकार पर निशाना साधा। उसके बोल रहे कि ‘फ्राड हमें किस मोड़ पे ले आया कि दिल कहे हाय.. हाय कोई तो बताए क्या होगा..!’

इधर ‘आप’ ने घेरा, उधर कुछ गैरसरकारी संगठनों और चैनलों ने सरकार को घेरा… दिल्ली की मुख्यमंत्री को घेरा। पहले अरावली के उजाड़ को लेकर घेरा, फिर प्रदूषण को लेकर घेरा कि दिल्ली गैस चेंबर बनी और कोई कुछ नहीं कर रहा। बहरहाल, इन दिनों जब-जब धर्म की हानि होने लगती है, तब-तब एकाध ‘भागवत वाणी’ भक्तों को सहारा देती है। इस बार भी ‘भागवत वाणी’ हुई कि संघ को भाजपा के चश्मे से न समझें। संघ को संघ के चश्मे से देखें। यानी संघ भाजपा नहीं है, उससे कहीं ‘बड़ा’ है और कुछ ‘हटकर’ है।

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फिर एक दिन खबर आई कि कोलकाता में एक पाश्चात्य संगीत की एक गायिका को ‘जागो मां जागो’ गाने से रोका गया। इसे देख एक चर्चक बोला कि क्या ‘माता’ के राज्य में भी ‘जागो मां जागो’ नहीं गाया जा सकता? ये कैसा ‘जनतंत्र’ है?

इसी बीच महाराष्ट्र के स्थानीय निकायों के पहले चरण के चुनावों में एक ओर भाजपा ने अपनी जीत का परचम लहराया तो दूसरी ओर विपक्ष हाशिये पर आता दिखा। शायद इसीलिए चुनावों के दूसरे चरण के लिए दोनों ठाकरे बंधु एकजुट हो रहे हैं।

इसी क्रम में एक दिन तेलंगाना से खबर आई कि सरकार जल्द ही ‘नफरती भाषण’ के खिलाफ कानून लाने वाली है। भाजपा प्रवक्ता कहिन कि इसे विरोधियों के खिलाफ इस्तेमाल किया जाएगा। इसी बीच केरल में एक हिंदू युवक को भीड़ ने पीट-पीट कर मार डाला। कुछ ने कहा कि मारने वाले ‘हिंदू वादी’ थे, तो कुछ ने कहा कि उनको फंसाया गया है।

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फिर एक दिन जैसे ही प्रिंयका गांधी ने कहा कि बांग्लादेश में हिंदुओं को बचाओ, वैसे ही एक एंकर ने कहा कि एक ओर कांग्रेस सीएए का विरोध करती है, दूसरी ओर प्रियंका हिंदुओं को बचाने की गुहार लगाती हैं। प्रियंका की शायद ऐसी बातों से संकेत लेकर कई चैनलों ने राहुल भाई से उनकी तुलना शुरू कर दी। कई चर्चकों ने कहा कि बहन बेहतर… एक ने कहा कि उनके पास अपनी दादी का करिश्मा है।

यों तो चैनलों की ‘प्रदूूषण कथा’ ने दिल्ली के ‘डबल इंजनों’ को पहले ही रक्षात्मक बना रखा था कि अचानक एक दिन हाई कोर्ट ने बलात्कार के दोषी कुलदीप सेंगर को जमानत देकर उत्तर प्रदेश सरकार को और भी रक्षात्मक बना दिया और जमानत पर कई सवाल उठे। उन्नाव की बलात्कार पीड़िता ने स्वयं कई चैनलों पर आकर अपनी व्यथा कथा रो-रोकर कही और न्याय की मांग की। एक एंकर ने पूछा भी कि क्या निर्भया कानून किसी अदालत को ऐसा ‘न्याय’ करने की इजाजत देता है?

इसी बीच कई चैनलों पर कई राज्यों में आबादी की संरचना बदलने की खबरें चर्चा में रही। अब तक बंगाल, असम, झारखंड आदि में ही ‘डेमोग्राफी’ बदलने की बात थी, अब महाराष्ट्र खासकर मुंबई में ‘जनसंख्या बदल’ की चर्चा ने चर्चकों को ‘हिंदू मुसलिम’ में बांटे रखा। कई चर्चक इस बात से चिंतित दिखे कि अगर अब भी न समझे, तो देश के कई राज्य और शहरों में एक दिन हिंदू ‘अल्पसंख्यक’ बन जा सकते हैं।

इसी बीच उत्तर प्रदेश के नगर में भाजपा के कोई चालीस ब्राह्मण विधायक ‘सहभोज’ के लिए एकत्र हुए तो कई संवाददाता आयोजक से टोह लेने पहुंचे कि क्या यह मात्र ‘सहभोज’ था कि कुछ ‘राजनीतिक भोज’ था? जवाब में आयोजक ने यही कहा कि ‘सहभोज’ को ‘सहभोज’ ही रहने दो, कोई नाम न दो। ऐसे ही, क्रिसमस के दिन जैसे ही प्रधानमंत्री ने दिल्ली के ‘सेंट केथेड्रल चर्च’ में जाकर ‘क्रिसमस’ मनाया, तो विपक्ष ने इसे ईसाई वोटों की कवायद बताया। तिस पर कुछ हिंदू संगठनों द्वारा क्रिसमस मनाते लोगों को डराने-धमकाने की खबरों ने प्रधानमंत्री की गतिविधियों पर पानी फेरने की कोशिश की।

एक अंग्रेजी चैनल ने अपने शाम की बहस के कार्यक्रम में बताया कि एक ओर प्रधानमंत्री चर्च जाकर एकता का संदेश देते रहे, दूसरी ओर कुछ हिंदूवादी संगठनों के कार्यकर्ता देश के कई शहरों में गिरजाघरों के आगे उपद्रव करते रहे… हनुमान चालीसा का पाठ करते रहे। नतीजा यह हुआ कि एक चैनल चर्चा में कि एक हिंदू प्रवक्ता तक एंकर के ऐसे सवालों के संतोषजनक जवाब न दे सके!