मनुष्य का मस्तिष्क उसकी सबसे अद्भुत और शक्तिशाली संपत्ति है। यह न सिर्फ सोच और भावनाओं का केंद्र है, बल्कि हमारे व्यक्तित्व की असली पहचान भी है। वैज्ञानिक मानते हैं कि बीस वर्ष के बाद दिमाग की सक्रियता घटने लगती है, लेकिन यह प्रक्रिया अनिवार्य नहीं है। यदि मस्तिष्क को लगातार नई चुनौतियां दी जाएं और सीखने की जिज्ञासा बनाए रखी जाए, तो यह लंबे समय तक युवा रह सकता है। जैसे शरीर को व्यायाम की जरूरत होती है, वैसे ही दिमाग के लिए मानसिक व्यायाम जरूरी है।

मानसिक गतिविधियां – जैसे पहेलियां, नई भाषाएं, शतरंज या सुडोकू, पठन-पाठन या किसी नई कला का अभ्यास—मस्तिष्क की कार्यक्षमता बढ़ाती हैं। नई जानकारी पर काम करने से न्यूरल कनेक्शन बनते हैं, जो याददाश्त, निर्णय क्षमता और सोच को मजबूत करते हैं। जीवनभर सीखते रहने वाले लोग अधिक समय तक मानसिक रूप से तेज बने रहते हैं।

प्रसिद्ध पुस्तक ‘इकिगाई’ इसी सिद्धांत को सुंदर तरीके से समझाती है। इकिगाई का अर्थ है—जीने का उद्देश्य। जापान का ओकिनावा क्षेत्र विश्व के सबसे दीर्घायु लोगों में शामिल है। उनका रहस्य सिर्फ भोजन या जलवायु नहीं, बल्कि जीवनभर सीखने और रोजमर्रा की खुशियों को चुनौति के रूप में स्वीकार करने की आदत है। यही दृष्टिकोण उनका मस्तिष्क युवा बनाए रखता है।

मस्तिष्क का स्वभाव है कि जितना उसका इस्तेमाल किया जाए, उतना ही वह प्रखर होता जाता है। इसके उलट, निष्क्रियता उसे जड़ बना देती है। आज दिमाग को सक्रिय रखने के अनेक साधन उपलब्ध हैं—ऑनलाइन प्रश्नोत्तरी, भाषा-शिक्षण ऐप, स्मृति-प्रशिक्षण कार्यक्रम आदि। लेकिन असल बात तकनीक नहीं, सोचने का तरीका है। रोज एक नया शब्द सीखना, किसी अनजाने विषय पर पढ़ना या किसी रचनात्मक कला के लिए समय निकालना, दिमाग को ताजगी देता है।

सकारात्मक सोच और सामाजिक जुड़ाव भी मस्तिष्क को युवा रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। संवाद, अनुभवों का आदान-प्रदान और लोगों से जुड़ाव मस्तिष्क में खुशी के हार्मोन बढ़ाते हैं, जो तनाव कम करते हैं। इसके विपरीत, अकेलापन और मानसिक तनाव दिमाग को क्षीण करते हैं। इसलिए परिवार, मित्र और समाज से जुड़ाव मानसिक व्यायाम जितना ही आवश्यक है।

मस्तिष्क की कार्यक्षमता शारीरिक स्वास्थ्य से भी गहराई से जुड़ी है। नियमित व्यायाम रक्त संचार को बेहतर बनाता है, जिससे दिमाग को ऑक्सीजन और पोषण मिलता है। योग, ध्यान और प्राणायाम एकाग्रता और स्मरण शक्ति को मजबूत करते हैं। शोध बताते हैं कि ध्यान करने वाले लोगों में ग्रे मैटर लंबे समय तक सुरक्षित रहता है। संतुलित आहार—विटामिन-बी, ओमेगा-3, फल, सब्जियां—मस्तिष्क को पोषण देते हैं, जबकि जंक फूड, धूम्रपान और शराब नुकसान पहुंचाते हैं।

आखिरकार, उम्र सिर्फ शरीर की गिनती है। मस्तिष्क की उम्र हमारी जिज्ञासा और सक्रियता तय करती है। एक सत्तर वर्षीय व्यक्ति, जो नई चीजें सीखता है, मानसिक रूप से अधिक युवा हो सकता है—एक तीस वर्षीय निष्क्रिय व्यक्ति की तुलना में। दिमाग को कभी निष्क्रिय न छोड़ें। उसे नई चुनौतियों, अनुभवों और ज्ञान से भरते रहें। चाहे शतरंज हो, कविता, नई भाषा या शोध—हर गतिविधि मस्तिष्क को युवा बनाए रखने की दिशा में एक कदम है।