जब भी हम कला और उसके कलाकार के बारे में सोचते हैं, हमारे मन में कई छवियां उभरने लगती हैं। हमें कला के विभिन्न रूप अनूठे, उत्कृष्ट और विशिष्ट लगने लगते हैं, फिर चाहे वह चित्रकारी, गीत, गायन, लेखन, नृत्य, नाटक जैसी अनगिनत विधाएं हों। कलाकार की मेहनत और उसके समर्पण भाव से जीवंत हुई हर कृति हमें चकित कर देती है।

वास्तविक या सपनीली दुनिया को कैनवास पर या मंच पर उकेरता या रेखांकित करता कलाकार जब अपनी नैतिक जिम्मेदारियों के प्रति सजग रहता है, तब वह बिना किसी हथियार और बल के अपनी संवेदनाओं की प्रभावी अभिव्यक्ति के माध्यम से समाज में सकारात्मक क्रांति लाने में सक्षम हो जाता है। वह कभी शोषितों की आवाज बनकर न्याय के रंगों से पूरा कैनवास भर देता है, तो कभी सभागार कंपित हो जाता है उसकी ऊंची पुकार से।

यह कला है या जिद है कलाकार की कि वह निस्वार्थ भाव से चाहता है दुनिया को सुंदर रंगों से भर देना, मीठी सुरीली तान में सबको एक सुर में बांधकर। देखना चाहता है सबको एक साथ हंसते-मुस्कुराते। वह लिखता है लगातार इस उम्मीद से कि किसी दिन उम्मीदों से भरे शब्द कागज के पन्नों से निकलकर उसके सामने जीवंत रूप में समाज में घुल-मिल जाएंगे। संवेदनाओं से भरा कलाकार मनुष्यता के उजले रंगों को संभाले रखने के लिए किसी सिपाही की तरह हमेशा डटा रहता है।

यही कारण है कि कलाकार किसी क्षेत्र या वर्ग का नहीं होता, वह सबका होता है और सबको अपना मानता है। आम इंसान भी अपने जीवन की जटिलताओं में व्यस्त होते हुए कला में सुकून पाता है।

कलाकार की यह संवेदनाओं से भरी दुनिया थोड़ी ज्यादा भली, स्वस्थ और सुरक्षित प्रतीत होती है। लगने लगता है कि अगर मनुष्य अपने सामान्य जीवन में भी इतना ठहराव ला सके कि उसका हर कदम और निर्णय गहराई लिए हो, तो आम इंसान की दुनिया भी किसी अर्थपूर्ण कृति की तरह ही सुंदर और स्वस्थ नजर आने लगेगी।

कलाकार और उसकी दुनिया को खिन्न कर देते हैं सांप्रदायिकता, क्रोध, भ्रष्टाचार और शोषण जैसे दुखद प्रसंग। आम इंसान और कलाकार की दुनिया की भिन्नता को खोजने की कोशिश करें, तो मालूम पड़ता है कि किसी भी सृजन के लिए बहुत अधिक समर्पण, अध्ययन और मेहनत लगती है। अपने ही बनाए पर बार-बार पुनर्विचार करना होता है, लेकिन क्या इसे भी भिन्नता माना जा सकता है?

आम जीवन के हर विचार को जो व्यक्ति गहराई से डूबकर और सबके हितों में सोचते हुए निर्णय लेता है, उसे भी तो कलाकार ही कहा जा सकता है। जो खुद के और दूसरों के जीवन में मधुर संगीत घोल दे, सही के पक्ष में हमेशा खड़ा रहे और गलत को गलत कहने का साहस रख सके, वह भी तो कलाकार ही है।

हर इंसान को कला और कलाकार का संसार कभी न कभी आकर्षित जरूर करता है, लेकिन यह मत हावी होने लगता है कि आम इंसान, जिसका जीवन मूलभूत जरूरतों को पूरा करने में गुजर रहा है, उसका विषय कला कैसे हो सकता है। हां, अगर हुनर के जरिए अपने जीवन की आवश्यक जरूरतें पूरी होने लगें, व्यवसाय के रूप में परिवर्तित किया जा सके या फिर बेहद प्रतिभाशाली होने के कारण आर्थिक स्थिति मजबूत बन जाए या फिर कोई अन्य आय का जरिया हो, तो फिर सोचा जा सकता है।

इस विचारधारा के विपरीत, अनेक कठिनाइयों के बावजूद भी अक्सर कला तो जन्म ही वही लेती है, जहां विषमताओं के बाद भी थोड़ी-सी नमी बची रहती है, जो किसी व्यक्ति के भीतर की अच्छाई को लगातार सींचती रहती है। समानुभूति के बिना किसी भी कला को उकेरना कठिन है। यही कारण है कि हर कृति में कलाकार के जीवन के अलग-अलग पड़ाव की यात्रा भी होने लगती है।

जिसने जितनी गहराई में उतरकर जीवन का अनुभव किया है, उतनी ही कुशलता उसके काम में नजर आने लगती है। संभव है कि कला के माध्यम से हर इंसान के जीवन की आर्थिक स्थिति मजबूत न हो सके, पर यह भी निश्चित है कि कलात्मक सोच हमारे जीवन को हर परिस्थिति में निखार देती है।

कैनवास, मंच, कागज पर उकेरने से कहीं पहले कला का उद्गम हमारे मन में होता है, हमारे विचारों में। कलात्मक सोच हमें मजबूत, निष्पक्ष और स्वस्थ बनाती है। यह हमारे जीवन के लगभग हर पक्ष पर अपना गहरा प्रभाव छोड़ती है। कलात्मक सोच के माध्यम से हम विकर्षणों से दूर, वापस अपने मूल स्वभाव पर लौटते हैं।

हम चीजों को गहराई से समझने लगते हैं। अपनी इंद्रियों का सही अर्थों में उपयोग कर रहे होते हैं। यह हमें कई बंधनों से मुक्त कर देती है। हम खुलकर प्यार कर पाते हैं, खुलकर रोते हैं, खुद को अभिव्यक्त करने का साहस जुटा पाते हैं—उन वास्तविक भावनाओं को सहज रूप से स्वीकार कर पाते हैं, जिन्हें अक्सर छिपा लिया जाता रहा है।

सबसे सुंदर और बहुमूल्य तोहफा जो कला हमें देती है, वह है एक अवसर, जब हम स्वार्थ पूर्ति के लिए बनी सभी रेखाएं मिटाकर एक साथ बैठते हैं, एक दिशा में देखते हैं, महसूस करते हैं, सीखते हैं, आनंदित होते हैं और आभार व्यक्त करते हैं कि सतही उजली दुनिया में भी हमने जमीनी संवेदनाओं के लिए छोटा-सा कोना सुरक्षित कर रखा है।