भारतीय टीम के पूर्व विकेटकीपर सैयद मुज्तबा हुसैन किरमानी को सीके नायुडु पुरस्कार के लिए चुना गया है। उन्हें यह पुरस्कार लाइफ टाइम अचीवमेंट के लिए दिया जाएगा। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआइ) ने गुरुवार को बयान जारी कर यह जानकारी दी है। बीसीसीआइ के बयान के मुताबिक गुरुवार को पुरस्कार समिति की बैठक मुंबई स्थित क्रिकेट मुख्यालय में हुई। बैठक में आमराय से किरमानी को 2015 के लिए पुरस्कार के लिए चुना गया। समिति में बीसीसीआइ अध्यक्ष शशांक मनोहर, सचिव अनुराग ठाकुर और द हिन्दू के संपादक एन राम शामिल हैं।
बीसीसीआइ देश के पहले कप्तान कर्नल कोटारी कनकैया नायुडु की जन्मशती मना रहा है। इस मौके पर उसने भारतीय क्रिकेट में मैदान के अंदर और बाहर उल्लेखनीय योगदान के लिए किसी एक व्यक्ति को सम्मानित करने के लिए नायुडु के नाम पर वार्षिक जीवन पर्यन्त उपलब्धि पुरस्कार की शुरुआत की। पुरस्कार में ट्राफी, प्रशस्ति पत्र और 25 लाख रुपए दिए जाएंगे। किरमानी ने 1976 में न्यूजीलैंड के खिलाफ टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण किया था। उन्होंने भारत की मशहूर स्पिन चौकड़ी के खिलाफ विकेटकीपिंग का जिम्मा बखूबी संभाला और अच्छा प्रदर्शन किया।
फारूख इंजीनियर के रहते हुए अपने करिअर की शुरुआत करने वाले किरमानी ने जल्द ही यह विकेटकीपिंग की जिम्मेदारी संभाल ली और अपने एक दशक तक चले करिअर में यह भूमिका अच्छी तरह से निभाई। उन्होंने निचले क्रम में बल्लेबाजी करते हुए दो टैस्ट शतक भी लगाए। किरमानी ने 1981-82 में इंग्लैंड के खिलाफ लगातार तीन टैस्ट मैचों में एक भी बाई रन नहीं दिया और उन्हें 1983 विश्व कप में सर्वश्रेष्ठ विकेटकीपर चुना गया था। वे किरमानी ही थे जिन्होंने जिंबाब्वे के खिलाफ कपिल देव के साथ 126 रन की साझेदारी की थी। भारतीय कप्तान कपिल ने तब ऐतिहासिक पारी खेलकर भारत को टेंटब्रिज वेल्स में जीत दिलाई थी।
गावसकर ने जब वेस्ट इंडीज के खिलाफ नाटआउट 236 रन बनाए थे तो किरमानी ने नौवें विकेट के लिए उनके साथ 143 रन की अटूट साझेदारी की थी। भारत सरकार ने 1982 में किरमानी को पदमश्री से सम्मानित किया था। वे कर्नाटक राज्य क्रिकेट के संघ के उपाध्यक्ष और राष्ट्रीय चयन समिति के अध्यक्ष भी रह चुके हैं।