केंद्र सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार के बाद अब राजस्थान में भी फेरबदल की तैयारियां शुरू हो गई हैं। प्रदेश में सरकार के खाली पडेÞ निगम, बोर्ड और आयोगों में राजनीतिक नियुक्तियां होने के आसार बन गए हैं। हालांकि इस मामले में अभी प्रदेश भाजपा और आरएसएस के स्तर पर ही नामों को लेकर कसरत की जा रही है। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के विदेश दौरे से लौटने के बाद इसे अंतिम रूप दिया जाएगा। बताया जा रहा है कि राजे अपने कुछ मंत्रियों के काम से नाखाुश हैं। इसके चलते इन मंत्रियों को बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है।
महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश की भाजपा सरकारों के मंत्रिमंडल विस्तार के बाद अब राजस्थान की बारी है। प्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियों का भाजपाई लंबे अरसे से इंतजार कर रहे हैं। राज्य में सरकार ने अपना आधा कार्यकाल पूरा कर लिया है। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भी अपने मंत्रियों के कामकाज को पूरी तरह से परख चुकी हैं।
उधर, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अशोक परनामी भी अपनी नई टीम का गठन करने की तैयारी में हैं। परनामी ने कुछ समय पूर्व ही संकेत दिया था कि जल्द ही मंत्रिमंडल में फेरबदल होगा। इसके साथ ही उनकी कार्यसमिति का भी गठन होगा। प्रदेश भाजपा की टीम में इस बार कुछ मंत्रियों को भी स्थान दिया जाएगा। इससे साफ है कि मंत्रिमंडल से कुछ चेहरों की छुटटी कर उन्हें संगठन के कामकाज में लगाया जाएगा। प्रदेश में दो सौ में से भाजपा विधायकों की संख्या 160 है। इसलिए विधायकों की नाराजगी को थामने के लिए मुख्यमंत्री कुछ युवा विधायकों को सरकार में शामिल कर सकती हैं। मुख्यमंत्री ने पांच विधायकों को संसदीय सचिव बना कर उन्हें मंत्री का दर्जा भी दे रखा है।
भाजपा सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री अपने आधा दर्जन मंत्रियों के कामकाज से नाखुश हैं। मुख्यमंत्री ने विभागों की समीक्षा बैठकों के दौरान कई मंत्रियों से अपनी नाराजगी भी जताई थी। स्वास्थ्य, शिक्षा, पर्यटन और कला संस्कृति, जलदाय, नगरीय विकास और ग्रामीण विकास विभाग के कामकाज में तेजी नहीं आने से संघ भी खफा है। आरएसएस से जुडेÞ पदाधिकारी शिक्षा महकमे की कार्यशैली से नाराज हैं। प्रदेश के सरकारी अस्पतालों की दुर्दशा और स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार नहीं होने की ढेरों शिकायतें मुख्यमंत्री तक पहुंची हैं। इसके लिए चिकित्सा मंत्री राजेंद्र राठौड़ को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है।
राठौड़ राजनीतिक तौर पर तेजतर्रार माने जाते हैं। उनके गृह जिले चूरू की राजनीति को लेकर भी माना जा रहा है कि उन्हें संगठन में बड़ा पदाधिकारी बनाया जा सकता है। आरएसएस भी राठौड़ के साथ ही कई मंत्रियों को सरकार से अलग करवाने में जुटा हुआ है।
मंत्रिमंडल फेरबदल में इस बार भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व का पूरा दखल रहने की उम्मीद है। इसमें संघ के प्रदेश पदाधिकारियों के साथ भाजपा के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री वी सतीश की भूमिका प्रमुख रहेगी। वी सतीश संघ के प्रचारक हैं और राजस्थान में भाजपा का काम देख रहे हैं।

