पीएम किसान सम्मान निधि में हुए घोटाले को लेकर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि केंद्र सरकार को मामले की पूरी जानकारी है। इस संबंध में जांच का अधिकार राज्य सरकार के पास है और अपात्र लाभार्थियों की वह जांच कर सकती है। उन्होंने कहा कि पीएम किसान स्कीम के तहत लाभार्थी किसानों की पहचान करने की जिम्मेदारी राज्य सरकार को दी गई है। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु में हुए घोटाले के बारे में राज्य सरकार ने बताया है कि अब तक 47 करोड़ रुपये की रिकवरी की जा चुकी है। इस मामले की जांच सीबीसीआईडी कर रही है और अब तक 10 केस दर्ज हो चुके हैं। इस केस में 16 लोगों को अरेस्ट किया जा चुका है।
तोमर ने कहा कि मामला सामने आने के बाद ब्लॉक और डिस्ट्रिक्ट लेवल पर पीएम किसान लॉगइन आईडी को डीऐक्टिवेट किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि इस फर्जीवाड़े में शामिल होने के आरोपी 19 कॉन्ट्रैक्ट स्टाफ को नौकरी से हटा दिया गया है। इसके अलावा ब्लॉक लेवल के तीन असिस्टेंट डायरेक्टर्स को निलंबित किया गया है। उन पर आरोप है कि उन्होंने सुपरविजन में चूक की और पूरे मामले की जानकारी वरिष्ठ अधिकारियों को समय रहते नहीं दी।
देश के कई इलाकों में किसानों को योजना का लाभ न पहुंचने को लेकर उन्होंने कहा कि कई बार यह गलत डाटा की एंट्री करने से होता है। एक बार सही डाटा अपलोड होता है तो उसका वेरिफिकेशन किए जाने के बाद लाभार्थी के खाते में रकम ट्रांसफर की जाती है। उन्होंने कहा कि पीएम किसान योजना के लाभार्थियों का वेरिफिकेशन और उन्हें जोड़ना एक सतत प्रक्रिया है, यह पूरे साल चलती रहती है।
यूजरनेम चुराकर लगाई घोटालेबाजों ने चपत: उन्होंने कहा कि एक बार जब वेबसाइट पर किसान का डाटा अपलोड होता है तो उसका बहुस्तरीय वेरिफिकेशन होता है और कई एजेंसियां उसकी वैधता की जांच करती हैं। तमिलनाडु में हुए स्कैम को लेकर उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि कई अधिकारियों के यूजरनेम और लॉग इन आईडी को चुरा लिया गया था।
सालाना 12,000 रुपये देने का कोई प्रस्ताव नहीं: इसके साथ ही लोकसभा में मंगलवार को एक अहम सवाल का जवाब देते हुए कृषि मंत्री ने कहा कि फिलहाल इस योजना के तहत किसानों को साल भर में 12,000 रुपये दिए जाने का कोई प्रस्ताव नहीं है। उन्होंने कहा कि अगस्त तक इस स्कीम के तहत किसानों को 38,282 करोड़ रुपये की रकम जारी की जा चुकी है।