मुंबई महानगरपालिका में सबकुछ अच्छा नहीं चल रहा है। कर्मचारियों के उत्पीड़न से लेकर लोगों की सुनवाई नहीं होने तक की शिकायतें तो पहले भी आ रही थीं, लेकिन भ्रष्टाचार के साथ बड़े घोटाले के नए आरोप लगने से दाल में कुछ कालापन की बातें भी उठनी शुरू हो गई हैं। इसको लेकर गुस्सा बढ़ रहा है।

मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) के सफाईकर्मियों का आरोप है कि उनके प्राविडेंट फंड का पैसा कहां जा रहा है किसी को नहीं मालूम है। जबकि इसका पैसा हर महीने काटा जा रहा है। उनका आरोप है कि यह मामूली रकम नहीं है, बल्कि इस घोटाले में करीब 80 करोड़ रुपये की हेराफेरी की गई है। बीएमसी के सैकड़ों सफाईकर्मियों ने आरोप लगाया है कि यहां के हर विभाग में घोटाला हो रहा है।

इसको लेकर मंगलवार को मुंबई के खेरवाड़ी इलाके में सैकड़ों सफाई कर्मचारियों ने मुंबई महानगरपालिका के खिलाफ आंदोलन किया। उनका आरोप है कि मुंबई महानगरपालिका के लिए हजारों सफाई कर्मचारी परमानेंट और कॉन्ट्रैक्ट बेस पर काम करते हैं, लेकिन बीएमसी के अधिकारियों और कॉन्ट्रैक्टर की मिलिभगत से जितनी रकम उनके पीएफ खाते में जमा की जानी चाहिए वह नहीं जमा की जा रही है। इसकी जानकारी मिलने पर अब वे अपने हक के लिए सड़क पर उतरकर आंदोलन करने को विवश हुए हैं।

कर्मचारियों का कहना है कि उनकी शैक्षिक योग्यता कम होने से कांट्रैक्टर और अफसर आपस में उनके साथ अन्याय कर रहे हैं। कहा कि पीएफ को वे अपने बच्चों की शिक्षा, शादी और खुद की वृद्धावस्था के लिए सुरक्षित रखा हुआ मानकर चल रहे थे, लेकिन हाल ही में पता चला कि वह धन उनके खाते में नहीं जा रहा है। इससे वे ठगे हुए महसूस कर रहे हैं।

कहा कि हमारे कम पढ़े-लिखे होने से कांट्रैक्टर और अफसर हमारे कागजों में हेराफेरी कर रहे हैं। इसके बारे में हमें कुछ भी नहीं बताया जाता है। हमें सिर्फ इतना पता है कि हमारे वेतन का इतना हिस्सा काटा जा रहा है, लेकिन वह कहां गया यह किसी ने नहीं बताया।

इसकी वजह से हम खुद के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ आंदोलन करने को विवश हुए हैं। कर्मचारियों ने सरकार से मांग की कि इसकी उच्चस्तरीय जांच कराकर दोषियों पर कार्रवाई की जाए, क्योंकि यह रकम करोड़ों में है।