उपराज्यपाल नजीब जंग ने दिल्ली सरकार के वरिष्ठ वकील राहुल मेहरा और सरकारी वकीलों के पैनल के सदस्य संतोष कुमार त्रिपाठी के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं। युवा वकील विभोर आनंद ने उपराज्यपाल के पास शिकायत दर्ज कर आरोप लगाया था कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली में कथित भू-माफिया की ओर से गांव सभा की जमीन हड़पने के मामले में कानूनी कार्रवाई में जान-बूझ कर की गई देरी की वजह से राज्य सरकार को 1000 करोड़ से ज्यादा का नुकसान उठाना पड़ सकता है। उपराज्यपाल कार्यालय की ओर से 7 नवंबर को दिल्ली सरकार के राजस्व सचिव को जारी आदेश में कहा गया है, ‘शिकायतकर्ता द्वारा उठाए गए मुद्दे की जांच की जाए और कानून के अनुसार उचित कार्रवाई की जाए।’ शिकायतकर्ता युवा वकील विभोर आनंद ने स्थानीय तहसीलदार, प्रखंड विकास अधिकारी और राजस्व विभाग के अधिकारियों को भी आरोप के दायरे में लेते हुए मामले में उपराज्यपाल से उच्च स्तरीय जांच की मांग की थी।

 
इससे पहले दिल्ली सरकार के वकील संतोष कुमार त्रिपाठी ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा था कि शिकायतकर्ता को सरकार के कामकाज की प्रक्रिया की जानकारी नहीं है। शिकायतकर्ता ने दिल्ली सरकार के वकील संतोष कुमार त्रिपाठी (अतिरिक्त स्टैंडिंग काउंसेल, सिविल) और राहुल मेहरा (सीनियर स्टैंडिंग काउंसेल, सिविल) के खिलाफ उत्तर-पूर्वी दिल्ली में जमीनों के हड़पने के 16 मामलों में कदाचार, भ्रष्टाचार और पक्षपात का आरोप लगाया है। उनका कहना था कि मामले में हाई कोर्ट में अपील करने में जान-बूझ कर 774 से 784 दिनों की देरी की गई ताकि ट्रायल कोर्ट का फैसला बरकरार रह सके। दिल्ली सरकार ट्रायल कोर्ट में इन जमीनों से जुड़े सभी मुकदमे हार चुकी है।
शिकायतकर्ता ने कहा था, ‘मंडावली की गांव सभा की जमीनों से जुड़े 16 मामलों में हाई कोर्ट में सरकार का पक्ष रख रहे वकील संतोष कुमार त्रिपाठी, वरिष्ठ सरकारी वकील राहुल मेहरा और राजस्व अधिकारियों की मिलीभगत से नियत समय से दो साल से ज्यादा देर से अपील करने पहुंचे। विभोर आनंद ने कहा था अगर हाई कोर्ट इस देरी को माफ नहीं करता है तो मामला खुद-ब-खुद जमीन हड़पने में लगे निजी लोगों के पक्ष में जाएगा जो कि लापरवाही और जानबूझ कर निजी लोगों को लाभ पहुंचाने की मंशा के कारण होगा। भारतीय परिसीमा अधिनियम की खामियों का फायदा उठाते हुए अपील करने में देर कर मुकदमे को निजी लोगों के पक्ष में किया गया ताकि वे जमीन पर कब्जा बरकरार रख सकें।’ शिकायतकर्ता विभोर आनंद आप के 27 विधायकों को रोगी कल्याण समिति का अध्यक्ष बनाए जाने के खिलाफ चुनाव अयोग में लाभ के पद से जुड़ा मामला भी लड़ रहे हैं।