अपने डिप्टी सीएम के घर CBI की टीम पहुंची तो केजरीवाल गुस्से से बिफर गए। अमेरिकी अखबार न्यूयार्क टाइम्स में छपी खबर का जिक्र कर वो बोले कि दिल्ली के शिक्षा और स्वास्थ्य मॉडल की पूरी दुनिया चर्चा कर रही है। बीजेपी इसे रोकना चाहती है। इसीलिए भारत पीछे रह गया लेकिन वो दिल्ली के अच्छे कामों को रुकने नहीं देंगे। सीएम ने कहा कि पहले भी कई बार रेड हुईं। कुछ नहीं निकला। इस बार भी कुछ नहीं निकलने वाला।

हालांकि सीएम खुद को बेखौफ दिखाने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन उनकी सरकार के अफसरों समेत उनके कई नेता सीबीईआई के निशाने पर आ चुके हैं। इस बार एक्साइज पॉलिसी को लेकर जिस तरह से आप सरकार ने यू टर्न लिया है उसे देखकर लगता नहीं कि सिसौदिया का पीछा जल्दी छूटने वाला है।

केजरी सरकार पर पहली दफा सीबीआई की नजरे इनायत तब हुई दब उनके प्रिंसिपल सेक्रेट्री के घर एजेंसी की टीम पहुंची। 2015 में राजेंद्र कुमार के घर रेड पड़ी। उस समय केजरीवाल अपनी पूरी रौ में थे। दिल्ली असेंबली के दोबारा हुए चुनाव मं वो 67 सीटें जीतकर बहुमत से सरकार में लौटे थे। रेड पड़ी तो सीएम ने पीएम मोदी को साइकोपैथ और डरपोक तक कहा। लेकिन तब पहली बार उनकी सरकार को केंद्रीय एजेंसियों ने शिकंजा कसा।

सीबीआई ने राजेंद्र कुमार को 12 करोड़ के सरकारी पैसे के नुकसान का जिम्मेदार बताकर चार्जशीट दाखिल की। हालांकि विवाद बढ़ता देख राजेंद्र ने VRS ले लिया। उसके बाद से कई बार आप के नेता एजेंसियों के रडार पर आए। कई पर रेड भी हुईं। सिसौदिया पहले भी सीबीआई के निशाने पर आ चुके हैं। 2017 में वो “Talk To AK” कैंपेन को लेकर फंसे थे।

पहले उनको क्लीन चिट मिल गई लेकिन जब केजरी सरकार के ही फाइनेंशियल प्रिंसिपल सेक्रेट्री ने इस कैंपेन को लेकर मोर्चा खोला तो विजिलेंस की जांच भी शुरू हो गई। 2020 चुनावी कैंपेन के आखिरी दिन सीबीआई ने जब केजरी के OSD गोपाल कृष्ण को पकड़ा तो मामले ने तूल पकड़ा।