आतंकी हमले में अपनी आंखें गंवा चुके बीएसएफ के असिस्टेंट कमांडेंट संदीप मिश्रा की हौंसलाअफजाई के लिए केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह उनके घर पहुंच गए। शनिवार को मध्यप्रदेश के टेकनपुर में बीएसएफ अकादमी पहुंचे। राजनाथ सिंह ग्वालियर के टेकनपुर में अकादमी के दीक्षांत समारोह में शामिल होने पहुंचे थे। समारोह में आंखों की रोशनी खो चुके अफसर ने जब गीत सुनाया तो राजनाथ सिंह उनकी सुरीली आवाज की तारीफ कर उठे। राजनाथ सिंह को जब कमांडेंट मिश्रा की कहानी बताई गई तो गृहमंत्री ने उनके जज्बे के सलाम किए बगैर नहीं रह सके। गृहमंत्री अपने आधिकारिक दौरे के बीच से समय निकालकर दिव्यांग संदीप मिश्रा के परिजनों से मिलने उनके घर भी गए। राजनाथ सिंह ने संदीप, उनकी पत्नी इंद्राक्षी और बेटी आदृता के साथ लंच लिया।

गृह मंत्री ने ट्वीट कर कहा, ‘संदीप मिश्रा की पत्नी इंद्राक्षी उनकी मजबूती का आधार हैं जिन्होंने उनके दिव्यांग होने के बावजूद उनसे विवाह करने का निर्णय लिया।’ राजनाथ सिंह इस बातो को भी माना कि उन्हें इस फैमिली के साथ बैठ कर लंच करने पर गर्व महसूस हो रहा है।

 

संदीप मिश्रा अभी टेकनपुर की बीएसएफ एकेडमी में असिस्टेंट कमांडेंट हैं। साल 2000 में वह असम के तिनसुकिया जिले में तैनात थे, जब युनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा) के एक उग्रवादी हमले में उनकी आंखों की रोशनी चली गई थी। 13 दिसंबर 2000 को संदीप अपनी टुकड़ी के साथ मारुति जिप्सी गाड़ी में सादिया के जंगल में सर्चिंग के लिए गए थे।

लौटते वक्त अचानक घात लगाए उल्फा आतंकवादियों ने उनकी गाड़ी पर ऑटोमेटिक गन से ताबड़तोड़ गोलीबारी कर दी। हमले में संदीप को 3 गोलियां लगीं और उनकी आंखों के आगे अंधेरा छा गया। लेकिन दर्द से कराहते संदीप ने फायरिंग करना नहीं छोड़ा। संदीप की तरफ से गोलीबारी के चलते हमलावर वहां से भागने पर मजबूर हो गए, लेकिन इस उन्हें 2 और गोलियां लग गईं।

संदीप ने अपनी बहादुरी के चलते अपने साथियों की जान तो बचा ली लेकिन अपनी आंखों को नहीं बचा पाए। इलाज के दौरान डॉक्टरों ने उन्हें तो बचा लिया लेकिन गोली लगने के कारण उनके आंखों को नहीं बचा पाए। संदीप मिश्रा के त्याग और बहादुरी को देखते हुए उन्हें पुलिस मेडल से भी नवाजा गया। गृहमंत्री राजनाथ सिंह को जब संदीप मिश्रा की इस वीरता का पता चला तो वह भी इनके मुरीद हो गए।