डॉक्टरों का कर्तव्य होता है कि वह मरीजों का बेहतर से बेहतर इलाज करें। अगर डॉक्टर हड़ताल पर चले जाएं तो सबसे ज्यादा परेशानी मरीजों को होती है। पश्चिम बंगाल में बीते चार दिनों से ऐसा ही नजारा देखने को मिल रहा है। वहां जारी हड़ताल की वजह से समय पर इलाज न मिलने की वजह से एक पिता ने अपने नवजात बच्चे को हमेशा के लिए खो दिया। बेबस पिता बच्चे के मृत शरीर को हाथ में लेकर अस्पताल के बाहर फूट-फूट कर रोता रहा।

आनंदबाजार पत्रिका की फोटोग्राफर दमयंती दत्ता ने अपने आधिकारिक ट्वीटर हैंडल पर पिता और मृत बच्चे की एक तस्वीर शेयर की है। इस तस्वीर ने डॉक्टरों के हड़ताल पर जाने से क्या-क्या नुकसान होते हैं इसको बखूबी बयां किया है। इससे यह भी पता चलता है कि हड़ताल की वजह से मरीजों और उनके परिजनों किन परिस्थितियों से गुजरना पड़ता है।

फोटोग्राफर ने इस तस्वीर के साथ कैप्शन में लिखा है कि नवजात बच्चे की मौत इसलिए हुई क्योंकि डॉक्टरों ने इलाज करने से मना कर दिया। बता दें कि अपनी सुरक्षा की मांग को लेकर बीते मंगलवार से हड़ताल पर गए पश्चिम बंगाल के डॉक्टरों ने ममता सरकार की अपील के बावजूद हड़ताल वापस नहीं ली। दरअसल एनआरएस मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में मरीज की मौत के बाद परिजनों ने दो जूनियर डॉक्टरों के साथ मारपीट की थी जिसके बाद से ही डॉक्टर हड़ताल पर हैं।

हड़ताल का असर देश की राजधानी दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद और अन्य राज्यों पर भी पड़ रहा है। महाराष्ट्र में 4500 डॉक्टरों ने इस हड़ताल का समर्थन किया है। जबकि दिल्ली के एम्स अस्पताल में भी डॉक्टर हड़ताल पर हैं। मरीजों से कहा जा रहा है कि वह किसी और अस्पताल में जाकर अपना इलाज करवाएं।