Election results 2019: भारत में लोकसभा चुनाव के इतिहास में पहली बार चुनाव आयोग (EC) की विश्वसनीयता पर सवाल उठे हैं। बुधवार (22 मई, 2019) सुबह करीब 15 लोगों का एक समूह आयोग के दफ्तर के बाहर पहुंच गया और पोस्टर-बैनर लेकर सड़क पर प्रदर्शन शुरू कर दिया। एक खबरिया चैनल के मुताबिक लोगों का यह समूह सुबह साढ़े दस बजे के करीब राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली स्थित चुनाव आयोग के दफ्तर के बाहर पहुंचा। इन्होंने चुनावी चौकीदार यानी चुनाव आयोग की चौकीदारी पर सवाल उठाए। प्रदर्शन के दौरान लोगों ने ईवीएम की धांधली के आरोप भी लगाए। प्रदर्शन के दौरान ‘चुनाव आयोग और भाजपा गठरजोड़’ जैसे नारे लगाए। प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि 23 मई को मतों की गणना के साथ 100 फीसदी VVPAT का भी मिलान किया जाए, वरना चुनाव परिणाम का बहिष्कार किया जाएगा।
बता दें कि ईवीएम की विश्वसनीयता पर 22 विपक्षी पार्टियां अपना विरोध दर्ज करा चुकी हैं। इन पार्टियों ने चुनाव आयोग से मांग की कि VVPAT’s के सत्यापन के दौरान कोई अंतर पाया जाता है तो उस विधानसत्रा क्षेत्र के सभी मतदान केंद्रों के VVPAT’s पेपर स्लिप की गिनती 1000 फीसदी ईवीएम के परिणामों से की जाए। इस मामले में कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने मंगलवार (21 मई, 2019) को आयोग के अधिकारियों से मुलाकात की। आजाद के मुताबिक उन्होंने चुनाव आयोग से मांग की कि अगर वोटों में कोई भिन्नता पाई जाती है तो VVPAT पर्चियों को पहले गिना चाहिए।
हालांकि चुनाव आयोग ने विपक्ष की मांग खारिज करते हुए कहा कि वोटों की गितनी तय तरीके से ही होगी। इसके साथ ही आयोग ने विपक्ष की वीपीपीएटी पर्चियों को ईवीएम से मिलान करने की मांग को भी खारिज कर दिया। ईवीएम-वीवीपीएटी मुद्दे पर दिल्ली स्थित चुनाव आयोग के दफ्तर में बैठक हुई जिसके बाद यह फैसला लिया गया।