राजस्थान में केंद्र की शहरी योजनाओं पर अब जिला स्तर पर ही निगरानी होगी। इसके लिए जिला स्तर पर कमेटी बनाई जाएगी और इसमें विधायक और सांसदों को भी शामिल किया जाएगा। केंद्र की स्वच्छ भारत मिशन, अमृत मिशन समेत पांच योजनाओं के लिए जिला स्तर पर ही सलाहकार और निगरानी कमेटी के जरिए देखरेख का मसौदा तैयार किया गया है।

केंद्र की शहरी योजनाओं पर धीमी गति से काम होने की शिकायतों के बाद अब उन पर कड़ी निगरानी की जाएगी। इसके लिए केंद्र सरकार ने जनप्रतिनिधियों को भी भागीदार बनाने पर काम शुरू कर दिया है। केंद्र की भाजपा सरकार को शिकायतें मिल रही थी कि उसकी शहरी योजनाओं पर भाजपा शासित सरकारें ही ढीला रवैया अपना रही हैं इसके बाद ही शहरी विकास मंत्रालय ने निगरानी कमेटियों के जरिए कामों पर निगाह रखने के सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को निर्देश दिए हैं। इसके लिए केंद्र सरकार ने अपनी गाइडलाइन भी मुख्य सचिवों को दिया है। केंद्र सरकार के कामकाज का जनता में असर नहीं हो रहा है।

दूसरी तरफ केंद्र का मानना है कि उसके कामों को भी राज्य सरकारें अपनी उपलब्धि बता रही है। इसलिए भी केंद्र अपने कामों को प्रदेश सरकारों से अलग दिखाना चाहता है। प्रदेशों में केंद्र की मदद से चलने वाली योजनाओं के लिए राज्य स्तर पर सलाहकार समितियां बनी हुई हंै। इन राज्य स्तरीय समितियों की रिपोर्ट को केंद्र ने पर्याप्त नहीं माना है। केंद्र सरकार का मानना है कि राज्य स्तरीय समितियां प्रभावी तौर पर समस्याओं का निपटारा नहीं कर पा रही है। इसके बाद ही जिला स्तर पर कमेटियां बना कर आने वाली समस्याओं का निपटारा करने पर जोर दिया गया है।

केंद्र सरकार का तर्क है कि धरातल पर ही समस्याओं को सुलझाने का काम होना चाहिए। इन समस्याओं को सुलझाने में स्थानीय जनप्रतिनिधि ही अहम भूमिका निभा सकते हैं। इसलिए उन्हें समितियों में महत्व दिया जाए। केंद्र के निर्देशों के बाद जिला कमेटियों में स्थानीय निकायों के अध्यक्ष और मेयर को शामिल किया जाएगा। स्थानीय विधायक और सांसद भी समिति के सदस्य होंगे। जिला कलेक्टर को सदस्य सचिव बनाया जाएगा। शहरी विकास से जुडेÞ राज्य सरकार के विभागों के अधिकारी भी समिति में होंगे। 40 लाख से ज्यादा की आबादी वाले शहरों की समिति का सदस्य सचिव निकाय कमिश्नर होगा।

केंद्र सरकार ने जिला समितियों को ही ताकतवर बनाने का फैसला किया है। ये समितियां ही सभी कामों की गुणवत्ता तय करेंगी और उन्हें तय समय पर पूरा कराएंगी। इसके पीछे सोच है कि तय समय पर काम पूरे होने पर इनको केंद्र सरकार अपनी उपलब्धियों में शामिल कर सकेंगी। इसके जरिए ही शहरी क्षेत्रों में भाजपा सरकार अपनी वाहवाही लेगी।