तमिलनाडु में क्रैश गार्ड और बुल बार के इस्तेमाल पर रोक जारी रहेगी। मद्रास उच्च न्यायालय ने मंगलवार को केंद्र सरकार की दिसंबर 2017 की उस अधिसूचना को बरकरार रखा है जिसमें वाहनों में क्रैश गार्ड और बुल बार के इस्तेमाल पर रोक लगाई गयी थी। मुख्य न्यायाधीश संजीव बनर्जी और न्यायमूर्ति पी.डी ऑडीकेसवालु की पीठ ने माना कि केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने जनहित में अधिसूचना जारी की है।
पीठ ने कहा कि वह आम तौर पर सरकार द्वारा जनहित में जारी इस तरह की अधिसूचनाओं में तब तक हस्तक्षेप नहीं करेगी, जब तक वे बेतुकी या आपत्तिजनक न हों। अदालत की तरफ से कहा गया कि क्रैश गार्ड या बुल बार का फिट होना मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा 52 का उल्लंघन था, जो पंजीकरण प्रमाणपत्र में दिए गए निर्देशों के खिलाफ भी है। हालांकि याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया कि वाहनों में क्रैश गार्ड के फिट होने से वाहन के मूल विनिर्देश बदल जाते हैं और इसकी लंबाई बढ़ जाती है।
इससे बंबई उच्च न्यायालय ने मंगलवार को केन्द्रीय जांच ब्यूरो को नोटिस जारी करके उससे पुणे में 2013 में हुई नरेंद्र दाभोलकर की हत्या के मुख्य आरोपी वीरेन्द्रसिंह तावड़े की जमानत याचिका पर जवाब देने को कहा। न्यायमूर्ति एस. एस. शिंदे और न्यायमूर्ति एन. जे. जामदार की पीठ ने सीबीआई से दो सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा।
केन्द्रीय एजेंसी ने तावड़े को 2016 में गिरफ्तार किया था और अपने आरोपपत्र में कहा है कि दाभोलकर की हत्या के षड्यंत्र रचने वालों में से एक तावड़े है। पुणे के यरवदा जेल में बंद तावड़े ने इस साल की शुरुआत में उच्च न्यायालय में जमानत याचिका दायर की थी। अदालत जमानत याचिका पर आगे की सुनवाई 13 अक्टूबर को करेगी।इधर इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मंगलवार को राजनीतिक दलों में गैंगस्टर और अपराधियों का स्वागत किए जाने पर चिंता जाहिर की। न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि इन अपराधियों को चुनाव लड़ने के लिए टिकट दिए जाते हैं और कभी कभी वे जीत भी जाते हैं, इसलिए इस रुख पर जितनी जल्दी हो सके, अंकुश लगाने की जरूरत है।