बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने बीजेपी के वैचारिक संरक्षक माने जाने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएएस) को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर जमकर निशाना साधा है। उन्होंने विधानसभा में अपने भाषण के दौरान नीतीश और उनके बीच आरएसएस पर हुई बातचीत का जिक्र करते हुए बातचीत का जिक्र किया। संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) पर चर्चा के दौरान तेजस्वी ने कहा कि नीतीश उनसे कहा करते थे कि आरएसएस के लोग बेहद खतरनाक होते हैं।
उन्होंने कहा ‘सारा खेल आप जानते हैं। मुझे याद है जब मैं उप-मुख्यमंत्री था तो नीतीश जी मेरे बगल में ही बैठा करते थे। वह मुझसे कहा करते थे कि आरएसएस के लोग बहुत खतरनाक हैं उनके डिजाइन से बचना। आप मुझे हौंसला देकर कहते थे कि बहुत लंबी लड़ाई है। वे हमसे कहते थे कि अब तुम लोगों को ही संभालना है। अब वह यह बात चिराग पासवान को कहते होंगे।’
उन्होंने आगे कहा ‘अगर देश को बचाना है तो अपना हित को छोड़ते हुए देश हित में फैसला लेना होगा।’क्या डर है किनसे डर है। अब तो आपका कार्यकाल हो गया। लेकिन आगे आने वाली पीढ़ी के भविष्य को उज्जवल करने के लिए फैसला लीजिए।’ जब वह भाषण दे रहे थे तो इस दौरान नीतीश कुमार और उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी सदन में मौजूद थे। बता दें कि उन्होंने अपने भाषण का यह वीडियो अपने आधिकारिक ट्वीटर हैंडल पर ट्वीट किया है। यह वीडियो 13 जनवरी (सोमवार) को ट्वीट किया गया है।
India has never seen any egotistical “Deceit Lord” like Nitish Kumar. He cares about power not the people. He pledges by “Conditions put forth to remain in power” not the CONSTITUTION by selling mandate, mortgaging principles & ideology. Therefore, stop misleading Mr. Marketeer! pic.twitter.com/GIxklvlI1e
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) January 14, 2020
उल्लेखनीय है कि तेजस्वी सीएए और एनआरसी के विरोध में गुरूवार से बिहार में दौरा करने वाले हैं। बुधवार को मकर संक्रांति के अवसर पर सदाकत आश्रम में आयोजित समारोह में भाग लेते हुए तेजस्वी ने मुख्यमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा कि एनपीआर जो कि एनआरएसी को लेकर पहला कदम है उसे तो वह रोक नहीं पाए। तेजस्वी ने कहा, ‘उनके (नीतीश के) मन में छल-कपट तो है ही। मामले को टालना था, उन्होंने टाला पर वे कितने दिनों तक टालेंगे। बिहार की जनता देख रही है कि कैसे यह पार्टी (जदयू) और उसके नेता अपने दल के संविधान को नहीं मानते।’