किसानों के मसीहा कहे जाने वाले पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह का 29 मई 1987 को निधन हुआ था। वह देश के पांचवें पीएम थे और उत्तर प्रदेश के बागपत से चार बार सांसद रहे थे। हालांकि, चौधरी साहब पहले ऐसे पीएम थे, जिन्होंने अपने कार्यकाल में संसद का मुंह तक नहीं देखा था।
हापुड़ में जन्मे सिंह ने आगरा विवि से लॉ की और गाजियाबाद में वकालत की। वह आर्य समाजी थे और बेहद सरल और सहज जीवन जीते थे। मामूली सी एंबैस्डर गाड़ी से चला करते थे। जहाज से चलने के खिलाफ थे। बताया जाता है कि वह संत कबीर के अनुनायी थे और उनके दोहे गाया करते थे।
वह 100 फीसदी शाकाहारी सिंह धोती और एचएमटी की घड़ी उल्टी पहना करते थे। इमरजेंसी के दौरान वह जेल में डाल दिए गए थे। इंदिरा के विरोधी तब लामबंद हुए, जिसके बाद वह हार गई थीं।
चौधरी चरण सिंह ने इंदिरा को जेल भी भिजवाया था और नेहरू के खिलाफ आवाज भी उठाई थी। सियासी जानकारों को मुताबिक, वह देश से न्यूनमत लेने, अधिकतम दिने और सादगी से जीवन जीने वाले नेता रहे। आइए जानते हैं, उनके जीवन से जुड़े कुछ अनसुने और रोचक किस्से:
- साल 1967 में वह पहली बार यूपी के सीएम बने थे। बताया जाता है कि तब तक उनके पास एक ही ऊनी शेरवानी थी। वह भी एक जगह से फट चुकी थी। उन्होंने उसे रफू कराने के लिए भेजा, पर दर्जी से वह गलती से गुम हो गई थी। स्टाफ ने आकर जब यह बात उन्हें बताई तो चौधरी साहब सोच विचार करने के बाद बोले थे- दर्जी तो बेचेरा गरीब है। वह कहां से शेरवानी की भरपाई कर पाएगा। चलिए, कम से कम इस बहाने नए शेरवानी बन जाएगी। कहा जाता है कि यह नई शेरवानी उन्होंने 1978 तक पहनी।
- 1997 में वह केंद्र में गृह मंत्री थे। यूपी के मेरठ में सर्किट हाउस के दौरे पर उन्हें भुट्टा ऑफर किया गया था। वह जब भुट्टा खा रहे थे, तब एक और सीनियर नेता भी भुट्टा खा रहे थे। उनका खाने का अंदाज देख चौधरी साहब ने टोकते हुए कहा, “भाई साहब, यह चने नहीं हैं। भुट्टे हैं…इन्हें मुंह लगाकर ही खाया जाता है।” दरअसल, वह नेता हाथ से भुट्टे के दाने निकाल-निकाल कर खा रहे थे, जिस पर उन्हें टोका गया था। जानकारी के मुताबिक, उन्हें गन्ना, भुट्टा और आम खाने में खासा पसंद थे। वह इन्हें देसी अंदाज में खाया करते थे।
- चरण सिंह पर कांग्रेस के नेता नवल किशोर ने तब जातिवादी होने का आरोप लगाया था। वह इससे आहत हुए और इस इंटरव्यू को छापने वाले अखबार नेशनल हेराल्ड के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की धमकी भी दी थी। सियासी जानकारों की मानें तो इसी घटनाक्रम के बाद से उनके और इंदिरा के बीच खटास पड़ी थी। आगे जब सिंह केंद्र में गृह मंत्री बने तब उन्होंने इंदिरा को गिरफ्तार करा जेल भिजवा दिया था। मोरारजी देसाई के खिलाफ मुहिम में इंदिरा ने पहले साथ दिया, पर बाद में वह जब पीएम बन गए थे, तब समर्थन वापस ले लिया था।
- चौधरी चरण सिंह किसानों के बड़े नेता थे। उन्होंने कभी भी चुनाव लड़ने या फिर पार्टी फंड के लिए किसी कारोबारी का साथ नहीं लिया। उनका मानना था कि अगर हम उनकी मदद लेंगे तो कानून भी उन्हीं के हिसाब से बनाने पड़ेंगे। आम लोगों से पैसे लूंगा तो आम जनता के लिए कानून बनेगा। एक बार तो उन्होंने शराब व्यापारी के पार्टी फंड में जमा नौ लाख रुपए लौटा दिए थे।
- चौधरी साहब को शराब-सिगरेट, क्रिकेट और सिनेमा से सख्त नफरत थी। वह इन्हें पसंद करने वाले लोगों को भी नापसंद किया करते थे। वह इसके अलावा फिजूलखर्ची और लापरवाही पर भी नाराज होते थे। क्रिकेट को लेकर अपनी राय जाहिर करते हुए एक बार वह बोले थे- रेडियो पर क्रिकेट की रनिंग कमेंट्री बंद करा देनी चाहिए। यह चीज पांच-पांच दिन तक लोगों को निठल्ला और बेकार बनाए रखती है। देश के लोगों की वर्किंग कैपेसिटी पर इससे खराब असर पड़ता है। हालांकि, उन्हें पढ़ना और पत्राचार करना पसंद था।
- सिंह के नाती और चरण सिंह अभिलेखागार का काम संभाल चुके हर सिंह ने बीबीसी को एक किस्सा बताया था, “चौधरी साहब के साथ कई लोग बैठे थे। इस बीच, मसूद साहब कागज देने आए थे। वह सामने से गए, तो सिंह ने हाथ पकड़कर टोका और बोले- पीछे से। सामने से क्यों आ रहे हो? तुम तो पढ़े-लिखे मुसलमान हो। तुम्हारा शिष्टाचार तो और बेहतर होना चाहिए। कुछ सीखो।”