उत्तर प्रदेश में कुछ महीने पहले जब लोकसभा चुनाव के नतीजे आए थे तो योगी आदित्यनाथ के कामकाज पर सवाल उठने लगे थे। यहां तक कि जब उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने यह कहा कि संगठन सरकार से बड़ा है तो इसे लेकर भी पार्टी संगठन और सरकार के बीच खींचतान की खबरें सामने आई लेकिन अब जब उपचुनाव के नतीजों में बीजेपी ने शानदार प्रदर्शन किया है तो इससे लोकसभा चुनाव में मिली हार के जख्म कुछ हद तक भर गए हैं।
उत्तर प्रदेश में 9 सीटों के लिए हुए विधानसभा उपचुनाव में बीजेपी और एनडीए की भारी जीत के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सियासी कद में निश्चित रूप से इजाफा हुआ है।
बताया जा रहा है कि अब जल्द ही योगी आदित्यनाथ सरकार के मंत्रिमंडल में फेरबदल होगा क्योंकि फरवरी 2027 में उत्तर प्रदेश में विधानसभा का चुनाव होना है। उत्तर प्रदेश बहुत बड़ा राज्य है और ऐसे राज्य में चुनाव के लिए सवा 2 साल का वक्त ज्यादा नहीं है।
माना जा रहा है कि बीजेपी अब 2027 के चुनावी समर के लिहाज के अपनी नई टीम को तैयार करेगी।

लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद उत्तर प्रदेश में इंडिया गठबंधन में शामिल दलों सपा और कांग्रेस के हौसले बुलंद थे। इन दलों की ओर से लगातार यह कहा जा रहा था कि वह इस उपचुनाव में भी सभी सीटों पर जीत हासिल करेंगे लेकिन सपा सिर्फ दो सीटों पर जीती है। कांग्रेस ने चुनाव नहीं लड़ा था।
सरकार,संगठन ने झोंकी चुनाव में ताकत
बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस उपचुनाव को बेहद गंभीरता से लिया। हालात यह थे कि योगी सरकार के मंत्रियों को इन विधानसभा सीटों का प्रभारी बनाया गया था। पार्टी संगठन के कई बड़े नेता इन विधानसभा सीटों पर प्रचार कर रहे थे और उन्हें इस बात का टास्क दिया गया था कि उपचुनाव में बीजेपी और एनडीए को ज्यादा ज्यादा सीटों पर जीत हासिल करनी है।

कुंदरकी में मिली जीत
उत्तर प्रदेश के विधानसभा उपचुनाव के नतीजों में एक बात यह भी महत्वपूर्ण है कि मुस्लिम बहुल मतदाताओं वाली कुंदरकी सीट पर बीजेपी को जीत मिली है। एक और ऐसी ही सीट मीरापुर में भी बीजेपी के सहयोगी दल राष्ट्रीय लोकदल ने जीत का परचम लहराया है। करहल सीट पर भी बीजेपी का प्रदर्शन 2022 के मुकाबले काफी अच्छा रहा है।
निश्चित रूप से इस प्रदर्शन के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और बीजेपी विधानसभा चुनाव की तैयारियों में पूरी ताकत के साथ जुटेंगे।
बात अगर मंत्रिमंडल विस्तार की करें तो योगी आदित्यनाथ सरकार के मंत्रिमंडल में संगठन से भी कुछ नेताओं को शामिल किया जा सकता है। इन दिनों भाजपा में संगठन के चुनाव हो रहे हैं। इसके तहत पूरे प्रदेश में बूथ, मंडल और जिला स्तर पर कमेटियों के चुनाव के बाद प्रदेश स्तर पर भी एक नई टीम देखने को मिलेगी और ऐसे में पार्टी किसी नए चेहरे को प्रदेश अध्यक्ष बना सकती है।

पीडीए कार्ड का जवाब देगी बीजेपी
उपचुनाव में प्रदर्शन के बाद यह माना जा रहा है कि मंत्रिमंडल के विस्तार में योगी आदित्यनाथ की राय को केंद्रीय नेतृत्व निश्चित रूप से तवज्जो देगा। बीजेपी इस विस्तार में जातियों को साधने पर भी काम करेगी क्योंकि समाजवादी पार्टी पिछड़ा, दलित अल्पसंख्यक (पीडीए) कार्ड चल रही है इसलिए बीजेपी योगी के मंत्रिमंडल में पिछड़ी और दलित जातियों के नेताओं को प्रमुखता दे सकती है।
योगी आदित्यनाथ की सरकार में अभी कुल 54 सदस्य हैं और नियमों के मुताबिक इसमें 60 सदस्य हो सकते हैं। ऐसे में मंत्रिमंडल में 6 और नेताओं को शामिल किया जा सकता है।
‘बंटेंगे तो कटेंगे’ को मिली चर्चा
योगी आदित्यनाथ ने न सिर्फ उत्तर प्रदेश के उपचुनाव में बल्कि महाराष्ट्र और झारखंड के विधानसभा चुनाव में भी धुआंधार प्रचार किया। इस दौरान योगी आदित्यनाथ की ओर से दिए गए ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ के नारे को बड़े पैमाने पर चर्चा मिली। महाराष्ट्र के चुनाव नतीजों से यह साफ है कि कहीं ना कहीं इस नारे का असर जरूर हुआ है क्योंकि कड़े माने जा रहे मुकाबले में बीजेपी की अगुवाई वाले महायुति ने विपक्षी महा विकास अघाड़ी गठबंधन को ध्वस्त कर दिया है।
उत्तर प्रदेश में सपा जिस तरह पीडीए कार्ड के जरिए राजनीति कर रही है, ऐसे में आने वाले दिनों में बीजेपी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘एक हैं तो सेफ हैं’ के साथ ही योगी आदित्यनाथ के ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ के नारे को आगे रखकर चुनाव लड़ सकती है।