नरेंद्र मोदी सरकार के भ्रष्टाचार मुक्त सरकार के दावे पर सवाल खड़े करते हुए पूर्व आप नेता योगेंद्र यादव ने कहा है कि भ्रष्टाचार पर नजर रखने वाली संस्थाएं व्यावहारिक रूप से काम नहीं कर रही हैं। उन्होंने कहा कि मनमोहन सिंह सरकार के पहले साल के दौरान भी किसी घोटाले का खुलासा नहीं हुआ था। उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार की नीतियां बेशर्मी के साथ किसान विरोधी हैं और मनमोहन सिंह सरकार से अलग नहीं हैं, जो देश को ज्यादा तेज रफ्तार से विनाश के उसी रास्ते पर ले जा रही हैं।
यादव ने आरोप लगाया कि सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई करने की ज्यादा इच्छाशक्ति नहीं दिखाई है। उन्होंने आरोप लगाया,‘यह ऐसी सरकार है जो किसी संस्थान की लोकतांत्रिक स्वायत्ता को नहीं समझती और इसने भ्रष्टाचार के खिलाफ कदम उठाने और संस्थागत पारदर्शिता के लिए बहुत इच्छाशक्ति नहीं दिखाई है। यहां तक कि यह सरकार शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार की चुनौतियों को भी नहीं समझ पाई जो हमारे देश की बड़ी चिंता है।’ यादव ने कहा कि सरकार का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है।
यूपीए सरकार के विपरीत, बीते एक साल में भ्रष्टाचार का कोई मामला सामने नहीं आने के भाजपा और मोदी सरकार के दावे पर यादव ने बताया,‘यह कहना मूर्खतापूर्ण होगा कि कोई बड़ा घोटाला नहीं हुआ है। मनमोहन सिंह सरकार के पहले साल के दौरान भी कोई बड़ा घोटाला उजागर नहीं हुआ था।’ आप के पूर्व नेता ने कहा,‘घोटालों का पता तभी चल पाता है जब इसका लेखा परीक्षण चक्र पूरा हो जाता है और लेखा परीक्षण की पूरी व्यवस्था हो, लेकिन, इस एक साल में मोदी सरकार की सीवीसी और सीआइसी जैसी संस्थाएं व्यावहारिक तौर पर काम नहीं कर रही हैं। ऐसे में आप कैसे किसी जानकारी के बाहर आने की उम्मीद कर सकते हैं।’
उन्होंने इस बात पर ध्यान दिलाते हुए कहा,‘यदि ये निगरानी संस्थाएं काम नहीं कर रही हैं और महत्त्वपूर्ण व्यक्तियों की नियुक्तियां नहीं हैं, तो हम कैसे इनके (किसी भी घोटाले के) सामने आने की उम्मीद कर सकते हैं।’ यादव ने कहा,‘भ्रष्टाचार को लेकर कांग्रेस और भाजपा दोनों का पिछला रिकॉर्ड बहुत खराब रहा है। लेकिन वर्तमान में हमारा ध्यान भाजपा पर है क्योंकि यह भ्रष्टाचार खत्म करने के वादे पर ही सत्ता में आई है। उन्होंने (भाजपा ने) अब तक तो कुछ खास नहीं किया है।’ उन्होंने कहा,‘यदि आप वादों और बयानबाजी के आधार पर इस सरकार का आकलन करेंगे तो निश्चित तौर पर कुछ भी सामने नहीं आएगा और यह एक मजाक है।’
उन्होंने आरोप लगाया,‘यह बीते दो-तीन दशक की सबसे बेशर्म किसान विरोधी सरकार है। यह अब तक हमारी नजरों से गुजरी सरकारों में सबसे अधिक पारिस्थितिकी विरोधी और पर्यावरण विरोधी सरकार भी है।’