आम आदमी पार्टी के बीच गहराती अंदरूनी कलह आज फिर सामने आ गई जब पार्टी के शीर्ष नेताओं ने शांति भूषण, प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव पर हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि वे पार्टी को हराने और अरविन्द केजरीवाल की छवि खराब करने के लिए काम कर रहे थे ।
अंदरूनी कलह सामने आने के बाद से शीर्ष पार्टी नेताओं की ओर से पहले आधिकारिक बयान में उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, परिवहन मंत्री गोपाल राय, पार्टी महासचिव पंकज गुप्ता और संजय सिंह ने प्रशांत और यादव को राजनीतिक मामलों की समिति :पीएसी: से निकालने के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के फैसले का बचाव किया ।
नेताओं ने बयान में कहा, ‘‘तीनों ने, खासकर प्रशांत ने दूसरे राज्यों से कार्यकर्ताओं को बुलाया और उनसे कहा कि वे पार्टी के लिए प्रचार नहीं करें । मैं इस बार पार्टी के लिए प्रचार नहीं करूंगा । आप लोग भी प्रचार न करें । पार्टी के लिए आवश्यक है कि यह हार जाए । केवल तभी अरविन्द (केजरीवाल) को कुछ होश आएगा ।’’
आप नेताओं की ओर से जारी संयुक्त बयान में कहा गया, ‘‘अंजलि दमानिया :महाराष्ट्र से आप नेता: के सामने उन्होंने मैसूर के कार्यकर्ताओं से यही कहा था । पार्टी को चंदा देने वालों को ऐसा करने से हतोत्साहित किया गया ।’’
पिछले हफ्ते प्रशांत और यादव को पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में मतदान के जरिए पीएसी से बाहर कर दिया गया था। दोनों को बाहर करने का प्रस्ताव सिसोदिया द्वारा लाया गया था । सिंह ने इसका अनुमोदन और गुप्ता एवं राय सहित नौ अन्य ने इसका समर्थन किया था ।
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अरविन्द केजरीवाल के नेतृत्व में पार्टी के एक तबके ने आरोप लगाया था कि तीनों केजरीवाल को पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक पद से हटाना चाहते थे ।
नेताओं ने दावा किया, ‘‘चुनाव से दो सप्ताह पहले, जब :आप नेता: आशीष खेतान ने प्रशांत जी को फोन किया और उनसे पार्टी की दिल्ली डायलॉग पहल का नेतृत्व करने का आग्रह किया तो प्रशांत जी ने कहा कि वह चाहते हैं कि पार्टी हार जाए और यह केवल 20…22 सीटें जीत पाए । यदि पार्टी हार गई केवल तभी नेतृत्व को कुछ होश आएगा ।’’
उन्होंने दावा किया कि प्रशांत ने उस वक्त एक संवाददाता सम्मेलन करने की भी धमकी दी थी जब चुनाव प्रचार जोरों पर था ।
नेताओं ने आरोप लगाया, ‘‘तीन दिन तक, आप के 10 वरिष्ठ नेता उन्हें यह समझाने की कोशिश करते रहे कि वह कोई संवाददाता सम्मेलन नहीं करें क्योंकि इसका पार्टी पर नकारात्मक असर होगा । जब भाजपा और आप के बीच कड़ा संघर्ष हो रहा था तब वरिष्ठ नेता उन्हें समझाने की कोशिश में लगे थे और उनका कीमती समय नष्ट हो रहा था ।’’