एबीपी न्यूज पर इंटरव्यू के दौरान योग गुरू स्वामी रामदेव ने कहा कि हम रिसर्च के सारे प्रोटोकॉल को पूरी तरह से फोलो करते हैं। खुद फक्कड़ बने रहते हैं, नंगे बदन रहते हैं। लेकिन जो टाई शाई पहनकर खुद को खुदा या ब्रह्म समझते हैं उनका भ्रम हमने तोड़ दिया है।

बातचीत में आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि हमने पूरे नियमों का पालन करते हुए औषधि तैयार की थी। रिसर्च जर्नल में कुछ एक बातों को लेकर लोगों को कहने का मौका मिल गया था। कोरोना की सहायक दवाई के रूप में अब लाइसेंस भी मिल गया है। 154 देशों के लिए अप्रूवल भी मिल चुका है। 100 औषधि ऐसी हैं पतंजलि की जो पूरे विश्व में भेजी जा रही हैं।

मेडिकल टेररिज्म पर आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि ये शब्द उन लोगों के लिए है जो एलोपैथी के क्षेत्र में माफिया का काम कर रहे हैं। गैर जरूरी दवा, गैर जरूरी ऑपरेशन और गैर जरूरी टेस्ट को मेडिकल टेररिज्म बोलते हैं। मेडिकल माफियाओं का बहुत बड़ा कारोबार है जो कि मरीजों से कमीशन खाते हैं।

स्वामी रामदेव ने कहा कि मुझे ये समझ नहीं आता कि लोग विज्ञान के नाम पर अंधविश्वास क्यों फैलाते हैं? मुझे लोगों का इलाज करने के लिए नोबेल पुरस्कार नहीं चाहिए। लोगों का प्यार ही काफी है। बात सिर्फ कोरोनिल की नहीं है। आज हम एक बड़ी लकीर खींच रहे हैं।

रामदेव ने दावा किया कि एक करोड़ लोग तो कोरोनिल खाकर ठीक हो चुके हैं। रामदेव ने कहा कि कोरोना वैक्सीन की सूची में हमने अपना नाम लिखवाया हुआ है। हम एलोपैथी या वैक्सीन के खिलाफ नहीं है। लेकिन आने वाले वक्त में हम एलोपैथी को बड़ी चुनौती देने जा रहे हैं।

बता दें कि योग गुरु रामदेव ने पतंजलि द्वारा बनाई गए कोविड-19 की दवा पर लिखे गए एक वैज्ञानिक शोध पत्र को जारी किया। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की मौजूदगी में उन्होंने ये शोध पत्र जारी किया।