हाल ही में राष्ट्रपति चुनाव संपन्न हुए और एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को चुनाव में जीत हासिल हुई। वहीं विपक्ष की ओर से संयुक्त रूप से पूर्व केन्द्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा उम्मीदवार थे। यशवंत सिन्हा की चुनाव में हार हुई और अब लोग यह जानना चाह रहे कि यशवंत सिन्हा सक्रिय राजनीति में आएंगे या अब वो सक्रिय राजनीति में नहीं दिखेंगे।
यशवंत सिन्हा ने राजनीति में आने को लेकर समाचार एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए कहा है कि अब मैं इंडिपेंडेंट रहूंगा। उन्होंने कहा, “मैं स्वतंत्र रहूंगा और किसी अन्य पार्टी में शामिल नहीं होऊंगा। किसी ने मुझसे बात नहीं की है और न ही मैंने किसी से बात की है। टीएमसी के एक नेता के साथ मैं पर्सनल बेसिस पर कांटेक्ट में बना रहता हूं। मुझे देखना होगा कि मैं (सार्वजनिक जीवन में) क्या भूमिका निभाऊंगा, मैं कितना सक्रिय रहूंगा। मैं अभी 84 साल का हूं, इसलिए ये मुद्दे हैं। मुझे देखना होगा कि मैं कब तक इसे जारी रख सकता हूं।”
द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को राष्ट्रपति पद की शपथ ली और इस तरह से वह भारत के सर्वोच्च पद पर पहुंचने वाली दूसरी महिला और पहली आदिवासी महिला बन गईं हैं। द्रौपदी मुर्मू स्वतंत्र भारत में जन्मी पहली राष्ट्रपति हैं।
राष्ट्रपति चुनाव में कुल 4754 वोट पड़े थे जिसमें 4701 वैध थे बाकि 53 वोट अमान्य घोषित कर दिए गए थे। एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को प्रथम वरीयता के 2824 वोट मिले, जिनकी वोट वैल्यू 6,768,03 रही। वहीं विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को 1877 वोट मिले, जिनकी वोट वैल्यू 3,801,77 रही। द्रौपदी मुर्मू को 60 फीसदी से अधिक वोट मिले। विपक्ष के वोटरों ने भी क्रॉस वोटिंग कर द्रौपदी मुर्मू को अपना समर्थन दिया।
बता दें कि यशवंत सिन्हा बीजेपी में लम्बे समय तक रहे और अटल सरकार में केन्द्रीय मंत्री भी थें। पीएम मोदी के सत्ता में आने के बाद वह मोदी सरकार की आलोचना करने लगे और 2018 में उन्होंने बीजेपी छोड़ दी। पिछले वर्ष 2021 में बंगाल चुनाव के ठीक कुछ दिन पहले यशवंत सिन्हा ने तृणमूल कांग्रेस जॉइन की थी। लेकिन राष्ट्रपति चुनाव का उम्मीदवार बनने से पहले उन्होंने टीएमसी से इस्तीफा दे दिया था।
