देश की राजधानी दिल्ली में आए दिन वायु प्रदूषण को लेकर बने खतरे के बीच दिल्ली विश्वविद्यालय के लक्ष्मीबाई कालेज की तरफ से एक अनूठा कदम उठाया जा रहा है। बता दें कि लक्ष्मीबाई कालेज परिसर को गांव की तर्ज पर विकसित किया गया है। इसे गोकुल नाम दिया गया है। इसमें बन रही यज्ञशाला को लेकर प्रिंसिपल प्रत्यूष वत्सला ने कहा कि यहां यज्ञ अलग-अलग मौकों पर “वायु को शुद्ध करने” के उद्देश्य से किए जाएंगे।
बता दें कि विश्वविद्यालय परिसर में बने गोकुल में झूला, एक झोपड़ी, एक तालाब और एक मंदिर की परिकल्पना है। इसमें इको पार्क सबसे पहले बनाया गया था, जिसमें कई बत्तख और खरगोश रहते हैं। इसके उद्देश्य को लेकर वत्सला ने बताया कि इससे दिल्ली में रहने वाले छात्रों व विश्वविद्यालय के कर्मचारियों का जुड़ाव गांव से बना रहेगा।
प्रिंसिपल वत्सला ने कहा कि इससे शिक्षा, संस्कृति और संस्कार (मूल्यों) को एक साथ लाया जा सकेगा। हम चाहते हैं कि हमारे छात्र गांवों से जुड़ें और उसके प्रति सम्मान का भाव रखें। उन्होंने कहा कि अंग्रेजी में, हमने इसे ‘गो कूल’ नाम दिया है क्योंकि यह कॉलेज का एक हिस्सा है। जहां छात्र आएं तो वे अपने सभी तनावों और चिंताओं को भूल मन शांत कर सके।
यज्ञशाला को लेकर उन्होंने बताया कि अभी यह तैयार होने के अंतिम चरण में है। इसमें गोकुल का नवीनतम जोड़ होगा। उन्होंने कहा कि “यह चैत्र महीने में चालू हो जाएगा। मेरे मन में इसको लेकर कुछ विचार हैं। आगे हम तय करेंगे कि हम कब यज्ञ कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि जैसे हर दिन कम से कम कुछ छात्रों का जन्मदिन तो होता ही है। ऐसे में उस अवसर पर यज्ञ आयोजित किए जा सकते हैं। जैसा कि सबको मालूम है कि यज्ञ करने से वायु शुद्ध होती है। हमारा यही अंतिम उद्देश्य भी है। भविष्य में, हम कुछ तंत्र भी स्थापित करने के विचार में हैं, जिसके माध्यम से हम शोध कर सकते हैं और अध्ययन कर सकते हैं कि आसपास की वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए इन यज्ञों का क्या प्रभाव पड़ा है।