भारत में आर्थिक उदारीकरण को शुरू हुए करीब 30 साल हो चुके हैं। 1991 में देश के वित्त मंत्री रहे मनमोहन सिंह ने अपना पहला बजट पेश किया था। इस बजट को देश में आर्थिक उदारीकरण की बुनियाद माना जाता है। उदारीकरण के 30 साल पूरे होने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने वर्तमान आर्थिक हालात को लेकर मोदी सरकार को चेताया है। इसी मुद्दे पर एक टीवी डिबेट के दौरान सीपीआई नेता वहां मौजूद रहे भाजपा प्रवक्ता पर भड़क गए और कहने लगे कि लफंगई की हद होती है। साथ ही सीपीआई नेता ने कहा कि मैं प्रधानमंत्री को इससे ज्यादा कठोर बोल सकता हूं।
दरअसल आजतक न्यूज चैनल पर एंकर चित्रा त्रिपाठी के डिबेट शो में आर्थिक उदारीकरण और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की नसीहत को लेकर चर्चा हो रही थी। सीपीआई नेता अतुल अंजान एंकर चित्रा त्रिपाठी के सवालों का जवाब दे रहे थे। जवाब देने के दौरान जैसे ही सीपीआई नेता अतुल अंजान ने एनपीए का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री मोदी को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया तो भाजपा प्रवक्ता ज़फर इस्लाम उन्हें बीच में टोकते हुए ठीक से अपनी बात रखने को कहने लगे।
भाजपा प्रवक्ता के बीच में टोकते ही सीपीआई नेता अतुल अंजान भड़क गए और कहने लगे कि आप हमारे ठेकेदार और समझदार मत बनिए। ये बात आप नरेंद्र मोदी को बताइए..हमें मत बताओ। इसके बाद दोनों नेताओं के बीच जुबानी जंग तेज हो गई। सीपीआई नेता भड़कते हुए कहने लगे कि बीच में बोल रहा है..बेतुकी बातें कर रहा है..लफंगई कर रहा है।
आगे सीपीआई नेता अतुल अंजान ने एंकर चित्रा त्रिपाठी से कहा कि ये पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बारे में कहते हैं कि वे बेतुकी बात करते हैं। मैं भी इनके और अपने प्रधानमंत्री के खिलाफ इससे ज्यादा कठोर शब्द का इस्तेमाल कर सकता हूं। हालांकि इसके बाद भी दोनों नेता शांत नहीं हुए। आख़िरकार एंकर ने दोनों नेताओं का ऑडियो बंद करवा दिया जिसके बाद दोनों नेता शांत हुए।
बता दें कि आर्थिक उदारीकरण के 30 साल होने पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि 1991 में आर्थिक उदारीकरण की शुरुआत उस आर्थिक संकट की वजह से हुई थी जिसने हमारे देश को घेर रखा था। पिछले तीन दशकों में अलग अलग सरकारों ने आर्थिक उदारीकरण के मार्ग का पालन किया जिसकी वजह से यह दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शुमार हो पाई। साथ ही उन्होंने वर्तमान सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि देश के लिए आगे की राह 1991 के आर्थिक संकट से भी ज्यादा चुनौतीपूर्ण है। देश में अर्थव्यवस्था के लिहाज से काफी मुश्किल वक्त आने वाला है। हमें अपनी प्राथमिकताएं तय करनी होगी ताकि हर देशवासी के लिए एक अच्छा जीवन सुनिश्चित हो सके।