साल 2022 में दिसंबर महीने में रेलवे पुलिस की एक टीम को बोरीवली में ट्रेन में एक युवती मिली थी। वह युवती बांग्लादेश की रहने वाली है। उसको तीन साल पहले अवैध रूप से भारत में तस्करी करके लाया गया था। जब वह युवती मिली थी तो उसने काफी वजन वाली हरी कुर्ती पहनी हुई थी। उसमें कुछ बीमारी के लक्षण भी नजर आए थे।

रेलवे पुलिस की टीम ने मुंबई के पास कर्जत में मानसिक तौर पर बीमार लोगों के लिए बनाए गए श्रृद्धा रिहेबिलेशन सेंटर में संपर्क किया। यहां पर संपर्क करने के बाद में पता चला कि वह मानसिक तौर पर बीमार है। अब वह 22 साल की युवती लगभग ठीक हो चुकी है। अब वह कर्जत रिहेबिलेशन सेंटर में कर्मचारी के तौर पर काम कर रही है। इंडियन एक्सप्रेस के साथ बातचीत में उसने कहा कि वह अपने इतिहास को पीछे छोड़कर अपनी पांच साल की बेटी के पास घर लौटना चाहती है। मुझे अपनी बेटी की बहुत याद आती है और मैं जल्द ही उसके पास वापस जाना चाहती हूं। मैं वादा करती हूं कि मैं उसे कभी भी वापस नहीं छोड़ूंगी।

हाईकमीशन से किया संपर्क

रिहेबिलेशन सेंटर ने कहा कि उसने उसे वापस भेजने के लिए बांग्लादेश हाईकमीशन से संपर्क किया। वह अधिकारियों के द्वारा की गई आगे की कार्रवाई का इंतजार कर रही है। संपर्क करने पर मुंबई में बांग्लादेश हाईकमीशन के एक अधिकारी ने कहा कि उन्होंने संबंधित कागजों को बांग्लादेश भेज दिया है। हम उनके आदेश का इंतजार कर रहे हैं। श्रद्धा फाउंडेशन सेंटर के एक डॉक्टर ने कहा कि 22 साल की युवती का तलाक हो गया था और उसका इलाज चल रहा था। फिर उसने अपनी दवाइयों को लेना बंद कर दिया और वह कहीं पर चली गई। डॉक्टर ने यह भी कहा कि अपनी जान को खतरा महसूस होने पर वह घर से भाग गई होगी।

बार्डर पार कर भारत पहुंची

युवती को भारत में बिताए गए समय की यादें केवल धुंधली ही हैं। उसके भारत में बीते समय के दौरान वह बंगाल से दिल्ली और बाद में महाराष्ट्र आई। हालांकि, एक बात उसे सही से याद है वह यह है कि उसे एक शख्स ने बॉर्डर पार कराने और उसे जरूरी मेडिकल सेवाएं दिलाने का वादा किया था। उसने उस समय के बारे में बताते हुए कहा कि जब हम बॉर्डर पार कर रहे थे तो हम सभी एक बाड़ के नीचे जाकर छिप गए थे। जैसे ही सुरक्षाबल दूसरी तरफ जाता तो हम एक-एक करके बार्डर को पार कर जाते थे।

कथित तौर पर उसे पहले पश्चिम बंगाल ले जाया गया। यहां पर उसे दूसरी महिलाओं के साथ में कमरे में बंद करके रखा गया था और उसके साथ मारपीट भी की गई थी। उसने कहा कि वह आदमी मुझे जूतों से मारता था। उस समय को याद करते समय वह रो पड़ी। उसको पहले कोलकाता और फिर दिल्ली में सेक्स वर्कर बनने के लिए मजबूर किया गया। हालांकि, वह आखिर में पुणे में अपने एक रिश्तेदार के घर पर भाग आई।

युवती के पिता से हुआ संपर्क

कर्जत रिहेबिलेशन सेंटर में लाए जाने के कुछ महीनों बाद तक उसे बुरे सपने आते थे और बैचेनी के दौरे पड़ते थे। डॉक्टर ने बताया कि ये उस पर पहले पड़े मानसिक दबाव का नतीजा थे। उन्होंने यह भी कहा कि हमने उसकी ज्यादा हिस्ट्री नहीं खंगाली। हमें यह डर था कि कहीं फिर से वह उस बीमारी से दोबारा पीड़ित ना हो जाए।

उसकी देखभाल करने वाले लोगों ने बताया कि भारत आने की उसकी यादें ताजा हैं और बांग्लादेश की यादें कुछ धुंधली हैं। उन्होंने बताया कि उसका घर इचामती कॉलेज और इचामती नदी के पास है। जेस्सोर जिला भारत के बार्डर से लगा हुआ है। इसके बाद फाउंडेशन ने एक एनजीओ राइट्स से संपर्क किया और उसके परिवार से संपर्क करने में भी सफल रहे। संपर्क करने के बाद रिक्शा चलाने वाले उसके पिता ने कहा कि उन्हें यह जानकर बेहद ज्यादा खुशी है कि उनकी बेटी मिल गई है।

युवती को बांग्लादेश जाने का बेसब्री से इंतजार

22 साल की युवती के पिता ने कहा कि करीब एक साल पहले एक पुलिस वाला हमारे घर पर आया था और उसने हमसे पूछा था कि क्या मेरी बेटी यहां रहती है। मैंने तब बांग्लादेश में गृह मंत्रालय को सभी दस्तावेज सबमिट किए थे। मुझे उम्मीद है कि वे प्रक्रिया में थोड़ी रफ्तार लाएंगे और मैं जल्द ही अपनी बेटी को देख पाउंगा। 22 साल की युवती अब बांग्लादेश लौटने का बेसब्री से इंतजार कर रही है। लेकिन जब उनसे पूछा गया कि उन्हें भारत में सबसे ज्यादा किस चीज की कमी खलेगी, तो वह भावुक हो गईं। उन्होंने कहा कि मुझे यहां की पहाड़ियां और झीलें बहुत याद आएंगी।