संयुक्त किसान मोर्चे ने बताया है कि महाराष्ट्र की एक किसान, 56 वर्षीय सीताबाई तडवी, जो 16 जनवरी से हरियाणा-राजस्थान सीमा पर विरोध प्रदर्शन कर रही थीं, की कल मौत हो गई। वह महाराष्ट्र लौट रही थीं लेकिन रास्ते में जयपुर में उनकी मौत हो गई। बताया जा रहा है कि ठंड लगने से महिला किसान की मौत हुई है।
दिल्ली में 26 जनवरी को हिंसक हुई ट्रैक्टर परेड के बाद संयुक्त किसान मोर्चे ने कल कहा कि वे सरकार और दूसरी ताकतों को किसानों के इस शांतिपूर्ण आंदोलन को खत्म नहीं करने देंगे। मोर्चे ने आरोप लगाया है कि कुछ असामाजिक तत्व जैसे दीप सिद्धू ने किसानों की परेड को बदनाम करने के लिए ये साजिश रची थी। मोर्चे ने कल 26 जनवरी को लेकर हुई हिंसा पर चर्चा करने के लिए मीटिंग बुलाई थी।
संयुक्त किसान मोर्चे में 41 किसान संगठन शामिल हैं। यह मोर्चा कृषि कानूनों के खिलाफ दो महीने से भी ज्यादा वक्त से दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहा है। ट्रैक्टर परेड में हिंसा भड़कने के बाद शाम होते होते किसान मोर्चे ने परेड वापिस बुला ली थी।
56 year old Sitabai Tadvi, a farmer from Maharashtra who had been protesting at the Haryana-Rajasthan border since Jan 16, died yesterday due to “extreme cold”, say members of Samyukt Kisan Morcha. She was returning to Maharashtra but died on the way, in Jaipur. @IndianExpress
— Sakshi Dayal (@sakshi_dayal) January 28, 2021
गौरतलब है कि 26 जनवरी को किसानों की ट्रैक्टर परेड हिंसक हो गई थी। कृषि कानूनों की वापसी को लेकर बुलाई गई परेड में हजारों किसानों ने पुलिस बैरिकेड तोड़े, पुलिस से झड़प हुई, कई वाहन पलट दिए और यहां तक कि लाल किले पर जाकर धार्मिक ध्वज लगा दिया।
मामले में सख्त कार्रवाई करते हुए दिल्ली पुलिस ने 22 एफआईआर दर्ज की हैं। गणतंत्र दिवस पर हिंसा के दौरान 300 के आसपास पुलिसकर्मी भी घायल हो गए थे।
किसान मोर्चे ने खुद को हिंसा में शामिल लोगों से अलग किया है। मोर्चे ने आरोप लगाया कि कुछ असामाजिक तत्व इस शांतिपूर्ण आंदोलन में शामिल हो गए हैं।
मोर्चे ने बयान में कहा, “हम आज के किसान गणतंत्र दिवस परेड में अभूतपूर्व भागीदारी के लिए किसानों को धन्यवाद देते हैं। आज हुई अवांछनीय और अस्वीकार्य घटनाओं की हम निंदा करते हैं और खेद जाहिर करते हैं और इस तरह के कृत्य में लिप्त होने वाले लोगों से खुद को अलग करते हैं। कुछ असामाजिक तत्वों ने शांतिपूर्ण आंदोलन में घुसपैठ की। हमने हमेशा माना है कि शांति हमारी सबसे बड़ी ताकत है, और किसी भी हिंसा से आंदोलन को नुकसान पहुंचेगा।”