भारतीय आईटी कंपनी विप्रो ने अपने 300 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है। इन सभी कर्मचारियों को Moonlighting यानी एक साथ दो जगह नौकरी करने के कारण निकाला गया है। विप्रो के अध्यक्ष रिषद प्रेमजी ने बुधवार को अखिल भारतीय प्रबंधन संघ द्वारा आयोजित एक सम्मेलन में कहा कि कर्मचारी अपने दूसरे या वीकेंड के काम के बारे में संगठन के साथ पारदर्शी बातचीत कर सकते हैं। लेकिन हमने 300 ऐसे कर्मचारियों की खोज की जो प्रत्यक्ष प्रतिस्पर्धियों के लिए काम कर रहे थे। उनके लिए हमारी कंपनी में कोई जगह नहीं है।

रिषद प्रेमजी Moonlighting के मुखर आलोचक रहे हैं और उन्होंने पहले ही यह स्पष्ट कर दिया था कि कंपनी में ऐसे कर्मचारियों के लिए कोई जगह नहीं है। बुधवार को उन्होंने कहा कि उन्हें moonlighting पर अपनी बात कहने के बाद भारी मात्रा में हेट मेल प्राप्त हुए लेकिन वह अपनी बात पर कायम हैं। मूनलाइटिंग का अर्थ है- एक समय में एक से अधिक काम करना और दूर से काम करना (वर्क फ्रॉम होम), जो कोविड दिनों के दौरान एक आदर्श बन गया और अभी भी कई कार्यस्थलों पर प्रचलित है।

बता दें कि moonlighting work एक बड़ा चर्चा का विषय बन गया था जब हाल ही में रिषद प्रेमजी ने एक ट्वीट में इस प्रथा की तुलना धोखाधड़ी से की थी। उन्होंने कहा था कि आईटी उद्योग में moonlighting करने वाले लोगों के बारे में बहुत सारी बकवास है लेकिन सीधे या सरल शब्दों में कहें तो यह धोखा है। बाद में अन्य आईटी फर्मों ने भी ऋषद प्रेमजी के विचारों का समर्थन करते हुए इस मुद्दे पर टिप्पणी की।

बता दें कि एक रिपोर्ट के अनुसार आईटी कंपनी इन्फोसिस ने भी अपने कर्मचारियों को भेजे एक संदेश में कहा है कि एक साथ दो जगहों पर काम करने की अनुमति नहीं है। यादी ऐसा कोई करता है तो उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी और नौकरी से निकाला भी जा सकता है।

आईबीएम ने भी एक साथ दो जगह काम करने को अनैतिक कहा है। आईबीएम के प्रबंध निदेशक (इंडिया एंड साउथ एशिया) संदीप पटेल ने पिछले सप्ताह एक कार्यक्रम में कहा कि कर्मचारी अपने बाकी समय में जो चाहें कर सकते हैं, लेकिन मूनलाइटिंग करना नैतिक रूप से सही नहीं है।