उत्तर भारत में सर्दी के साथ बढ़ते प्रदूषण ने हृदय और मस्तिष्क संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ा दिया है। विशेषज्ञों के अनुसार, ठंड में रक्त वाहिकाएं सिकुड़ जाती हैं जिससे रक्तचाप बढ़ता है और हृदय पर अधिक दबाव पड़ता है। वहीं वायु प्रदूषण में मौजूद महीन कण (पीएम 2.5) फेफड़ों से होते हुए रक्त प्रवाह में मिल जाते हैं, जिससे दिल के दौरे और ब्रेन स्ट्रोक की आशंका दोगुनी हो जाती है।

एम्स, सफदरजंग और राम मनोहर लोहिया जैसे प्रमुख अस्पतालों के आंकड़े बताते हैं कि सर्दियों में हार्ट अटैक और स्ट्रोक के मामले 1.5 से 2 गुना तक बढ़ जाते हैं। सफदरजंग अस्पताल के चिकित्सा निदेशक डॉक्टर संदीप बंसल ने बताया कि ठंड के कारण धमनियों का संकुचन होता है, जिससे रक्त संचार बाधित होता है। ऐसे में उच्च रक्तचाप के मरीजों के साथ-साथ सामान्य व्यक्ति भी जोखिम में आ जाते हैं।

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एम्स के तंत्रिका विज्ञान विभाग की प्रमुख डाक्टर मंजरी त्रिपाठी का कहना है कि सर्दी के साथ जीवनशैली में भी बदलाव आ जाता है। लोग व्यायाम कम करते हैं, पानी कम पीते हैं और धूम्रपान व शराब का सेवन बढ़ जाता है। यह सब मिलकर स्ट्रोक का खतरा बढ़ा देते हैं, और अब ये मामले कम उम्र के लोगों में भी सामने आने लगे हैं। डाक्टर उपेंद्र कौल ने हृदय रोगों की समय पर जांच की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि अधिकतर मामलों में रोग की समय रहते पहचान नहीं हो पाती, जिससे मरीज अचानक गंभीर स्थिति में पहुंच जाते हैं।

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विशेषज्ञों की सलाह है कि सर्दी में खुद को गर्म रखें, सुबह की सैर धुंध के बाद करें और किसी भी असामान्य लक्षण पर तुरंत डाक्टर से संपर्क करें। साथ ही, हृदय और मस्तिष्क रोगों से बचाव के लिए नियमित जांच और स्वच्छ जीवनशैली अपनाना जरूरी है। डाक्टर अनिल सक्सेना ने कहा कि हल्की सांस फूलने या थकान से पीड़ित कई मरीजों के लक्षण अक्सर मोटापे या श्वसन संबंधी समस्याओं जैसी स्थितियों से जुड़े होते हैं। कई परीक्षणों से गुजरने के बावजूद एक साधारण इसीएचओ मूल्यांकन नहीं हो पाता जो वास्तविक समस्या का पता लगा सकता है।