Aam Aadmi Party: आम आदमी पार्टी ने सोमवार को विधानसभा उपचुनावों में तीन में से दो सीटों पर जीत हासिल की। जिसमें लुधियाना वेस्ट की सीट भी शामिल है। इस सीट से राज्यसभा सांसद संजीव अरोड़ा ने जीत हासिल की। अब राजनीतिक हलकों में यह सवाल उठ रहा है कि पार्टी अरोड़ा की जगह किसे संसद के उच्च सदन में भेजेगी? पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल, उनके दूसरे सबसे वरिष्ठ मनीष सिसोदिया या फिर पंजाब से कोई नेता?
हालांकि, केजरीवाल ने संसद जाने की अटकलों को खारिज करते हुए अपने पत्ते नहीं खोले। आप प्रमुख ने दिल्ली में संवाददाताओं से कहा कि केजरीवाल राज्यसभा नहीं जा रहे हैं, हालांकि आप (मीडिया) मुझे पहले भी कई बार वहां भेज चुके हैं।
2022 के विधानसभा चुनावों में पंजाब में प्रचंड बहुमत के बाद AAP ने अरोड़ा को 2022 में राज्यसभा भेजा था। हालांकि, इस साल की शुरुआत में इसने लुधियाना पश्चिम से उनकी उम्मीदवारी की घोषणा की, जहां मौजूदा AAP विधायक गुरप्रीत बस्सी गोगी की मृत्यु के बाद चुनाव हुआ।
दिल्ली के तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके केजरीवाल, जो फरवरी में नई दिल्ली सीट से भाजपा के प्रवेश साहिब सिंह से हार गए थे, पिछले कई हफ्तों से अरोड़ा के लिए प्रचार कर रहे थे। हालांकि इससे यह अटकलें लगाई जाने लगीं कि वे राज्यसभा में अरोड़ा की जगह ले सकते हैं, लेकिन AAP ने फरवरी में ही इस बात से इनकार कर दिया था। आप प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने उस समय कहा था कि जहां तक अरविंद केजरीवाल का सवाल है, पहले मीडिया ने कहा था कि वे पंजाब के मुख्यमंत्री बनेंगे। अब वे कह रहे हैं कि वे पंजाब से राज्यसभा जाएंगे। मीडिया के सूत्र बिल्कुल गलत हैं।
हालांकि, तब से बहुत कुछ बदल गया है। AAP ने दिल्ली के साथ-साथ दिल्ली नगर निगम में भी सत्ता खो दी है, और पार्टी अब केवल पंजाब में सत्ता में है। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि इस संदर्भ में, राज्यसभा सीट पर फैसला महत्वपूर्ण होने वाला था।
आप के एक वरिष्ठ नेता, जो पार्टी प्रमुख के राज्यसभा में जाने के पक्ष में हैं। उन्होंने कहा कि केजरीवाल एक ऐसे नेता हैं जिनकी राष्ट्रीय प्रासंगिकता और राष्ट्रीय महत्वाकांक्षाएं हैं। पार्टी की सफलता के लिए उन्हें दिखाई देना और प्रासंगिक बने रहना चाहिए। उनके राज्यसभा में जाने का मतलब विपक्षी नेताओं के साथ बेहतर तालमेल और स्पष्ट सौहार्द होगा, जिससे उन्हें इंडिया ब्लॉक में आगे बढ़ने में मदद मिलेगी।
हालांकि, सभी इस बात से सहमत नहीं हैं। एक अन्य आप नेता ने कहा कि केजरीवाल के कद के नेता के लिए उच्च सदन उपयुक्त नहीं है। नेता ने कहा कि वह चुनावी अपील वाले आम लोगों के नेता हैं। अगर उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर जाना है, तो उन्हें लोकसभा के ज़रिए जाना चाहिए। पार्टी ने पहले भी स्पष्ट किया है कि वह ऐसा कदम नहीं उठाएंगे। आप पदाधिकारी ने कहा कि सिसोदिया अधिक स्पष्ट विकल्प हो सकते हैं।
कई अन्य लोगों ने सहमति जताई कि यह पद सिसोदिया को मिलना चाहिए। आप के एक विधायक ने कहा कि खुद सीट न लेकर और सिसोदिया को राज्यसभा भेजकर केजरीवाल राज्य में दिल्ली नेतृत्व की भारी मौजूदगी के बारे में किसी भी नकारात्मक चर्चा को दबा सकते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि सिसोदिया पहले भी पंजाब के प्रभारी रह चुके हैं और अब भी उस जिम्मेदारी को निभा रहे हैं।
हालांकि, अंतिम निर्णय पर पार्टी के राज्य नेतृत्व को भी सहमत होना होगा और यह निर्णय उन पर थोपा नहीं जा सकता। आप के एक अंदरूनी सूत्र ने कहा कि पार्टी के लिए अभी सबसे बड़ी प्राथमिकता विधानसभा चुनाव (2027 की शुरुआत में) तक राज्य में एक सुचारू कार्यकाल है। दिल्ली से नेता को भेजना उल्टा पड़ेगा। पंजाब से एक नेता को चुना जा सकता है।
आप के इस नेता ने कहा कि केजरीवाल, सिसोदिया और सत्येंद्र जैन समेत पार्टी के शीर्ष नेताओं को मंच की जरूरत नहीं है। भले ही वह राज्यसभा ही क्यों न हो। नेता ने कहा कि इनमें से किसी भी नेता, खासकर अरविंद केजरीवाल को अपनी राय रखने के लिए किसी मंच की जरूरत नहीं है। उन्हें बस जरूरत पड़ने पर सोशल मीडिया का सहारा लेना है। अन्य राजनीतिक दलों की तरह AAP को किसी नेता को सिर्फ इसलिए आगे बढ़ाने की जरूरत नहीं है कि उसे सरकारी आवास जैसी सुविधाएं मिल जाएं या विधायी विशेषाधिकार के जरिए किसी अन्य तरह की सुरक्षा मिल जाए। वहीं, दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता किस बंगले में रहेंगी। पढ़ें…पूरी खबर।
(इंडियन एक्सप्रेस के लिए मल्लिका जोशी और जतिन आनंद की रिपोर्ट)